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Written By Author सुरेश डुग्गर

नोटबंदी से शायद ही अधिक असर पड़े कश्मीर के आतंकवाद पर

नोटबंदी से शायद ही अधिक असर पड़े कश्मीर के आतंकवाद पर - currncy ban, demonetization, terrorism
केंद्र सरकार के दावों के बावजूद यह एक कड़वी सच्चाई है कि नोटबंदी के कारण कश्मीर के आतंकवाद पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। कारण पूरी तरह से स्पष्ट है कि पिछले कुछ सालों से कश्मीर के आतंकवाद को होने वाली फंडिंग असली भारतीय करेंसी से हो रही है न कि नकली नोटों से।
इसे वे अधिकारी स्वीकार करते हैं जो पिछले कई सालों से कश्मीर में फैले आतंकवाद के नाश के लिए जुटे हुए हैं और आतंकवाद को होने वाली फंडिंग पर कई सालों से नजर भी रखे हुए हैं। फिलहाल कई सालों से ऐसी फंडिंग का रैकेट तोड़ने में ये अधिकारी नाकाम रहे हैं।
 
ऐसे एक अधिकारी के बकौल, जबसे हवाला चैनलों की नकेल कसी गई है अलगाववादियों को मिलने वाला धन असली भारतीय करेंसी में लीगल तरीके से छोटी छोटी रकमों के रूप में ऐसे तरीकों से मुहैया करवाया जा रहा है जिन्हें तलाश कर पाना आसान नहीं है। अधिकारियों के बकौल, कभी-कभार ऐसी धनराशि ऐसे आम नागरिकों के खातों के माध्यम से भी ट्रांसफर होती रही है जो कश्मीर में आतंकवाद फैला रहे युवकों से सहानुभूति रखते हैं।
 
कश्मीर में आतंकवाद पर नजर रखने वाले एक पुलिस अधिकारी का कहना था कि ऐसे में जबकि कश्मीर के आतंकवाद में अब स्थानीय युवकों की भूमिका सीमित होती जा रही है तो आतंकवाद की फंडिंग के लिए नगदी का प्रवाह उतना नहीं रह गया है जो ऐक दशक पहले हुआ करता था। हालांकि कुछेक अलगाववादी नेताओं के पास नगदी कुछ चैनलों से पहुंचाई जाती रही है वे नोटबंदी के कारण थोड़ा परेशान जरूर हैं। पर वे जानते हैं कि उनके पास जो नगदी है वह असली नोटों के रूप में है जिस कारण वे उसे बदलवाने की जुगत में जुट गए हैं।
 
एक दशक पहले तक कश्मीर के आतंकवाद की फंडिंग नकली नोटों से हुआ करती थी लेकिन कुछ साल पहले सईद अली शाह गिलानी के खास गुलाम मुहम्मद बट को नकली नोटों की बहुत बड़ी खेप के साथ पकड़े जाने के बाद अलगाववादियों को मिलने वाली नगदी का प्रारूप और रास्ता पूरी तरह बदल गया था। उसके बाद उन्हें लीगल चैनल से असली भारतीय नोट मुहैया करवाए जाने लगे थे। उन्हें छोटी छोटी रकम के रूप में फंडिंग आरंभ हुई और यही सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द इसलिए बन गया क्योंकि वे आज तक इस रैकेट को तोड़ पाने में नाकाम रहे हैं।
 
हालांकि जम्मू कश्मीर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उम्मीद करते हैं कि नोटबंदी के बाद कश्मीर में आतंकवाद को होने वाली फंडिंग में कमी आएगी पर वे भी आशंकित इसलिए थे क्योंकि वे भी जानते थे कि अलगाववादियों और आतंकियों मिलने वाली नगदी का प्रवाह कानूनी तरीकों से होने के कारण उन्हें अलगाववादियों पर कानूनी शिकंजा कसने में दिक्कत होती है।
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