फ्रेंडशिप, मित्रता, दोस्ती, यारी...हर किसी को यह रिश्ता प्रिय होता है। आप और हम ही नहीं, विश्व के महान विचारकों ने भी मित्रता की महानता के स्वीकारा और उसे अभिव्यक्त किया है। देश-विदेश के साहित्यकारों और चिंतकों ने ऐसे किया है मित्रता को परिभाषित...
1 मैत्री परिस्थितियों का विचार नहीं करती, अगर यह विचार बना रहे तो समझ लो मैत्री नहीं है।- मुंशी प्रेमचंद
2 मित्रता की परीक्षा विपत्ति में दी गई मदद से होती है और वह मदद बिना शर्त होनी चाहिए।- महात्मा गांधी
3 जो छिद्रान्वेषण किया करता है और मित्रता टूट जाने के भय से सावधानी बरतता है, वह मित्र नहीं है। - गौतम बुद्ध
4 प्रकृति पशुओं तक को अपने मित्र पहचानने की समझ देती है। - कॉर्नील
5 मित्रों के बिना कोई भी जीना पसंद नहीं करेगा, चाहे उसके पास बाकी सब अच्छी चीजें क्यों न हो। अरस्तू
6 जो तुम्हें बुराई से बचाता है, नेक राह पर चलाता है और जो मुसीबत के समय तुम्हारा साथ देता है, बस वही मित्र है। - तिरुवल्लुवर
7 दुनिया की किसी चीज का आनंद परिपूर्ण नहीं होता, जब तक कि वह किसी मित्र के साथ न लिया जाए। - लैटिन
8 विवेकी मित्र ही जीवन का सबसे बड़ा वरदान है। - यूरीपिडीज
9 अनेक सबके प्रति रहो, मित्र सर्वोत्तम को ही बनाओ। - इसोक्रेटस
10 मित्र दुःख में राहत है, कठिनाई में पथ-प्रदर्शक है, जीवन की खुशी है, जमीन का खजाना है, मनुष्य के रूप में नेक फरिश्ता है। - जोसेफ हॉल
11 मित्रता दो तत्वों से बनी है, एक सच्चाई और दूसरा कोमलता। - एमर्सन
12 सच्ची मित्रता में उत्तम से उत्तम वैद्य की सी निपुणता और परख होती है, अच्छी से अच्छी माता का सा धैर्य और कोमलता होती है, ऐसी ही मित्रता करने का प्रयत्न प्रत्येक को करना चाहिए। -रामचंद्र शुक्ल
13 जीवन में मित्रता से बढ़कर सुख नहीं। - जॉन्सन