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Year 2019 and NRI Writers : विदेशी धरती पर हिन्‍दी साहित्‍य की सुगंध फैला रहे भारतीय लेखक

Year 2019 and NRI Writers : विदेशी धरती पर हिन्‍दी साहित्‍य की सुगंध फैला रहे भारतीय लेखक - NRI writers glorifying India abroad
पिछले कुछ सालों में हिन्‍दी साहित्‍य ने काफी नाम कमाया है। कहानी, कविता और उपन्‍यास विधा में कई नाम सामने आए हैं। भारत में हिन्‍दी साहित्‍य में कई बड़े नाम हुए हैं, और नए लेखक और कवि भी लगातार अपना मुकाम बना रहे हैं, लेकिन सबसे खास बात यह है कि विदेशी धरती पर भी हिन्‍दी लेखकों और साहित्‍य ने अपना परचम पहराया है। आइए जानते हैं ऐसे लेखक और कवियों को जिन्‍होंने विदेशी धरती पर देशी साहित्‍य की सुगंध फैलाई है।

1. तेजेन्‍द्र शर्मा
तेजेन्‍द्र शर्मा का जन्म पंजाब के जगरांव में 21 अक्टूबर 1952 में हुआ था। वे ब्रिटेन में बसे भारतीय मूल के हिन्दी कवि लेखक और नाटककार हैं। तेजेन्‍द्र शर्मा की स्कूली पढ़ाई दिल्ली से हुई। हिन्दी, अंग्रेजी, पंजाबी, उर्दू और गुजराती भाषाओं के जानकार तेजेन्‍द्र दूरदर्शन पर आने वाले धारावाहिक 'शांति' से लोकप्रिय हुए थे। अन्नू कपूर निर्देशित फ़िल्म 'अमय' में नाना पाटेकर के साथ उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई है। वे इंदु शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट के संस्थापक तथा हिन्‍दी साहित्य के एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय सम्मान इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान प्रदान करने वाली संस्था 'कथा यूके' के सचिव हैं। तेजेन्द्र का स्पष्ट और सहज लेखन भारतीय पाठकों को प्रभावित करता है।

 
2. ज़कीया जुबैरी
ज़कीया जुबैरी को बचपन से ही पेंटिंग, कविता व कहानी लिखने का शौक रहा है। वे हिन्दी-उर्दू दोनों भाषाओं में समान अधिकार रखती हैं। आपकी रचनाएं पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रही हैं। दूसरे लेखकों को मंच प्रदान करने में व्यस्त रहने वाली ज़कीया ने कभी अपना संकलन प्रकाशित करवाने के बारे में सोचा ही नहीं। ज़कीया ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सदस्या हैं। हिन्दी और उर्दू के बीच की दूरियां पाटने के लिए वे बहुत से प्रयास कर चुकी हैं। साहित्य और भाषा के माध्यम से भारत-पाकिस्तान के बीच की दूरियों दूर करने के साथ ही हिन्‍दी साहित्‍य में भी काफी काफ किया है। कथा यूके के साथ मिलकर ब्रिटेन में रची गईं 14 उर्दू कहानियों का हिन्दी में अनुवाद भी उन्‍होंने प्रकाशित करवाया है।

 
3. सुधा ओम ढींगरा
सुधा ओम ढींगरा ने अमेरिका में हिन्‍दी भाषा को बढ़ावा देने का योगदान याद रखा जाएगा। उन्‍होंने वहां हिन्दी पाठशालाएं खोलने से लेकर यूनिवर्सिटी में हिन्दी पढ़ाई और इंडिया आर्ट्स ग्रुप की स्थापना की। इसके साथ ही हिन्दी के कई नाटकों के मंचन से अमेरिका में हिन्दी भाषा की गरिमा को बढ़ाया है। वे पंजाबी और हिन्दी में लिखती हैं। कविता, कहानी, उपन्यास, इंटरव्यू, लेख व रिपोतार्ज लिखती हैं। उनकी रचनाओं में मेरा दावा है, तलाश पहचान की, सफर यादों का (काव्य संग्रह), परिक्रमा (हिन्दी उपन्यास), वसूली (कहानी, हिन्दी व पंजाबी), मां ने कहा था (काव्य सीडी), पैरां दे पड़ाह (पंजाबी में काव्य संग्रह), संदली बूहा (पंजाबी में संस्मरण)।

4. पद्मेश गुप्‍त
पद्मेश गुप्‍त अब तक ब्रिटेन में विश्व एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर हुए चार सम्मेलनों, लन्दन में 20 अन्तरराष्ट्रीय कवि सम्मेलनों, 1999 में यूके में हुए छठे विश्व हिन्दी सम्मेलन के संयोजक, सैकड़ों साहित्यिक गोष्ठियों, अध्यापकों के अधिवेशन एवं शिविर और हिन्दी ज्ञान प्रतियोगिता के संयोजन का दायित्व निभा चुके हैं। गुप्‍त ने यूके में हिन्दी की एकमात्र साहित्यिक पत्रिका ‘पुरवाई’ का 18 वर्षों तक सम्पादन और प्रकाशन किया।  उन्‍होंने ‘प्रवासी टुडे’ पत्रिका का 8 साल तक सम्पादन किया। 2017 में पद्मेश गुप्त ने भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार ग्रहण किया। उनकी किताब प्रवासी पुत्र काफी चर्चित रही थी।

