गुजरात में 'नोटा' तीसरा सबसे बड़ा पक्ष
गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार कई बातें चौंकाने वाली रही हैं। चाहे वह पटरी से उतरा चुनाव प्रचार हो या फिर सत्तारूढ़ भाजपा का दो अंकों में सिमटना।
भाजपा के लिए तो इस बार के परिणाम बाकई चौंकाने वाले रहे हैं क्योंकि इस बार उसके वोट तो बढ़े हैं, लेकिन सीटें पिछली बार की तुलना में 16 कम हो गईं। मजे की बात तो यह रही कि भाजपा की घटी हुई यह सीटें कांग्रेस की झोली में गिर गईं।
हालांकि गुजरात के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला ने कांग्रेस से अलग होकर जनविकल्प नाम से नया दल तो बनाया, लेकिन पूरे चुनाव में उनकी पार्टी कहीं नजर आई। उनसे अच्छी स्थिति तो 'नोटा' की रही, जिसके खाते में भाजपा और कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत गया।
जानकारों की मानें तो ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि गुजरात में भाजपा को लेकर काफी नाराजी थी, मगर वे कांग्रेस को भी वोट नहीं देना चाहते थे। ऐसी स्थिति में उन्होंने विकल्प के रूप में नोटा को चुना।
आंकड़ों पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाली भाजपा को 49.1 फीसदी वोट मिले। कांग्रेस 41.4 प्रतिशत हासिल कर दूसरे स्थान पर रही, जबकि 1.8 फीसदी लोगों ने नोटा (यानी किसी को भी वोट नहीं) को चुना।