- बेंगलुरु में करीब 40 प्रतिशत बोरवेल पूरी तरह से सूखे
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ग्राउंड वाटर लेवल 1800 फीट से नीचे पहुंचा, कावेरी का स्तर भी गिरा
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कर्नाटक सरकार ने इस बार 240 तालुकों में से 223 में सूखा घोषित
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सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के घर भी नहीं आ रहा पानी
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लोग दहशत में, पानी के लिए यज्ञ-हवन और मंत्रों का सहारा
Bengaluru Water Crisis: कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के आवास पर भी पानी का टैंकर जा रहा है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बेंगलुरु के घर का बोरवेल सूख गया है। कई इलाकों में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। सोशल मीडिया पर स्कूल-कॉलेज ऑनलाइन और आईटी कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम की मांग चल रही है। टायलेट का इस्तेमाल करने के लिए लोग मॉल्स की तरफ जा रहे हैं। बेंगलुरु में जल संकट इतनी भयावह स्थिति में पहुंच गया है कि आम लोग दहशत में हैं और पानी के संकट से निपटने के लिए प्रार्थनाएं, यज्ञ- हवन और मंत्र शुरू कर दिए हैं।
इस बीच राज्य सरकार ने पेयजल से संबधित कई तरह के कामों में पानी के उपयोग पर रोक लगा दी है। इस संबंध में 15 मार्च से सख्त कानून लागू करने की तैयारी है। कैसे सूखी गार्डन सिटी : एक समय था जब बेंगलुरु में करीब 262 झीलें और 70 प्रतिशत हरियाली हुआ करती थी। इसी वजह से इसे लेक सिटी और गार्डन सिटी कहा जाता था। लेकिन 1973 से लेकर 2020 तक पिछले इतने सालों में बेंगलुरु भयावह सूखे और जल संकट की कगार पर आ गया है।
आखिर क्या वजह है कि पानी और हरियाली को लेकर इतना समृद्ध शहर इस भीषण संकट पर पहुंच गया।
कभी इतनी तालुकाओं को सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया : अब बेंगलुरु की 262 झीलों में से सिर्फ 81 झीले बची हैं, जबकि हरियाली 70 प्रतिशत से सिकुड़कर 3 प्रतिशत पर आ गई है। कर्नाटक में पिछले साल मॉनसून पूरी तरह से फेल रहा। नतीजा भीषण जल संकट सामने आया। कर्नाटक के वर्षाहीन इलाकों में हालात बेहद खराब हैं। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि 'पिछले 30-40 सालों में हमने ऐसा सूखा नहीं देखा है। पहले भी सूखा पड़ता था, लेकिन हमने कभी इतने सारे तालुकाओं को सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया' कर्नाटक ने 240 तालुकों में से 223 में सूखा घोषित किया है। इनमें से 196 को गंभीर रूप से सूखा प्रभावित माना गया है। मानसून नहीं होने की वजह से कावेरी का जल स्तर गिर गया है। रोजाना करीब 20 करोड़ लीटर पानी की कमी हो रही है।
क्या है ताजा हाल : रिपोर्ट के मुताबिक इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के लिए जाने जाने वाले बेंगलुरु में 40 प्रतिशत बोरवेल सूख गए हैं। ग्राउंड वाटर 1800 फीट से नीचे चला गया है। ऐसे में टेंकर माफिया सक्रिय हो गया है। जो 5 से 6 हजार रुपए प्रति टेंकर बेच रहे हैं। हालात देखकर बच्चों के स्कूल ऑनलाइन कर दिए गए हैं, खबर यह भी है कि कई लोग टॉयलेट इस्तेमाल करने के लिए मॉल्स जा रहे हैं। वहीं कर्नाटक सरकार ने स्वीमिंग पूल में पानी के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है।