5. लावण्या शाह
लावण्या शाह हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध कवि स्व. नरेन्द्र शर्मा की बेटी हैं। वे वर्तमान में अमेरिका में रह कर अपने पिता से प्राप्त काव्य-परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। समाजशा्स्त्र और मनोविज्ञान में बीए (आनर्स) की उपाधि प्राप्त लावण्या प्रसिद्ध पौराणिक धारावाहिक "महाभारत" के लिए दोहे भी लिख चुकी हैं। इनकी कुछ रचनाएं और नरेन्द्र शर्मा व लता मंगेशकर से जुड़े संस्मरण रेडियो से भी प्रसारित हो चुके हैं। इनकी एक पुस्तक "फिर गा उठा प्रवासी" प्रकाशित हो चुकी है जो इन्होंने अपने पिता की प्रसिद्ध कृति "प्रवासी के गीत" को श्रद्धांजलि देते हुए लिखी थी। हाल ही में सुंदरकांड को अपने शब्दों में सजा कर लोकप्रिय हुई हैं।

6. कविता वाचक्नवी 
भारतीय मूल की कविता वाचक्नवी भी उन लेखकों में से हैं जो हिन्‍दी साहित्‍य का विदेश में परचम पहरा रही हैं। 1963 में पंजाब के अमृतसर में उनका जन्‍म हुआ था। उन्‍होंने ज्‍यादातर शोधपरक पुस्‍तकें लिखी हैं, लेकिन वे कवियित्री भी हैं। उनके रचनाकार्य में मैं चल तो दूं (कविता) 2005, समाज-भाषाविज्ञान: रंग-शब्दावली: निराला-काव्य (शोध/समीक्षा) 2009, कविता की जातीयता (शोध/समीक्षा) 2009, महर्षि दयानन्द और उनकी योगनिष्ठा (शोध पुस्तक)1984 शामिल हैं। भारतीय संस्कृति को विश्वपटल पर पूरे दमखम के साथ रख रही हैं और स्वयं भी विश्व संस्कृति की जानीमानी अध्येता हैं। 

7. डॉ. अनीता कपूर
डॉ. अनीता कपूर कवयित्री, लेखिका, पत्रकार और अनुवादिका हैं। वे अखिल भारतीय कवयित्री संघ की प्रमुख सदस्य, भारत में लेखिका संघ की आजीवन सदस्य, वुमेन प्रेस क्लब दिल्ली की आजीवन सदस्य होने के साथ ही नारिका (NGO) और भारतीय कम्युनिटी सेंटर में समय समय पर अपनी सेवाएं देने के लिए जानी जाती हैं। हिन्दू मंदिर और सांस्कृतिक केंद्र में योगदान के लिए वे कई बार सम्‍मानित हो चुकी हैं। उन्‍होंने अमेरिका में हिन्‍दी के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत काम किया है। अमेरिका और भारत की कई पत्र-पत्रिकाओं में लेखन करती हैं। अब तक उनके तीन काव्‍य संग्रह बिखरे मोती, कादम्बरी और अछूते स्वर आ चुके हैं।

8. संदीप नैयर
संदीप नैयर पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं, लेकिन एक लेखक के तौर पर उन्‍होंने अपनी पहचान बनाई है। 1969 में रायपुर में जन्मे नैयर ने कुछ सालों तक बतौर पत्रकार काम किया। उन्होंने साप्ताहिक हिंदुस्तान में नियमित लेखन भी किया। रिलायंस और रायपुर अलॉइज़ के साथ काम कर चुके नैयर 2000 में ब्रिटेन चले गए और अब वे एक ब्रिटिश नागरिक हैं। ‘समरसिद्धा’ उनका पहला उपन्यास है। जिसमें प्रेम, पीड़ा और प्रतिशोध के किस्‍से हैं। उनकी एक किताब ‘डार्क नाइट’ काफी चर्चित रही थी। इस किताब में बयां की गई कहानी रोमांटिक और एरोटिक किस्‍से कहती है। अपने बोल्‍ड सब्‍जेक्‍ट की वजह से यह खासी चर्चा में आई थी।

9. शिखा वार्ष्णेय
नई दिल्‍ली में जन्‍मी शिखा वार्ष्णेय मोस्को स्टेट यूनिवर्सिटी से टीवी जर्नलिज्म में परास्नातक करने के बाद कुछ समय तक भारत में एक टीवी चैनल में बतौर न्यूज़ प्रोड्यूसर काम करती थीं। बाद में वे लंदन में स्वतंत्र पत्रकारिता और लेखन में सक्रिय हो गई। अब भी वे लंदन में लेखन कार्य में सक्रिय हैं। देश के लगभग सभी मुख्य समाचार पत्र-पत्रिकाओं में उनके आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। ‘लन्दन डायरी’ नाम से दैनिक जागरण (राष्ट्रीय) में नियमित कॉलम लिखती हैं। भारतीय उच्चायोग यूके ने उन्‍हें साल 2014 का ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान’ दिया था। उनका एक यात्रा वृतांत- ‘स्मृतियों में रूस’ ‘जानकीवल्लभ शास्त्री साहित्य सम्मान’ मिल चुका है। उनका एक काव्‍य संग्रह ‘मन के प्रतिबिम्ब’ प्रकाशित हो चुका है।

10. तिथि दानी
नवंबर 1981 में मध्‍यप्रदेश के जबलपुर में जन्‍मी तिथि दानी कवियित्री हैं। साल 2018 में ज्ञानपीठ से उनकी किताब ‘प्रार्थनारत में बतखें’ प्रकाशित हुई थी। वे भारतीय उच्चायोग, लंदन की डॉ० लक्ष्मीमल सिंघवी हिन्दी साहित्य प्रकाशन अनुदान योजना के तहत सम्मानित हो चुकी हैं। आधारशिला फाउण्डेशन द्वारा हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित करने के लिए “हिन्दी गौरव सम्मान” मिला है। लगातार लेखन में सक्रिय हैं।