Hindu rashtra: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री तक सभी इन दिनों भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात कर रहे हैं। हालांकि कभी नेपाल ही एकमात्र ऐसा देश था, जो आधिकारिक रूप से हिन्दू राष्ट्र था। लेकिन, 2008 में राजशाही को समाप्त कर नेपाल को भी धर्मनिरपेक्ष देश बना दिया गया। एक अनुमान के मुताबिक विश्व के करीब 52 से अधिक देशों में हिंदू रहते हैं, जिसमें भारत, नेपाल, फिजी, सूरीनाम और मॉरीशस में हिन्दू बहुसंख्यक हैं। भारत 1976 में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना, इससे पहले संविधान में पंथ निरपेक्ष शब्द का उल्लेख था।
दूसरी ओर, विश्व में 50 से ज्यादा इस्लामिक राष्ट्र हैं। इनमें से बहुत से देश ऐसे भी हैं जो विशुद्ध रूप से इस्लामी कानून से ही संचालित होते हैं, जबकि कई देश ऐसे हैं जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था तो है, मगर वे इस्लामिक राष्ट्र हैं। ऐसे देशों में गैर मुस्लिमों को तुलनात्मक रूप से कम अधिकार हैं। जबकि, भारत में जाति और धर्म के आधार पर किसी से भी भेदभाव नहीं किया जाता है। भारत में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तो यहां तक कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है। वहीं, विश्व में करीब 90 देश ऐसे हैं जो ईसाई बहुल हैं।
कहां से उपजी हिन्दू राष्ट्र की धारणा :
1925 में संघ की स्थापना हुई और उसके बाद से ही अखंड भारत और उसी के साथ ही हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा को बढ़ावा मिला। उस वक्त हिंदुत्व के सबसे प्रभावशाली विचारक विनायक दामोदर सावरकर ने अपनी किताब 'हिंदुत्व : कौन है हिंदू' में इस बारे में विस्तार से लिखा।
भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने के लिए क्या करना होगा : हालांकि यह संभव नहीं लगता, लेकिन यदि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किए जाने का विचार आगे बढ़ता है तो इसके लिए सबसे पहले कैबिनेट की मंजूरी लेना होगी और फिर इसके बाद संविधान में संशोधन करने की आवश्यकता भी होगी। संशोधन के बाद ही धर्म निरपेक्ष की जगह भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाया जा सकता है, परंतु अभी तक न तो कैबिनेट ने ऐसा कोई प्रस्ताव पारित किया है और न ही ऐसा कोई प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में विचाराधीन है और न ही आगे इसकी कोई संभावना नजर आती है।
प्राचीन काल में हिन्दू राष्ट्र :
प्राचीन काल में भारत 16 से 18 जनपदों में विभाजित था। हर जनपद का राजा अपने शासन क्षेत्र में राज पुरोहितों और मंत्रियों की सलाह से अपनी नीति तय करता था। सभी जनपदों का मूल धर्म वैदिक धर्म ही था। लेकिन कहीं पर शैव पंथ तो कहीं पर वैष्णव पंथ का ज्यादा प्रचलन था तो कहीं पर कार्तिकेय, स्मार्त, शाक्त और कहीं पर गणपति संप्रदाय का जोर था।
प्राचीन काल में ऋषभदेव की परंपरा में जब भरतबाहु ने इस संपूर्ण भरत खंड पर राज किया था तब भारत एक ऐसा राष्ट्र था जहां पर जैन, वैदिक विचारधारा और चार आश्रम आधारित व्यवस्था का सम्मान किया जाता था। तब सभा और समिति मिलकर काम करती थी। महाभारत तक यह परंपरा प्रचलित रही।
राजा विक्रमादित्य के काल में जब संपूर्ण भरतखंड उनके अधिकार क्षेत्र में था जब अघोषित रूप से यह एक हिन्दू राष्ट्र (सनातन) ही था। उनके राज्य क्षेत्र में शैव, वैष्णव, शाक्त, कार्तिकेय, गणपत, वैदिक सभी पंथों का सम्मान था और वे सभी भारतीय धर्म और संस्कृति की मूल विचारधारा के साथ जीवन यापन करते थे।
