Ground Report : कोरोनावायरस संक्रमण और विरोध प्रदर्शनों के बीच भी खुश हैं हांगकांग में लोग
पूरी दुनिया इन दिनों कोरोनावायरस (Coronavirus) से लड़ रही है, वहीं हांगकांग कोरोना के साथ विरोध प्रदर्शनों से भी जूझ रहा है। 2002 से 2004 तक सॉर्स महामारी का सामना कर चुके यहां के लोग पहले से ही संभले हुए हैं। भारतीय प्रवासी एवं लंदन बिजनेस स्कूल से एमबीए तथा हांगकांग विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग कर चुकीं और यहां एक बीमा कंपनी में पोर्ट फोलियो मैनेजर के रूप में कार्यरत मेघा सिंह ने हांगकांग की वर्तमान स्थिति पर वेबदुनिया से खास बातचीत की।
मेघा कहती हैं कि इस दौरान मैं और मेरे पति घर पर ही रह रहे हैं। इसके चलते लिविंग या बैडरूम ही हमारा ऑफिस बन गया है। मेरे पति स्टडी रूम में काम करते हैं। हमने अपने हेल्पर को घर पर ही रहने को कहा है। इस दौर में मैं भोजन एवं कपड़ों का ध्यान रखती हूं एवं मेरे पति सफाई एवं किराने की खरीदारी करते हैं।
हम मध्य हांगकांग के बाहर न्यू टेरेटरी में रहते है। हम जिस सोसायटी में रहते हैं, उसके पीछे पहाड़ एवं समुद्र तट है। इस जगह भीड़ नहीं होने से हम प्रतिदिन सुबह एवं सांयकाल पैदल भी जाते हैं। यहां घर बहुत छोटे हैं। कोरोना के मामले में अब स्थिति बेहतर हो रही है। मेरा एवं मेरे पति का मानना है कि एक स्वस्थ मस्तिष्क को भी भोजन की आवश्यकता होती है। इसकी पूर्ति किताबों, पॉडकास्ट एवं अन्य चीजें सीखने से होती है। हालांकि विरोध प्रदर्शनों का दौर लगातार जारी है। लेकिन, इस सबके बावजूद यहां लोग खुश है।
कोरोना एवं विरोध प्रदर्शन के चलते हमारी कंपनी के कई सेलिब्रेशन कुछ समय के लिए स्थगित या फिर रद्द कर दिए हैं। महत्वपूर्ण कार्यों को लेकर यात्राओं को रद्द नहीं किया गया है। मुझे एवं मेरे पति दोनों को ही घर पर मेहमानों का स्वागत-सत्कार करने में आनंद आता है। मुझे आनंद आता है जब लोग मेरे बनाए खाने की तारीफ करते हैं। वर्तमान में हमने घर की पार्टियों को बिलकुल रोक दिया है।
वर्क फ्रॉम होम की चुनौतियां : कोविड-19 के दौरान घर पर रहने से कई प्रकार के बदलाव आए हैं। हम अपनी टीम से जुड़ने के लिए डिजिटल तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। यह व्यक्ति से आमने-सामने बैठकर किए जाने वाले संचार के समान प्रभावी नहीं है। डिजिटल संवाद में कई प्रकार की चुनौतियां भी हैं। कभी आवाज कट जाती है, कभी अचानक इंटरनेट की समस्या के कारण कनेक्टीविटी हट जाती है।
सॉर्स महामारी से सीखा : हांगकांग सरकार एवं यहां के निवासियों में 2002 से 2004 तक सॉर्स महामारी से बहुत कुछ सीखा है। इसलिए वह वर्तमान स्थिति को और अधिक संभालने में सक्षम है। यहां लोग बहुत अनुशासित हैं। जब स्वच्छता और सुरक्षा की बात आती है तो यहां लगभग सभी लोग मास्क पहनते हैं। अधिकांश सार्वजनिक स्थानों जैसे ट्रेन स्टेशन, मॉल, दुकानें आदि में कई स्थानों पर स्वचालित हैंड सेनेटाइजर की व्यवस्था है।
