जब आप अपने पुराने यार से बातें करते हुए गुजरे लम्हों को याद करते हैं, आंखों की कोर गीली होने से रह नहीं पाती। अतीत के वो सुनहरे पल 'मस्तिष्क के स्क्रीन' पर 'यादों के प्रोजेक्टर' से खुद व खुद उतरने लगते हैं कितना हसीन है न यह रिश्ता। वक्त बदला है, पर दोस्ती के मायने नहीं बदले, न बदलेंगे। सच मानो इसकी सुगंध आपको ताजिंदगी तरोताजा ही रखेगी।
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