भारत के प्रति पाकिस्तान की बदनीयती जगजाहिर है और यह हिन्दुस्तान का सबसे कट्टर दुश्मन है। इतना सब कुछ होने के बावजूद भी भारत हमेशा उसे शांति का पाठ पढ़ाता रहा है। भारत ने उसकी गलतियों को नजरअंदाज करके बार-बार उससे दोस्ती का हाथ बढ़ाया, परंतु उसने हमेशा ही पीठ में खंजर भोंकने का काम किया और विश्व शांतिदूत भारत के भलमानस को वह कायर समझने की गलती करता रहा है। उसे यह मालूम नहीं है कि शांति का प्रतीक यदि आक्रामक हो गया तो पाक को खाक में मिला देगा।
भारत युद्ध नहीं शांति चाहता है, परंतु पाकिस्तान हमेशा से ही भारत को युद्ध के लिए उकसाता रहा है। बार-बार युद्ध में परास्त होने के बाद पाकिस्तान ने छद्मयुद्ध का सहारा लिया और भारत के शांति को भंग करने के लिए आतंकवाद को बढ़ावा दिया। आज पाकिस्तान आतंकियों के गढ़ के रूप में जाना जाता है और उसने भारत के लिए वर्षों से अपने दिल में नापाक इरादे को पाल रखा है। वह नासमझ यह नहीं समझ रहा है कि भारत की बरबादी के लिए वह खुद को तबाह करने पर तुला हुआ है। उसका नारा है- 'घास-फूस खाएंगे तो खाएंगे, मगर गोला-बारूद का खजाना बढ़ाएंगे।'
ये कैसी मानसिकता के लोग हैं, जो खुद को बरबाद करके दूसरों को बरबाद करने की मंशा रखते हैं। पाक को भारत की तबाही को छोड़कर कुछ नजर ही नहीं आता है। शांति का आनंद कैसा होता है उसे पता ही नहीं है, कारण कि उसने हमेशा से अशांति को गले से लगा रखा है। उसे अपने चश्मे का नंबर बदलना चाहिए ताकि उसे शांति और अशांति के बीच का अंतर दिख सके। उसे समझ में आना चाहिए कि मानव जीवन कल्याणकारी होना चाहिए, न कि विनाशकारी। आज पाकिस्तान की जो भी दशा है, वह उसकी गलतियों के कारण है। वह हमेशा से ही नफरत की आग में खुद को झुलसा रहा है। उसे अमनप्रिय और शांतिप्रिय देश व लोग पसंद नहीं है।
पुलवामा कांड के बाद भारत ने पाक के खूंखार वहशी दरिंदों के खिलाफ जो प्रभावी कदम उठाए, वे बहुत जरूरी हो गए थे। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े ठिकाने, जो कि बालाकोट में स्थित था, उसे जिस प्रकार भारतीय वायुसेना ने निशाना बनाकर नेस्तनाबूद कर दिया, वो वाकई हौसला-अफजाई पैदा करने वाला मिशन था। मिशन सफल रहा और विश्व में भारत ने अपनी कुशलता और शौर्य का परिचय दिया। भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है, परंतु अंदरर से वह इतना विवश है कि वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा है। विश्व के कई अन्य देश आज भारत के पक्ष में नजर आ रहे हैं।
जिस प्रकार लातों के भूत बातों से नहीं मानते, उसी प्रकार पाकिस्तान के विरुद्ध भारत को सख्त रवैया अपनाए रखने की जरूरत है। पाकिस्तान से किसी प्रकार का वास्ता नहीं रखना चाहिए और सारे आयात-निर्यात को हमेशा के लिए बंद कर देना चाहिए। उसकी हर दुष्टता को जोरदार तरीके से जवाब देते रहना चाहिए जिससे कि उसे भारत की शक्ति का अंदाजा लग सके। साथ ही आतंकी देश पाकिस्तान पर विश्वस्तरीय राजनीतिक दबाव बनाए रखने की जरूरत है, जो फिलहाल उस पर बना हुआ है।
देखा जाए तो भारतीय सेना के शौर्य और कौशल का डर एवं विश्वस्तरीय प्रेशर का ही नतीजा है कि पाकिस्तान हमारे जांबाज विंग कमाडर अभिनंदन को रिहा करने पर मजबूर हुआ, वरना वो आतंकी देश ऐसा कभी न करता। पाकिस्तान ढोंगी देश है, जो गिरगिट की तरह रंग बदलने में माहिर है और उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
पाकिस्तान जब तक आतंकी हरकतों से बाज नहीं आता, तब तक उस पर सख्त कार्रवाई करते रहना चाहिए।
आतंक पर आतंक मचाकर ही शिकंजा कसा जा सकता है और वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान को उसके कर्मों की सजा मिलेगी, क्योंकि अब भारत की बर्दाश्त की सीमा टूट चुकी है। अब 'नवीन भारत' आतंक को करारा जवाब देने के लिए संकल्पित है।