गुरुवार, 21 नवंबर 2024
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Written By ND

तन-मन निखारे ये सुगंधित मसाज

aroma tharapy | तन-मन निखारे ये सुगंधित मसाज
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खूबसूरती सबको भाती है। सुंदरता को पसंद करने वाले बहुत से बेबाक या मनचले लोग बगैर जान-पहचान वाली लड़कियों और महिलाओं की तारीफ भी रास्ता चलते ही उनके सामने कर देते हैं। लड़कियों को भी इस प्रकार की तारीफ खूब भाती है। वह भी चाहती हैं कि कनखियों से ही सही लेकिन लोग उन्हें देखें।

पुरुषों की निगाहें भीड़ में भी खूबसूरती की तलाश में रहती हैं। वहीं खुद अपनी सुंदरता का अहसास हो तो तन-मन प्रफुल्लित रहता है। पूरे दिन तरोजाता दिखने के लिए जरूरी है कि आपकी त्वचा मुलायम और चमकदार दिखे। इसके लिए एरोमा थेरेपी से अच्छा भला क्या हो सकता है!

यह सिक्के का एक पहलू है, दूसरा यह है कि व्यस्तता और कामकाज के दौरान अपने शरीर पर ध्यान देने का वक्त ही नहीं रहता। खासकर कामकाजी महिलाएँ घर की जिम्मेदारियों और कार्यालय के कामकाज के बीच सही तालमेल बिठाने के चक्कर में अपने शरीर और मानसिक शांति के बीच तालमेल बिठाना भूल जाती हैं। ऐसे में छुट्टी के दिन या फिर जब मौका मिले एरोमा थेरेपी का सहारा ले लेना चाहिए ताकि कामकाज के दौरान आपकी शारीरिक और मानसिक सुंदरता बरकरार रह सके।

एरोमा थेरेपी में खुशबूयुक्त औषधियों जैसे वनस्पतियों, जड़ों, तनों, फलों, फूलों, सब्जियों, मसालों आदि का प्रयोग किया जाता है। एरोमा का मतलब है फूलों की खुशबू और तेलों द्वारा त्वचा और शरीर का इलाज। इस थेरेपी में कई प्रकार के सुगंधित तेलों का उपयोग होता है। यह प्रक्रिया मन को शांति देने के साथ तन को भी आराम देती है।

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एरोमा थेरेपी में मालिश यानी मसाज के कई तरीके अपनाए जाते हैं। तकनीकी रूप से भी यह थेरेपी अब काफी उन्नत हो चुकी है। सॉफ्ट फ्लोइंग मूवमेंट, पियानो मूवमेंट और फ्रिक्शन मूवमेंट आदि कुछ प्रचलित और मशहूर विधियाँ हैं। लगभग एक से सवा घंटे की थेरेपी के दौरान शरीर के दबाव वाले हिस्सों यानी प्रेशर प्वाइंट्स के ऊपर कुछ इस तरह से दबाव डाला जाता है कि शरीर में रक्त का संचार अच्छे तरीके से होता है और शरीर की थकान खत्म हो जाती है।

आयुर्वेद की जानकार शालिनी चौहान बताती हैं कि वर्षों पुरानी आयुर्वेदिक मसाज आज भी बहुत लोकप्रिय है। तरीका बदल गया है। इस पर बाजार में बहुत-सी पुस्तकें आ गई हैं क्योंकि किसी भी मसाज सेंटर में बार-बार जाना महँगा पड़ता है। अतः एक-दो बार इन मसाज सेंटरों में जाने के बाद कुछ महिलाएँ इसे सीखकर अपने ऊपर आजमा सकती हैं। पुराने समय में दादी माँ प्रसव से पूर्व व इसके पश्चात अपनी बहुओं की इसी प्रकार की मसाज किया करती थीं। तरीका कोई भी हो, जरूरी है कि अपने आप को हर दम जवाँ-जवाँ रखा जाए।