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खलल, बिगड़ती दिनचर्या का नतीजा है

खलल, बिगड़ती दिनचर्या का नतीजा है - Hindi Article On Maszid Ajaan
भारतीय दर्शन से हमें इस देश की विशालता दिखाई देती है। जहां चार्वाक के दर्शन रिणं कृत्वा घ्रणं पित्वा को भी मान्यता दी गई और महावीर और बुद्ध के वैराग्य को भी। जहां पुनर्जन्म की बात भी मानी और एक जीवन की भी। जहां ज्ञान मार्ग भी है और कर्मकांड को भी माना गया।

इस देश की तासीर ही ऐसी है कि यह सर्दी गर्मी और बरसात का भरपूर आनंद लेता है। भिन्न-भिन्न वनस्पति इस देश की खासियत है। सबसे बड़ी बात यह देश मजहबों का पोषक देश है, जहां हर धर्म कुछ यहां से लेता है और खुद कुछ देता है। इसलिए धर्म से जुड़े कर्मकांड कई बार एक से दिखाई देने लगते हैं। इस तरह यहां बसने वाले हर धर्म का ताना बाना है।

यदि आपको सुबह की अजान सोने नहीं देगी, तो निश्चित तौर पर सुबह मंदिरों से आती घंटियों की आवाजें और आरती भी खलल पैदा करेंगी। यह खलल आपकी बिगड़ती दिनचर्या का नतीजा है न कि ये आवाजें। इस देश के मिजाज को बदलने में बहुत कुछ समाप्त हो जाएगा। इसलिए जो लोग इस तरह की बातें कर रहे हैं उनकी बातों को कतई तवज्जो न दें।
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