भारत में अपनी धरोहर और अपने प्रतीकों को सहेजने का काम चल रहा है। हाल ही में नरेंद्र मोदी सरकार में राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया गया है। इसी दौरान सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा को स्थापित किया गया। जबकि पिछले दिनों गुजरात में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के तौर पर सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा लगाई गई थी। ठीक इसी तरह से कुछ शहरों के और जगहों के नाम भी बदलें जा रहे हैं।
अब हाल ही में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वतीय के निधन के बाद शाही परिवार की शान बने हुए भारत के कोहिनूर हीरे को वापस देश में लाने के लिए एक बहस चल पड़ी है। दरअसल, कोहिनूर भी भारत की समृद्धि का प्रतीक और एक धरोहर ही माना जाता है और अलग-अलग काल और खंडों में कई यात्राएं करता हुआ यह भारत से ब्रिटेन जा पहुंचा। ऐसे में कई लोग यह चाहते हैं कि भारत का सबसे नायाब हीरा फिर से भारत आ जाए।
क्या है जगन्नाथ मंदिर का दावा कुछ इसी मकसद के साथ उड़ीसा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़े संगठन ने दावा किया है कि कोहिनूर हीरा भगवान जगन्नाथ का है। संगठन ने इसे ब्रिटेन से ऐतिहासिक पुरी मंदिर वापस लाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से गुजारिश भी की है।
ऐसे में जहां मोदी सरकार देशभर में अपने ऐतिहासिक प्रतीकों और धरोहरों को समेटने और सहेजने का काम कर रही है, सवाल उठता है कि क्या कोहिनूर हीरा भी वापस लाने के लिए पीएम मोदी के जेहन में कोई प्लान है। अगर ऐसा है तो क्या मोदी कोहिनूर को भारत लाने में कामयाब होंगे।
आइए जानते हैं कोहिनूर को लेकर अब तक क्या- क्या बवाल रहे हैं, ब्रिटेन का रवैया क्या है और कौन-कौन से देशों ने इस पर अपना हक जताया है।
राजा रंजीत सिंह से ब्रिटिश खजाने तक?
कोहिनूर हीरा भारत में राजा रंजीत सिंह की निगरानी में कई दिनों तक सुरक्षित रहा। लेकिन 1849 में ब्रिटिश फोर्स द्वारा पंजाब जीतने पर सिक्ख शासक रंजीत सिंह की सारी संपत्ति को ब्रिटिश सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया। बेशकीमती कोहिनूर को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने खजाने में रख लिया। वहीं सिक्ख शासक की संपत्ति को लड़ाई के मुआवजे के तौर पर रख लिया।
इस कोहिनूर को जहाजी यात्रा से ब्रिटेन लाया गया था। ऐसा माना जाता है कि कोहिनूर को ले जाते वक़्त इसकी देख- रेख और सुरक्षा करने वाले के हाथों यह बेशकीमती हीरा घूम गया था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद उसके नौकर द्वारा कोहिनूर हीरा लौटाए जाने का एक किस्सा भी समय-समय पर वायरल होता रहा है।
ब्रिटेन पहुंचने के बाद आखिरकार जुलाई 1850 में इस बेशकीमती हीरे को इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया।
ये देश जताते हैं कोहिनूर पर हक
इतिहास और दस्तावेज कहते हैं कि कोहिनूर भारत की संपदा है, जिसे ब्रिटिशों ने गलत तरीके से लूट लिया। ब्रिटिश सरकार का कहना है कि कोहिनूर को रंजीत सिंह ने लाहोर शांति संधि के दौरान ब्रिटिशों को तोहफे में दिया था।
1947 में हुए थे लाने के प्रयास
1947 में आजादी के बाद से ही भारत ने कोहिनूर को वापस लाने की कवायद शुरू कर दी थी। इसके बाद 1953 में महारानी एलीज़ाबेथ द्वितीय के राजतिलक दौरान भी भारत द्वारा कोहिनूर की मांग की गई, लेकिन हर बार ब्रिटिश सरकार कोहिनूर पर ब्रिटिश हक़ बताकर भारत की सभी दलील ख़ारिज करती रही है।
पाकिस्तान का दावा
यही नहीं, पाकिस्तान भी कोहिनूर पर अपना अधिकार जता चुका है। 1976 में पाकिस्तान ने कोहिनूर पर अपना हक बताते हुए ब्रिटिश सरकार से कोहिनूर को पाकिस्तान को लौटाने की बात कही थी। इसके जवाब में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री जेम्स केलेघन ने तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ज़ुल्फिकार अली भुट्टो को खत लिखकर कहा था कि कोहिनूर को 1849 में लाहौर की शांति संधि के तहत महाराजा रंजीत सिंह ने ब्रिटिश सरकार को दिया था। इसलिए ब्रिटिश महारानी कोहिनूर को पाकिस्तान को नहीं सौंप सकती। इसके बाद साल 2000 में भी कई बार भारतीय सदन ने कोहिनूर पर अपना दावा करते हुए ब्रिटिश सरकार पर आरोप लगाया और कहा कि कोहिनूर पर ब्रिटिश सरकार ने अनैतिक तरीके से कब्जा जमा लिया।
तालिबान का दावा
वहीं, तालिबान के विदेशी मुद्दे के प्रवक्ता फैज अहमद फैज ने कहा कि कोहिनूर अफ़ग़ानिस्तान की संपत्ति है और इसे जल्द से जल्द अफ़ग़ानिस्तान को सौंपा जाना चाहिए। उनका दावा है कि इतिहास के मुताबिक कोहिनूर अफ़ग़ानिस्तान से भारत गया और फिर भारत से ब्रिटेन।
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तो ब्रिटिश संग्रहालय खाली हो जाएगा
कोहिनूर को लौटाने के जवाब में जुलाई 2010 में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड केमरून ने कहा कि अगर ब्रिटिश सरकार प्रत्येक देश के दावे को सही मानते हुए अमूल्य रत्न एवं वस्तुएं लौटाती है, तो कुछ ही समय में ब्रिटिश संग्रहालय अमूल्य धरोहर से खाली हो जाएगा।
क्या रंजीत सिंह ने उपहार में दे दिया?
फरवरी 2013 में भारतीय दौरे पर उन्होने कोहिनूर को लौटाने से साफ इंकार कर दिया था। अप्रैल 2016 में भारत की ओर से ब्रिटेन पर कोहिनूर लौटने की याचिका दायर की गई। इस पर तत्कालीन भारतीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने कहा था कि कोहिनूर के मुद्दे को जल्द से जल्द हल किया जाएगा। कोहिनूर को लेकर भारत के कुछ लोगों का मानना है कि कोहिनूर को भारत सरकार ने ही ब्रिटिश राज्य (United Kingdom) को तोहफे स्वरूप भेंट किया था। सूप्रीम कोर्ट में कोहिनूर पर याचिका के दौरान भारतीय वकील ने कहा कि ब्रिटिश सरकार ने रंजीत सिंह से जबरदस्ती कोहिनूर नहीं छीना है, बल्कि रंजीत सिंह ने स्वेच्छा से युद्ध के मुआवज़े के तौर पर ब्रिटिश सरकार को कोहिनूर भेंट किया था।