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टाइफाइड और कोरोना में कैसे करें अंतर जानिए Experts से

टाइफाइड और कोरोना में कैसे करें अंतर जानिए Experts से - how to differentiate between typhoid and corona virus
टायफाइड के मरीज सामने आने लगे हैं। एक साथ वायरस और टाइफाइड के लक्षण लोगों को असमंजस की स्थिति में डाल रहे हैं। गर्मियों के दिनों में टाइफाइड से अधिक खतरा होने का डर रहता है। वायरस और टाइफाइड के कुछ लक्षण एक जैसे हैं तो कुछ अलग है। कैसे कोरोना वायरस और टाइफाइड के बीच के अंतर को समझें? सीधे जानते हैं एक्सपर्ट से। आयुष मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य और वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ एके द्विवेदी से।
 
डॉ एके द्विवेदी ने बताया कि,‘टायफाइड के लक्षण में सिर दर्द, पेट दर्द होता है, ज्यादा बुखार रहता है, भूख नहीं लगना, कमजोरी लगना। वहीं कोरोना के लक्षण में सर्दी-जुकाम, तेज बुखार, गले में दर्द, बदन दर्द, सुगंध नहीं आना, स्वाद नहीं आना, कमजोरी लगना। दोनों के लक्षण में समानता कम है और अंतर ज्यादा है। उस अंतर को समझना जरूरी है। हालांकि कई लोग डर के कारण भी जांच नहीं करा रहे हैं कि अगर उन्हें कोरोना हो गया तो क्या करेंगे।
 
सबसे पहले आप कोरोना की जांच कराएं। इसके बाद टाइफाइड की जांच कराएं। कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने पर आप और आपका परिवार निश्चित रहेगा। इसके बाद आप आराम से टाइफाइड का इलाज करा सकते हैं।    
 
डॉ एके द्विवेदी का कहना है कि, ‘कोरोना का ट्रीटमेंट सही समय पर शुरू करना जरूरी है, एक तय समय होता है जिसमें ठीक से ट्रीटमेंट और केयर करना जरूरी है। डर की वजह से कोरोना जांच नहीं होने पर परिवार में भी संक्रमण फैल रहा है। साथ ही मरीज की हालत भी बिगड़ जाती है।’
 
आज के वक्त में शहरों के साथ गांव में भी उतनी ही जागरूकता की जरूरत है। लोग नहीं समझते कोरोना कैसी बीमारी है? गांवों में अभियान का माध्यम बहुत सीमित दायरे तक है। सोशल मीडिया के माध्यम से अभियान चलाया जा रहा है लेकिन वह अधिकतर भ्रमित करता है, दूसरा टीवी और तीसरा समाचार पत्र। समाचार पत्र के माध्यम से लोग जागरूक होते हैं लेकिन बहुत अधिक नहीं।
 
पिछले साल गांवों में किसी प्रकार की जागरूकता नहीं थी। वे नहीं समझते कोरोना क्या होता है? भारत को गांवों का देश कहा जाता है लेकिन गांवों में घातक बीमारी को लेकर बहुत कम जागरूकता है। इसलिए कोरोना के बाद टाइफाइड की जांच कराएं।
 
इन दिनों कोरोना के साथ टाइफाइड भी हो रहा है तो चलिए जानते हैं टाइफाइड क्या होता है? कैसे पहचानें? क्या लक्षण होते हैं? क्या सावधानियां बरतना जरूरी है।
 
टाइफाइड क्या होता है? 
टाइफाइड पाचन तंत्र और ब्लडस्ट्रीम में इंफेक्शन के कारण होता है। टाइफाइड में सलोमोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाती है। सबसे पहले यह दूषित पानी और खाने के जरिए होता है। यह पाचन तंत्र को काफी हद तक प्रभावित करता है।
 
टाइफाइड के लक्षण 
 
- ठंड लगकर बुखार आना।
 
- संक्रमण होने से भूख नहीं लगना। 
 
- शरीर में दर्द होना। 
 
- बॉडी पर लाल रैशेज होना।
 
- आलस बना रहना। 
 
- टाइफाइड में मरीज को 102 से 105 डिग्री तक बुखार हो जाता है।
 
टाइफाइड होने पर बरते सावधानियां 
 
 
- साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। 
 
- गर्म पानी पीएं।
 
- दूसरों से दूरी बनाकर रखें। 
 
- कच्चा खाना नहीं खाएं, पके हुए खाने का सेवन करें।
 
- अलग कमरे में रहें ताकि संक्रमण नहीं फैलें। 
 
- तरल पदार्थ का अधिक सेवन करें। 
 
- गिले कपड़ें से अपने ष्षरीर का पोछ लें। नहाएं नहीं। 
 
- बुखार नहीं उतरने पर ठंडे पानी की पट्टी रखें।
 
टाइफाइड का इलाज कैसे संभव है ? 
 
टाइफाइड का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं के जरिए संभव है। सही समय पर ट्रीटमेंट मिलने पर हफ्ते भर में आराम मिल जाता है। हालांकि खाने-पीने का परहेज रखना जरूरी है। टाइफाइड करीब 15 दिन तक रहता है। इसलिए सावधानियां रखने पर जल्द ठीक भी हो सकते हैं।
 
टाइफाइड में घरेलू उपचार का उपयोग भी कर सकते हैं - 
 
1.गिलोय का पानी - गिलोय को रात भर पानी में भिगोकर रख दें। चार कप पानी डालकर भिगोएं। सुबह काढ़े को इतना उबालें कि एक कप पानी रह जाएं। आधा -आधा कप सुबह -शाम पिएं। 
 
2.लहसुन - लहसुन की तासीर गर्म होती है लेकिन एंटीबायोटिक और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। इसलिए इसे घी में सेक लें और सेंधा नमक डालकर एक कली को पानी से दे दें। 
 
3.तुलसी और सुरजमुखी - दोनों का अच्छे से रस निकालकर पी जाएं। साथ ही आप एक बर्तन में तुलसी की कुछ पत्तियां डालकर अच्छी तरह से उबाल लें और दिन में थोड़ा - थोड़ा 3-4 बार पिएं।
 
 
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