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Last Updated : रविवार, 26 दिसंबर 2021 (13:15 IST)

कोरोना रिकवरी के बाद ‘पापा’ बनने में हो सकती है परेशानी, ये स्‍टडी पढ़ लीजिए

कोरोना रिकवरी के बाद ‘पापा’ बनने में हो सकती है परेशानी, ये स्‍टडी पढ़ लीजिए - Erectile Dysfunction, Covid 19 Damages Quality of Sperm,
कोरोना के बाद कई तरह के साइड इफेक्‍ट लोगों में देखे गए। लेकिन अब एक नई स्‍टडी में जो इफेक्‍ट सामने आया है, उसके बारे में जानकर हैरान रह जाएंगे आप।

दरअसल, यह स्‍टडी पुरुषों से जुड़ी है। दरअसल, कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में अब स्‍पर्म क्‍लालिटी के साथ ही इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या आ रही है। यानी अब पुरुषों में ज्‍यादातर लोग डॉक्‍टरों के पास अपनी यह समस्‍या लेकर जा रहे हैं। इस नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि रिकवरी के बाद भी कोरोना वायरस उनके जननांगों में घुस रहा है।

जिसकी वजह से पुरुषों को इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या आ रही है। इसका मतलब यह हुआ कि पुरुष शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार नहीं हो पा रहे हैं। इसका असर उनके पिता बनने पर भी पड सकता है।

कैसे होता है असर?
दरअसल, कोरोना वायरस पुरुषों के लिंग के अंदर मौजूद इरेक्टाइल कोशिकाओं में कब्जा कर लेता है। इससे पुरुषों की यौन क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा है मियामी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दो पुरुष कोरोना मरीजों के लिंग का स्कैन किया। ये स्कैनिंग इन पुरुषों की रिकवरी के 6 महीने बाद की गई। जांच में पता चला कि उनके जननांगों के अंदर मौजूद इरेक्टाइल सेल्स के अंदर कोरोना वायरस पहुंच गया है। जिसकी वजह से इन पुरुषों को स्तंभन दोष (Erectile Dysfunction) की दिक्कत आ रही है।

स्‍पर्म को लेकर क्‍या कहती है यह स्‍टडी
इस स्‍टडी में 1 महीने पहले ठीक हुए मरीजों के स्पर्म की जांच की गई, तो सामने आया कि 60% मरीजों की स्पर्म मोटिलिटी और 37% के स्पर्म काउंट पर असर पड़ा।

इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन ने बेल्जियम के 120 कोरोना संक्रमितों पर रिसर्च के बाद ये जानकारी दी है। सभी संक्रमितों की उम्र 35 साल के आसपास थी। सभी को ठीक हुए 1 से 2 महीने हो चु‍के थे।

लंदन की एक यूनिवर्सिटी की रिसर्च में यह बात सामने आई है कि कोविड-19 संक्रमण स्पर्म की क्वालिटी को डैमेज करता है। संक्रमित के ठीक होने के बाद भी महीनों तक उसके स्पर्म पर इसका असर रहता है।

जब 1 महीने पहले ठीक हुए मरीजों के स्पर्म की जांच की गई, तो सामने आया कि 60% मरीजों की स्पर्म मोटिलिटी और 37% के स्पर्म काउंट पर असर पड़ा। जब 1 से 2 महीने के अंदर दोबारा जांच की गई, तो 37% की स्पर्म मोटिलिटी और 29% का स्पर्म काउंट प्रभावित मिला। वहीं, 2 महीने बाद जांच करने पर 28% की स्पर्म मोटिलिटी और 6% का स्पर्म काउंट कम मिला।
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