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Last Updated : शनिवार, 1 मई 2021 (15:45 IST)

क्‍या कोरोना वैक्‍सीन की तीसरी डोज भी है जरूरी? क्‍या कहा विशेषज्ञों ने

क्‍या कोरोना वैक्‍सीन की तीसरी डोज भी है जरूरी? क्‍या कहा विशेषज्ञों ने - Coronavirus, virus, vaccination
भारत समेत दुनिया के कई देशों में वैक्‍सीनेशन की प्रक्रिया जारी है। कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अब वैक्‍सीन का रोल सबसे बड़ा हो गया है। भारत समेत दुनिया के कई देशों में वैक्‍सीनेशन की प्रक्रिया को शुरू की जा चुकी है।

दो शॉट्स के साथ वैक्‍सीन लोगों को लगाई जा रही है। इस बीच फाइजर की वैक्‍सीन को तैयार करने वाली कंपनी बायोएनटेक की चीफ मेडिकल ऑफिसर (CMO) ने कहा है कि लोगों को इस वैक्‍सीन का तीसरा शॉट भी लगवाना पड़ सकता है।

बायोएनटेक की को-फाउंडर और सीएमओ डॉक्‍टर ओजलेम ट्रूसी ने बुधवार को दिए इंटरव्‍यू में कहा है कि कोविड-19 वैक्‍सीन की दो डोज दी जा रही हैं।

लेकिन वायरस को रोकने के लिए इम्‍युनिटी मजबूत करने के लिए वैक्‍सीन की तीसरी डोज की जरूरत भी पड़ सकती है। फाइजर के सीईओ अल्‍बर्ट बोरला ने भी उनके इस बयान से सहमति जताई है। डॉक्‍टर ओजलेम ने ही फाइजर के साथ मिलकर इस वैक्‍सीन को डेवलप किया है।

उन्‍होंने उम्‍मीद जताई है कि जिस तरह से हर साल सीजनल फ्लू से बचने के लिए लोग दवाई लेते हैं, उसी तरह से कोविड-19 की वैक्‍सीन हर साल लेनी पड़ सकती है। डॉक्‍टर ट्रूसी की मानें तो वैक्‍सीन से मिली हुई इम्‍युनिटी समय के साथ कमजोर पड़ सकती है।

डॉक्‍टर ट्रूसी के मुताबिक यह बात महत्‍वपूर्ण है कि वैज्ञानिक हर साल वैक्‍सीनेशन की प्रक्रिया को इम्‍युनिटी के कमजोर होने का इशारा मानते हैं। लेकिन इसके साथ ही साथ ही कोविड-19 के खिलाफ प्राकृतिक इम्‍युनिटी भी बहुत जरूरी है।

उन्‍होंने बताया कि वायरस के खिलाफ इम्‍युनिटी कुछ कमजोर पड़ती जा रही है। इससे पहले बोरला ने भी 15 अप्रैल को तीसरे शॉट या बूस्‍टर शॉट के बारे में बात की थी।

उनका कहना था कि 12 माह के अंदर पूरी तरह से वैक्‍सीनेट होने के बाद तीसरी बार वैक्‍सीन को लगाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। बोरला की मानें तो लोगों को हर साल इस तरह के बूस्‍टर शॉट की जरूरत पड़ सकती है।

इससे पहले फाइजर की तरफ से कहा गया था कि कोविड-19 की वैक्‍सीन कोरोना वायरस के खिलाफ 91 फीसदी से ज्‍यादा प्रभावी है।

वहीं इसकी डोज दूसरी बीमारियों से बचाव के लिए 95 फीसदी से ज्‍यादा प्रभावी है। मॉर्डेना जिसने फाइजर की ही तरह तकनीक का प्रयोग करके वैक्‍सीन को डेवलप किया है, उसकी वैक्‍सीन को भी छह माह तक के लिए प्रभावी बताया जा रहा है। दूसरी तरफ रिसर्चर्स का कहना है कि उन्‍हें अभी इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि 6 माह के बाद कितने समय तक वायरस के खिलाफ सुरक्षा लोगों को हासिल होगी। मगर स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी और विशेषज्ञों की मानें तो कुछ समय के बाद वैक्‍सीन से मिली सुरक्षा में कमी आने लगती है।

माना जा रहा है कि अमेरिकी सरकार तीसरी डोज के लिए ड्रगमेकर्स से संपर्क कर सकती है ताकि अतिरिक्‍त डोज सप्‍लाई हो सकें और साथ ही वैक्‍सीन डिस्‍ट्रीब्‍यूशन का प्‍लान भी बनाया जा सकता है।