नींबू 20 के 3, नींबू 20 के 3 : नींबू पर फनी कविता
हाय!
ये कैसी महंगाई है,
खटाई में पड़ गई, इस बार खटाई है।
बीत रही है गर्मी,
शिकंजी सोडे के बिन,
नींबू 20 के 3, नींबू 20 के 3।
कभी कचौरियां खाते थे,
10 की 3,
जाने क्या पाप किए,
जो देखने पड़ रहे ऐसे दिन,
भेल भी अब बन रही है, खटास के बिन,
नींबू 20 के 3, नींबू 20 के 3।
शकर से डायबिटीज,
नींबू से डिप्रेशन, हो रिया है,
ये कौन है जख्मों पर,
नमक मल रिया है,
मैं जानना चाहता हूं,
ये क्यूं हो रिया है,
मैं इंतजार में हूं कब आएंगे सस्ते दिन,
नींबू 20 के 3, नींबू 20 के 3।