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Written By नेहा रेड्डी

Fathers Day : पिता के लिए क्या लिखूं, उनकी ही लिखावट हूं मैं...

Fathers Day : पिता के लिए क्या लिखूं, उनकी ही लिखावट हूं मैं... - fathers day
पिता के लिए क्या लिखूं, उनकी ही लिखावट हूं मैं। पिता का हाथ अगर सर पर रहे तो आप जीवन की हर मुश्किल परिस्थितियों से पार पा सकते हैं। उनसे मिली हिम्मत आपको जीवन के हर पड़ाव पर शक्ति देती है।
 
पिता अपनी हर परेशानियों को अपनी मुस्कान में छुपाकर हमें जीवन की हर खुशियां देते हैं, आपको हौसला देते हैं। चाहे जीवन में कुछ भी हो जाए, वो हमेशा आपके साथ हैं। उनसे मिली हिम्मत ही तो है, जो आपको कभी टूटने नहीं देती। पिता के लिए सिर्फ एक ही दिन क्यों, हर दिन उनका है। उनसे ही तो बच्चों का जीवन है। उनसे ही तो बच्चों की खुशियां हैं। उनके इस प्यार को शब्दों में पिरोना बहुत मुश्किल है।
 
पिता से मिले संस्कार व उनकी सीख ही हर मुसीबत से निपटने का साहस देती है। उनके बिना जीवन अधूरा है, अस्तित्व अधूरा है। पिता का सिर्फ इतना ही कहना कि 'चिंता मत करना, मैं हूं न बेटा' हर मुश्किल व हर परेशानी का समाधान है। शायद ही ऐसी हिम्मत आपको कोई और दे सके।
 
पिता का पास रहना किसी भी बच्चे को कभी असुरक्षा का अहसास ही नहीं होने देता। पिता हर बच्चे के जीवन में अनमोल है। उनके जैसा व उनकी तरह कोई भी नहीं हो सकता।
 
अगर इस दुनिया में आपको नि:स्वार्थ कोई प्रेम करता है तो वो सिर्फ आपके माता-पिता ही होते हैं। इसलिए यह हर बच्चे का कर्तव्य है कि किसी भी परिस्थिति में अपने माता-पिता को जाने-अनजाने में दुखी न करें। आपको जीवन में हर चीज दुबारा मिल जाएगी लेकिन माता-पिता दोबारा नहीं मिलेंगे।
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