सुमित्रा महाजन ने बालकवि बैरागी को श्रद्धांजलि दी
लोकप्रिय कवि, सक्रिय जनप्रतिनिधि, माननीय बालकवि बैरागी के दु:खद निधन पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने शोक व्यक्त किया है।
महाजन ने अपने शोक संदेश में कहा- बैरागीजी का देहांत समस्त साहित्य जगत एवं कविताप्रेमियों के लिए अपूरणीय क्षति है। 'जो मेरा संस्कार बन गई, वो सौगंध नहीं बेचूंगा', ऐसा उन्होंने लिखा ही नहीं, बल्कि उस पर अमल भी किया। बैरागीजी अपने प्रशंसकों एवं प्रियजनों से पत्रों के माध्यम से जुड़े रहते थे। मुझे भी समय-समय पर वे पत्र भेजते रहे, जो अक्सर कविता के रूप में होते थे। उन्होंने विशेषकर बच्चों और नौजवानों के लिए कई कविताएं लिखीं। उनकी कविताओं में समाज का यथार्थ एवं देशप्रेम की भावनाओं का विशिष्ट स्थान था। उनकी कविताओं के साथ ही उनके जीवन में भी जोश और उत्साह साफ झलकता था। इसका एक उदाहरण ये कुछ पंक्तियां हैं-
'नौजवान आओ रे, नौजवान गाओ रे।।
लो कदम बढ़ाओ रे, लो कदम मिलाओ रे।।
ऐ वतन के नौजवान, इक चमन के बागवान।
एकसाथ बढ़ चलो, मुश्किलों से लड़ चलो।'
महाजन ने यह भी बताया कि राजनीतिक विचारधारा से परे बैरागी सभी से आत्मीय और सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने बालकविजी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति और उनके परिजनों एवं प्रशंसकों को संबल प्रदान करने की प्रार्थना की है।
साभार-प्रेस और पब्लिक रिलेशन विंग