स्विमिंग पूल में पीने के पानी के उपयोग पर रोक : बेंगलुरू में लगातार पानी का संकट बढ़ता जा रहा है। वहीं अब बैंगलोर जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड ने स्विमिंग पूल में पीने के पानी के उपयोग पर रोक लगा दी है। मंगलवार को आदेश दिया कि स्विमिंग पूल में पीने के पानी के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। बोर्ड ने कहा है कि आदेश का उल्लंघन करने पर 5000 रुपए का जुर्माना लगेगा।
इन पर भी प्रतिबंध : बेंगलुरु में जल संकट को देखते हुए सीवरेज बोर्ड ने स्विमिंग पूल में पीने के पानी के उपयोग पर रोक के साथ ही कार वॉश करने, कपड़े धोने और पेड़- पौधों, गमलों में पानी डालने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। नियमों के उल्लंघन पर 5 हजार जुर्माना तय किया गया है।
टेंकर माफिया हुआ सक्रिय : इस भीषण जल संकट के बीच टेंकर माफिया सक्रिय हो गया है। टेंकरों की मांग 10 गुना ज्यादा हो गई है। एक टेंकर की कीमत 1500 रुपए से लेकर 5 से 6 हजार रुपए तक पहुंच गई है। पॉश इलाकों में टेंकर माफिया लोगों से 5 हजार तक ले रहे हैं। बिगड़ते हालातों को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने टेंकर संचालकों को नियंत्रित करने के साथ ही कीमतें तय करने पर विचार किया जा रहा है।
सोशल मीडिया में वर्क फ्रॉम होम की मांग : पानी के संकट से निपटने के लिए आईटी कंपनियों के कर्मचारियों ने सोशल मीडिया में प्रशासन से वर्क फ्रॉम होम की मांग की है। स्कूल कॉलेज ऑनलाइन करने की मांग चल रही है। कई इलाकों में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
इतना पानी रोज चाहिए : बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. वी राम प्रसाद मनोहर के मुताबिक 1 करोड़ 40 लाख की आबादी वाले शहर में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 150 लीटर पानी की खपत होती है। बेंगलुरु के लिए आवश्यक कुल मात्रा 200000 एमएलडी (प्रति दिन मिलियन लीटर) है।
कहां से मिलता है बेंगलुरु को पानी : बेंगलुरु में पानी की पूर्ति कावेरी नदी, बोरवेल और जलाशयो से होती है। कावेरी से बेंगलुरु को 10450 एमएलडी पानी मिल रहा है। बेंगलुरु के अलग अलग जलाशय से 34 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (टीएमसी) पानी उपलब्ध होता है। डॉ वी राम प्रसाद मनोहर के मुताबिक बेंगलुरु को अगले 5 महीनों तक 8 टीएमसी पानी की जरूरत है।
क्या कहते हैं लोग : बेंगलुरु में रहने वाली
देवश्री मिरजकर ने
वेबदुनिया को बताया कि उनके यहां सोसायटी में इतना संकट नहीं है, क्योंकि उनके यहां अभी कावेरी का पानी आ रहा है और बोरवेल भी है। लेकिन शहर की दूसरी कॉलोनियां और सोसायटी भीषण जलसंकट से जूझ रही हैं। लोग सिर्फ टेंकर के भरोसे हैं, उन्हें टेंकर भी 5 से 6 हजार रुपए में मिल रहे हैं। हालात बहुत भयावह हैं। ईश्वर से बारिश और जल संकट दूर करने के लिए व्हाट्सएप मैसेज चलाए जा रहे हैं।
श्रीनिवास पल्ली ने बताया कि 5 हजार में एक टेंकर खरीदकर पिछले 4 दिनों से चला रहे हैं, आगे क्या होगा कुछ पता नहीं। अब तो इतने पैसे देने के बाद भी टेंकर मिलना मुश्किल लग रहा है।
चार जोन के इन इलाकों में सबसे भीषण संकट : बेंगलुरु को 4 जोन में विभाजित किया गया है। इन चार जोन के ये इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। साऊथ जोन के एचएसआर लेआउट, बोम्मनहल्ली, होस्करहल्ली, चिक्कापेटे। वेस्ट जोन में राजाजी नगर 6 ब्लॉक, पिन्या, बागलगुंटे, बापुजी नगर। ईस्ट जोन में केआर पुरम, रामामर्ति नगर, मराठाहल्ली। नॉर्थ जोन में डीजे हल्ली और वैयालीकवल इलाकों में जल संकट सबसे ज्यादा है।