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वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के बारे में यह सच आपको जानना चाहिए

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के बारे में यह सच आपको जानना चाहिए - you should know this truth about maharana pratap
हम फेसबुक और व्हाट्सएप की सूचना के आधार पर एक राय बना लेते हैं और उसे ही सत्य मान लेते हैं। पर महिमामंडन और अतिश्योक्ति में अंतर हमें समझना चाहिए। भारतीय संस्कृति में महापुरुषों का अनुसरण करना एक अभिन्न अंग माना जाता है और करना भी चाहिए किन्तु यह हमारा कर्तव्य भी है कि हम प्रामाणिक और तथ्यात्मक सूचनाओं के अनुसार हमारे वीर महापुरुषों का गुणगान करें।
 
ऐसा ही मेवाड़ के वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के बारे में कहा जाता है। उनके बारे में ऐसी सूचनाएं मेनस्ट्रीम मीडिया में घूमती है कि उनके भाले का भार 81 किलो, छाती का कवच 72 किलो और पूरे कवच, अस्त्र और शस्त्र का भार मिलाकर 208 किलो था। महाराणा प्रताप को परम पूज्य मानने वाले लोग यह सुनकर आश्चर्य करते हैं और इसे ही सत्य मान लेते हैं। पर, यह जानकारी प्रामाणिक रूप से सत्य नहीं है।
 
उदयपुर में बने सिटी पैलेस संग्रहालय में महाराणा प्रताप से सम्बंधित जानकारियां और वस्तुएं देखने-जानने को मिलती है। वहां एक बोर्ड लगा है जिस पर लिखा है, "यहां प्रदर्शित महाराणा प्रताप प्रथम (1572-1597 ई.) के कवच सहित निजी अस्त्र-शस्त्रों का कुल वजन 35 किलोग्राम है।" वहां से यह भी ज्ञात होता है कि उनके भाले का भार 17 किलो था।
 
इससे यह प्रमाणित होता है कि प्रामाणिक साक्ष्यों के आधार पर सत्य से अवगत होकर ही हमें कोई भी जानकारी को मानना और शेयर करना चाहिए। महाराणा प्रताप का पराक्रम अप्रतिम था। और, अब सत्य से अवगत होने के बाद यह और अचंभित करता है कि इतने कम वजन से कैसे उन्होंने बहलोल खान को उसके घोड़े समेत एक ही वार में दो भागों में काट दिया था? उनकी भुजाओं में हाथी जैसा बल और उनमें बिजली की गति-सी चपलता थी यह भी सिद्ध करता है।
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