हिन्दी कविता : शहीदों को समर्पित रचना
- ठाकुर विशाल सिंह
अब मौन तोड़ बजा युद्ध-नाद,
अब सुना दे जग को सिंह-नाद
जिस क्षण वन में पद धरे श्वान
आए उसी क्षण उसे सिंह याद
जा काट डाल मस्तक इतने
शोणित के वादिर बन जाएं
भीजे जो शोणित वर्षा में
उसके कर भेदिर बन जाएं
कर वो हालत तू लोथों की
पक्षी तक ना मलत्याग करें
उनसे पोषण से उपजें जब
ना नागफनी फल त्याग करें
अब तोड़ मौन बजा युद्ध-नाद,
अब सुना दे जग को सिंह-नाद
तू भगा भगा कर काट डाल
सब रख कर मन में मृत्यु दें
थर थर कांपे गिरकर पद पर
अवनमन में रखकर मृत्यु दें
उस क्षण जो आए मृत्यु भी
मृत्यु तक पर जा हो हावी
बचने का शेष कुछ प्रश्न नहीं
हर एक प्रहार हो अभिभावी
गज के नीचे आ कर भुजंग
की क्या मजाल मारेगा डंक
तू भंग करदे उसका हर अंग
उसे जो देखे वो समझे रंक
अब मौन तोड़ बजा युद्ध-नाद,
अब सुना दे जग को सिंह-नाद।