धनियों के तो धन हैं लाखों
धनियों के तो धन हैं लाखोंमुझ निर्धन के धन बस तुम हो।कोई पहने माणिक-मालाकोई लाल जड़ावे,कोई रचे महावर-मेहँदीमुतियन मांग भरावे,सोने वाले, चांदी वाले,पानी वाले, पत्थर वालेतन के तो लाखों सिंगार हैं।मन के आभूषण बस तुम हो।धनियों के तो धन हैं लाखोंमुझ निर्धन के धन बस तुम हो।कोई जावे पुरी द्वारिकाकोई धावे काशीकोई तपे त्रिवेणी-संगमकोई मथुरा वासी,उत्तर दक्खिन पूरब पच्छिम,भीतर-बाहर सब जग-जाहिरसंतों के सौ-सौ तीरथ हैंमेरे वृन्दावन बस तुम हो।धनियों के तो धन हैं लाखोंमुझ निर्धन के धन बस तुम हो।कोई करे गुमान रूप परकोई बल पर झूमे,कोई मारे डींग ज्ञान कीकोई धन पर घूमे,काया-माया, जोरू-जाता,जस-अपजस, सुख-दुख त्रियतापा,जीता-मरता जग सौ विधि सेमेरे जन्म-मरण बस तुम हो!धनियों के तो धन हैं लाखोंमुझ निर्धन के धन बस तुम हो।