Vaishno Devi Mandir Ke Rahasya: जम्मू में स्थित वैष्णो देवी मंदिर शक्ति को समर्पित हिन्दुओं का एक पुरातन तीर्थ स्थल है। माता रानी या वैष्णवी के नाम से जानी जाने वाली माता पर भक्तों कई विशेष आस्था है। जम्मू में कटरा के समीप स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर उत्तरी भारत में सबसे पूज्नीय पवित्र स्थलों में से एक है। यह मंदिर 5,200 फ़ीट की ऊंचाई और कटरा से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
क्या हैं देवी के मंदिर तक पहुंचने के लिए रहस्यमई प्राचीन गुफा
भारत का विश्व प्रसिद्ध और सबसे पवित्र तीर्थ स्थल वैष्णो देवी मंदिर जम्मू-कश्मीर राज्य की त्रिकुटा पहाड़ियों पर बसा है। माता वैष्णो देवी का पवित्र मंदिर एक पहाड़ी में एक गुफा के अंदर हैं। जितना महत्व वैष्णो देवी का है, उतना ही महत्व यहां की गुफा का भी है।
देवी के मंदिर तक पहुंचने के लिए एक प्राचीन गुफा का प्रयोग किया जाता था। यह गुफा बहुत ही चमत्कारी और रहस्यों से भरी हुई है। इनके बारें में जानकर आप हैरान रह जाएगा।
क्या हैं गुफा के रहस्य
इ्स प्राचीन गुफा का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि इसमें पवित्र गंगा का जल प्रवाहित होता है। इस जल से होकर हर व्यक्ति मां के दरबार तक पहुंचता है। जिसके कारण इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है।
आदि कुंवारी गर्भजून गुफा
वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने वाली घाटी में बीच में आती है आदि कुंवारी गुफा। इस गुफा को गर्भजून गुफा के नाम से भी जाना जाता है। इस गुफा को लेकर मान्यता है कि जैसे एक शिशु माता के गर्भ में 9 महीने के लिए रहता है, माता दुर्गा यहां पर 9 महीने तक उसी प्रकार रही थीं।
इस पवित्र गुफा की लंबाई 98 फीट है। यहां पर अंदर जाने और बाहर आने के लिए दो कृत्रिम रास्ते बनाएं गए है। साथ ही यहां पर एक बड़ा सा चबूतरा भी बना हुआ है। जिसे माता वैष्णों का आसन माना जाता है। माता जाता है कि माता यहीं पर विराजित रहती हैं।
गर्भजून गुफा को लेकर मान्यता है इस गुफा में जाने से मनुष्य को फिर गर्भ में नहीं जाना पड़ता है। और यदि मनुष्य गर्भ में आता भी है तो उसे जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं उठाना पड़ता है। माता के आशीर्वाद से उसके जीवन में सुख एवं सम्रद्धि प्राप्त होती है।
प्राचीन गुफा में मौजूद है भैरव का शरीर
मां माता वैष्णो देवी के दरबार में प्राचीन गुफा का काफी महत्व है। गुफा को लेकर मान्यता है कि गुफा के अंदर भैरव का शरीर आज भी मौजूद है। इसी गुफा में माता ने भैरव को अपने त्रिशूल से मारा था। उसका सिर उड़कर भैरव घाटी में चला गया लेकिन शरीर यहां रह गया था।
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