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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025 (14:43 IST)

Dev Diwali 2025: देव दिवाली पर इस तरह करें नदी में दीपदान, घर के संकट होंगे दूर और धन धान्य रहेगा भरपूर

देव दिवाली 2025
Dev diwali 2025 date deepadan: देव दीपावली का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। देव दीपावली को देवताओं द्वारा मनाई गई दीपावली के रूप में जाना जाता है। इस दिन त्रिपुरासुर के वध की खुशी में देवता लोग गंगा के घाट पर आकर दिवाली मनाते हैं और दीपदान करके उत्सव मनाते हैं। आओ जानते हैं कि किस तरह करें दीपदान। 
 
देव दीपावली 2025 कब है?: dev diwali 2025 date:
दिनांक: देव दीपावली 5 नवंबर 2025 बुधवार को रहेगी।
कार्तिक पूर्णिमा तिथि आरंभ: 4 नवंबर 2025, रात 10 बजकर 36 मिनट पर ।
कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त: 5 नवंबर 2025, शाम 06 बजकर 48 मिनट पर।
पूजा और दीपदान मुहूर्त: प्रदोष काल मुहूर्त (पूजा का शुभ समय) शाम 05 बजकर 15 मिनट से शाम 07 बजकर 50 मिनट तक।
 
दीपदान का अक्षय पुण्य:- इस दिन किए गए दीपदान (दीपक जलाने) का पुण्य कभी समाप्त नहीं होता और माना जाता है कि इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। माना जाता है कि इस दिन दीये जलाना अति शुभ होता है, क्योंकि ये पूरे वर्ष की खुशहाली का प्रतीक होते हैं।  पद्मपुराण के उत्तरखंड में स्वयं महादेव कार्तिकेय को दीपावली, कार्तिक कृष्णपक्ष के पांच दिन में दीपदान का विशेष महत्व बताते हैं।
Dev diwali
दीपदान की सामान्य विधि:-
1. पवित्रता: देव दिवाली के दिन (जो कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है) सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें, या नहाने के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
 
2. संकल्प और पूजा: शाम के समय, प्रदोष काल में, घर के मंदिर में भगवान गणेश, भगवान शिव (त्रिपुरारी) और भगवान विष्णु की पूजा करें। उनसे सुख-समृद्धि और दीपदान के पुण्य फल की कामना करें।
 
3. दीपक तैयार करना: दीपदान के लिए मिट्टी के दीयों (दीपक) का उपयोग करें। इनमें शुद्ध देसी घी या तिल का तेल भरकर रुई की बाती लगाएं।
 
4. दीपक की संख्या: शुभ परिणाम के लिए विषम संख्या (जैसे 5, 7, 11, 21, 51, या 101) में दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
 
5. दीपदान: तैयार किए गए दीयों को निर्धारित स्थानों पर जलाकर रखें या प्रवाहित करें।
 
दीपदान के महत्वपूर्ण स्थान
1. पवित्र नदी या जलाशय: सबसे प्रमुख दीपदान गंगा नदी के तट पर या किसी अन्य पवित्र नदी, तालाब या जलाशय में किया जाता है। इन दीयों को जल में प्रवाहित किया जाता है।
 
2. देव मंदिर: भगवान शिव (चूँकि इस दिन उन्होंने त्रिपुरासुर का वध किया था) और भगवान विष्णु के मंदिरों में दीपक जलाएँ। कुछ मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के समक्ष 8 या 12 मुख वाला दीपक जलाना विशेष कल्याणकारी होता है।
 
3. घर के महत्वपूर्ण स्थान: घर के मुख्य द्वार पर। पूजा स्थल या मंदिर में। आँगन और छत पर। तुलसी के पौधे के पास (एक दीपक)। ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
 
4. पीपल वृक्ष के नीचे: पीपल के वृक्ष के नीचे भी दीपक जलाना ज्ञान और सौभाग्य के लिए अच्छा माना जाता है।
 
5. ब्राह्मण या गुरु का घर: विद्वान ब्राह्मण या अपने गुरु के घर दीपक जलाना भी पुण्यकारी होता है।
 
दीपदान के नियम
1. दीपदान हमेशा संध्याकाल या प्रदोष काल में करना चाहिए।
2. दीपक जलाते समय मन को शुद्ध रखें और सकारात्मक ऊर्जा का ध्यान करें।
3. यदि आप नदी में दीपदान कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाएँ। 
4. आटे के दीपक का उपयोग करना पर्यावरण की दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है।
 
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