हाथ पांव तोड़ दूंगी : माशा अल्लाह क्या शायरी है
एक दोस्त शायरी सुना रहा था...
उनकी गली से गुजरा तो चौबारा नजर आया!
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दूसरा दोस्त - वाह वाह... वाह वाह...
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पहला दोस्त - उनकी गली से गुजरा तो चौबारा नजर आया...
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उनकी मां ने देखा तो बोली-
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हाथ पांव तोड़ दूंगी, जो यहां दोबारा नजर आया...!