मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. विजयादशमी
  4. History of Dussehra day

Dussehra : दशहरे के दिन घटी थी ये 10 घटनाएं

Dussehra : दशहरे के दिन घटी थी ये 10 घटनाएं - History of Dussehra day
आश्विन शुक्ल दशमी को मनाए जाने वाले त्योहार को दशहरा और विजयादशमी कहते हैं। इस दिन रावण और महिषासुर के वध के अलावा भी बहुत कुछ घटा था जानिए 10 घटनाएं। उल्लेखनीय है कि जब दशमी, नवमी से संयुक्त हो तो कल्याण एवं विजय के लिए अपराजिता देवी की पूजा दशमी को उत्तर-पूर्व दिशा में अपराह्न में की जाती है।
 
 
आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये।
स कालो विजयो ज्ञेयः सर्वकार्यार्थसिद्धये॥
अर्थात क्वार माह में शुक्लपक्ष की दशमी को तारों के उदयकाल में मृत्यु पर भी विजयफल दिलाने वाला काल माना जाता है। सनातन संस्कृति में दशहरा विजय और अत्यंत शुभता का प्रतीक है, बुराई पर अच्छाई और सत्य पर असत्य की विजय का पर्व, इसीलिए इस पर्व को विजयादशमी भी कहा गया है।
 
 
1.इसी दिन असुर महिषासुर का वध करके माता कात्यायनी विजयी हुई थीं।
 
2.इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर उसे मुक्ति प्रादान की थी।
 
3.कहते हैं कि इसी दिन देवी सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अग्नि में समा गई थीं।
 
4.कहते हैं कि इसी दिन पांडवों को वनवास हुआ था।
 
5.यह भी कहा जाता है कि इसी दिन पांडवों ने कौरवों पर विजय प्राप्त की थी। परंतु इसकी कोई पुष्टि नहीं है। महाभारत का युद्ध 22 नवंबर 3067 ईसा पूर्व को हुआ था जो 18 दिन तक चला था। असल में इस दिन अज्ञातवास समाप्त होते ही, पांडवों ने शक्तिपूजन कर शमी के वृक्ष में रखे अपने शस्त्र पुनः हाथों में लिए एवं विराट की गाएं चुराने वाली कौरव सेना पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की थी।
 
6.इस दिन से वर्षा ऋ‍तु की समाप्ति के साथ ही चातुर्मास भी समाप्त हो जाता है।
 
7. इस दिन शिरडी के साईं बाबा ने समाधि ली थी।
 
8. माना जाता है कि दशहरे के दिन कुबेर ने राजा रघु को स्वर्ण मुद्रा देते हुए शमी की पत्तियों को सोने का बना दिया था, तभी से शमी को सोना देने वाला पेड़ माना जाता है। कथा के अनुसार अयोध्या के राजा रघु ने विश्वजीत यज्ञ किया। सर्व संपत्ति दान कर वे एक पर्णकुटी में रहने लगे। वहां कौत्स नामक एक ब्राह्मण पुत्र आया। उसने राजा रघु को बताया कि उसे अपने गुरु को गुरुदक्षिणा देने के लिए 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं की आवश्यकता है। तब राजा रघु कुबेर पर आक्रमण करने के लिए तैयार हो गए। डरकर कुबेर राजा रघु की शरण में आए तथा उन्होंने अश्मंतक एवं शमी के वृक्षों पर स्वर्णमुद्राओं की वर्षा की। उनमें से कौत्स ने केवल 14 करोड़ स्वर्णमुद्राएं ली। जो स्वर्णमुद्राएं कौत्स ने नहीं ली, वह सब राजा रघु ने बांट दी। तभी से दशहरे के दिन एक दूसरे को सोने के रूप में लोग अश्मंतक के पत्ते देते हैं।
 
9. यह भी कहा जाता है कि एक बार एक राजा ने भगवान का मंदिर बनवाया और उसमें प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए एक ब्राह्मण को बुलाया। ब्राह्मण ने दक्षिणा में 1 लाख स्वर्ण मुद्राएं मांग ली तो राजा सोच में पड़ गया। मनचाही दक्षिण दिए बगैर ब्राह्मण को लौटाना भी उचित नहीं था तो उसने ब्राह्मण को एक रात महल में ही रुकने का कहा और सुबह तक इंतजाम करने की बात कही। रात में राजा चिंतित होते हुए सो गया तब सपने में भगवान ने दर्शन देककर कहा कि शमी के पत्ते लेकर आओ मैं उसे स्वर्ण मुद्रा में बदल दूंगा। यह सपना देखते ही राजा की नींद खुल गई। उसने उठकर शमी के पत्ते लाने के लिए अपने सेवकों को साथ लिया और सुबह तक शमी के पत्ते एकत्रित कर लिए। तभी चमत्कार हुआ और सभी शमी के पत्ते स्वर्ण में बदल गए। तभी से इसी दिन शमी की पूजा का प्रचलन भी प्रारंभ हो गया।
 
10. वैसे देखा जाए, तो यह त्योहार प्राचीन काल से चला आ रहा है। आरंभ में यह एक कृषि संबंधी लोकोत्सव था। वर्षा ऋतु में बोई गई धान की पहली फसल जब किसान घर में लाते, तब यह उत्सव मनाते थे।
 
#
पौराणिक ग्रंथों में इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि राजा भगीरथ ने अपने पुरखों को मुक्ति प्रदान करने के लिए भगवान शिव की आराधना करके गंगा जी को स्वर्ग से उतारा था। जिस दिन वे गंगा को इस धरती पर लाए, वही दिन गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र में स्वर्ग से गंगा का आगमन हुआ था।
ये भी पढ़ें
विजयादशमी विशेष : श्रीरामरक्षा स्तोत्र का पाठ हर लेगा जीवन का हर कष्ट