साठ के दशक में ताराचंद बड़जात्या की फिल्म 'दोस्ती' ने धूम मचाई थी। पुरस्कारों की बारिश तले इसे लाद दिया गया। फिल्म के नायक दो युवा कलाकार थे। इनके मैत्री-भाव को रजतपट पर सौम्य भंगिमाओं के साथ प्रस्तुत किया गया। इसी सिलसिले की अगली कड़ी थी सत्तर के दशक की वे फिल्में जिनमें शत्रुघ्न सिन्हा, धर्मेन्द्र, विनोद खन्ना, अमिताभ जैसे सितारों ने परवरिश, मुकद्दर का सिकंदर, काली घटा, कभी-कभी की भूमिकाओं में गाहे-बगाहे दोस्ती के पैमाने पर कथानक को नए रंग दिए।
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