सम्राट अशोक के काल में यह देश बौद्ध धर्म की राह पर चलने लगा और इसके बाद यह पुष्यमित्र शुंग के काल में पुन: वैदिक धर्म की विचारधारा से संचालित होने लगा। सम्राट हर्षवर्धन और पुलकेशिन द्वितीय तक भारत हिंदुत्व की विचारधारा से ही संचालित होता रहा। मध्यकाल के प्रारंभिक काल में जहां भारत में हजारों मंदिर बनाए गए वहीं भारतीय धर्म की पताका भी विश्व भर में फहराई गई लेकिन इसी दौर में मोहम्मद बिन कासिम के आक्रमण और उसके बाद के आक्रमणों से भारत में इस्लाम धर्म का विस्तार हुआ।
मध्यकाल में में हिन्दू राष्ट्र :
इस्लामिक आक्रमणों के दौर और यहां पर अधिकतर क्षेत्रों पर मुस्लिमों की सत्ता कायम होने के बाद युद्ध का एक नया दौर चला जिसमें भारत को पुन: एक हिन्दू राष्ट्र बनाए जाने का संघर्ष चला और इस संघर्ष में तीन सबसे बड़े नाम उभरकर आए पहला कृष्णदेव राय (1509 ई.-1529), दूसरा वीर महाराणा प्रताप (1540-1597), तीसरा छत्रपति शिवाजी महाराज (1630-1680)। विजयनगर साम्राज्य राजपूत साम्राज्य और मराठा साम्राज्य ने पुन: हिन्दुत्व पर आधारित शासन क्षेत्र कायम किया।
आधुनिक काल में हिन्दू राष्ट्र :
अंग्रेजों के आने के बाद संपूर्ण भरतखंड ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आ गया और फिर 200 वर्ष की गुलामी के बाद चले आजादी के आंदोलन के बाद 1947 में भारत का धर्म के आधार पर विभाजन हो गया। पाकिस्तान बना मुस्लिम राष्ट्र और हिंदुस्तान बना एक 'गणतांत्रिक देश'। भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ। उसी दिन से भारत एक लोकतांत्रिक देश के रूप में उभरकर सामने आया। लेकिन 26 साल बाद 1976 में 42वां संशोधन करके उसकी प्रस्तावना में भारत के लिए समाजवादी धर्म निरपेक्ष शब्द जोड़ा गया।
हिन्दू राष्ट्र की मांग :
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हिंदू राष्ट्र का खुला समर्थन किया जिसका बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विरोध करते हुए कहा कि इसकी अवधारणा महात्मा गांधी के आदर्शों के खिलाफ है। दूसरी ओर संघ प्रमुख मोहन भागवत कह चुके हैं कि भारत 15-20 सालों में अखंड राष्ट्र बन जाएगा। लोगों ने अखंड भारत के निर्माण में सहयोग नहीं भी किया, तो भी ऐसा होकर ही रहेगा- हां, तब समय 20 से 25 साल तक लग सकते हैं, लेकिन कोई ये न सोचे कि ऐसा होना नामुमकिन है।
देखा जाए तो अखंड भारत और हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा या सपना कोई नया नहीं है। यह तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के पूर्व से ही चला आ रहा विचार है जिसे संघ ने स्थापित किया और अब इसकी मांग इसलिए ज्यदा जोर पकड़ने लगी है क्योंकि इसी विचारधारा से जुड़े लोग सत्ता में हैं।
यहां यह बात समझना होगी कि अखंड भारत का दायरा हिंदू राष्ट्र के मुकाबले काफी बड़ा है। अखंड भारत में पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, बर्मा आदि कई देश शामिल होते हैं जबकि हिन्दू राष्ट्र वर्तमान भारत और उसकी सीमा के संदर्भ में परिभाषित होता है।
जानकार लोग कहते हैं कि हिन्दू राष्ट्र बनने का अर्थ यह नहीं होगा कि मुस्लिमों या ईसाइयों के अधिकार कम हो जाएंगे या उन्हें उसी तरह ट्रीट किया जाएगा जिस तरह की इस्लामिक राष्ट्र में अल्पसंख्यकों को ट्रीट किया जाता है। नेपाल एक हिन्दू राष्ट्र था लेकिन वहां पर ईसाइयों और मुस्लिमों को भी बराबरी के अधिकार थे।
दरअसल जो लोग हिन्दू राष्ट्र की बात करते हैं उनका मानना है कि ईसाई और मुस्लिम भी हिन्दू ही है। इसका तात्पर्य हिन्दुस्तान में रहने वाले व्यक्तियों से है। जिस तरह भारत में रहने वाला हर व्यक्ति भारतीय है, उसी तरह हिन्दुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति हिन्दू है।