पीएम मोदी बोले, योग के बाद दुनिया ने अब आयुर्वेद को भी अपनाया
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि सेहत को योग से होने वाले लाभ को देखकर ही दुनिया ने इसे अपनाया और अब उसी प्रकार कोरोना महामारी के वैश्विक संकट के दौरान भारत के सदियों पुराने आयुर्वेद के सिद्धांतों को भी अपनाया गया है।
मोदी ने रविवार को अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में देश के युवाओं से आह्वान किया कि वे आयुर्वेद के विभिन्न पहलुओं की वैज्ञानिक तरीके से दुनिया के समक्ष व्याख्या प्रस्तुत करें, जिससे चिकित्सा क्षेत्र में भारत के प्राचीन आयुर्वेद के ज्ञान का वैश्विक लाभ सुनिश्चित किया जा सके।
उन्होंने युवाओं से कोरोना संकट को आयुर्वेद का विश्वव्यापी प्रसार करने के एक अवसर के रूप में देखने की अपील की। प्रधानमंत्री ने इस दौरान कोरोना की वजह से सार्वजनिक स्थलों पर थूकने जैसी लोगों की तमाम आदतों में भी बदलाव लाने का आह्वान किया।
मोदी ने कहा कि दुनिया ने योग की तरह ही आयुर्वेद को भी अब सम्मान के भाव से देखना शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने ही देश में अपने प्राचीन पारंपरिक ज्ञान की परंपराओं को नकारने की प्रवृत्ति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य रहा है कि हम अपनी ही शक्तियों को नकार देते है, लेकिन जब विदेशी लोग, ज्ञान की इस शक्ति को वैज्ञानिक प्रमाण के साथ बताते है तो हम उसे स्वीकर कर लेते हैं।
मोदी ने युवाओं से कहा कि भारत की युवा पीढ़ी को इस चुनौती को स्वीकार करना होगा कि योग की तरह, आयुर्वेद को भी विश्व स्वीकार करे। इसके लिये युवाओं को वैज्ञानिक भाषा में दुनिया को अपने आयुर्वेद को समझाना होगा।
प्रधानमंत्री ने कोरोना के संक्रमण से बचने के लिये आयुर्वेद में सुझाए गए गरम पानी पीने सहित अन्य उपायों का पालन करने की देशवासियों से भी अपील की। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि आयुष मंत्रालय ने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जो प्रोटोकॉल दिया था उसका आप पालन कर रहे होंगे। इससे आपका लाभ होगा।
कोरोना संकट में लोगों की कुछ आदतों में भी बदलाव आने का जिक्र करते हुये मोदी ने कहा, ‘कोविड-19 ने हमारी कुछ आदतें भी बदली हैं। इस संकट ने हमारी समझ और चेतना को जागृत किया है। इसमें मास्क पहनना या चेहरे को ढक कर रखना शामिल है।‘
उन्होंने कहा कि मास्क अब सामान्य जनजीवन का हिस्सा बन रहा है। इसका इस्तेमाल करने की आदत हमें पहले नहीं थी। मोदी ने स्पष्ट किया कि इसका यह मतलब नहीं है कि जो मास्क लगाते हैं वे बीमार हैं। (भाषा)