स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखते हुए हाईकिंग ट्रेल्स, फैमिली टेल्स, गार्डन, बीच एक्टिीविटीज, साईकिल ट्रेक आदि का उपयोग कर स्वस्थ रहने का पूर्ण प्रयास करते हैं। हांगकांग में कोविड-19 से पहले भी लिफ्ट के बटन नियमित रूप से हर 6 घंटे में साफ किए जाते रहे हैं। वहीं अब कई जगहों पर कोरोना से लड़ने के लिए अब अधिक बार लिफ्ट के बटनों को साफ किया जाता है।
रेगुलर ब्रेक के साथ करें काम : मेघा कहती हैं कि घर से काम करने के दौरान हमें कंपनी के समययानुसार कार्य एवं प्रोजेक्ट को पूरा करना, ग्राहकों को सही समय पर सेवा देना एक चुनौती है। हमें घर पर रहते हुए ऑफिस के काम को पूरा करने के लिए एक प्लान बनाना चाहिए। व्हाट्सएप एवं वीडियो कॉल या अन्य माध्यमों के जरिए ऑफिस का काम तो करें ही इसके साथ ही अपने परिजनों एवं मित्रों से भी संपर्क बनाकर बातचीत करते रहें।
हम हांगकांग में सात साल से रह रहे हैं। यहां की स्थानीय भाषा हमें नहीं आती है। कोविड को लेकर यहां अंग्रेजी मीडिया ने अच्छा काम किया है। हांगकांग के स्वास्थ्य अधिकारी एडवाइजरी जारी करने के साथ ही यहां के प्रमुख डॉक्टर और अस्पताल की गतिविधियों की जानकारी भी देते हैं।
अर्थव्यवस्था पर पड़ा प्रभाव: कोरोना के कारण हांगकांग में अर्थव्यवस्था पर बहुत प्रभाव पड़ा है। वास्तव में यह चीन एवं अमेरिका में व्यापारिक युद्ध एवं विराध की स्थिति से भी काफी ऊपर है। मेरा मानना है कि यहां स्थिति सामान्य होने में तीन साल लग सकते हैं।
पर्यटन पर पड़ा बुरा असर : हांगकांग में कोविड-19 के कारण पर्यटन पर बुरा असर पड़ा है। हांगकांग लोगों के लिए घूमने का पसंदीदा स्थान है। यहां पर्यटन एवं पर्यटन सबंधी व्यवसायों पर बुरा असर पड़ा है। लंबे समय से एयरलाइन कंपनियों का संचालन बाधित हुआ है। हांगकांग के आर्कषक स्थल डिजनीलैंड, ओसियन पार्क आदि की तो ऑपरेशन कॉस्ट भी नहीं निकली है। बहुत से प्रख्यात रेस्टोरेंट ने अपने स्टॉफ को बाहर किया है।
हांगकांग में में सभी सार्वजनिक स्थान खुले हुए हैं, लेकिन फिर भी सभी को सुरक्षा के हिसाब से लोगों को नियमों का पालन करते देखा जा सकता है। यहां ग्रामीण क्षेत्र बहुत कम है। ये कई द्वीपों का समूह है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी सभी सार्वजनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसलिए ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में अधिक अंतर नहीं है।
मेघा कहती हैं कि भारत में लॉकडाउन करने का साहसिक निर्णय लिया गया जो कि अभूतपूर्व था। यदि लॉकडाउन कुछ हफ्तों पहले लगा दिया जाता तो शायद स्थिति और बेहतर होती। दूसरी ओर, चीन साधन संपन्न देश है। चीन ने कोविड से लड़ने के लिए संसाधनों का भरपूर उपयोग किया, जबकि अमेरिका ने कोरोना काल में बहुत ही खराब दौर देखा है।
भगवान के भरोसे मत बैठे रहिए... : मेघा कहती हैं कि लॉकडाउन के कारण हम भारत में बहुत ही बुरी स्थिति से गुजर रहे थे। मैं इसके लिए किसी को दोष नहीं दे रही हूं। इस संदर्भ में मुझे बॉलीवुड की फिल्म का एक डॉयलॉग याद आता है- 'भगवान के भरोसे मत बैठे रहिए, क्या पता वो हमारे भरोसे बैठा हो'। कहने का तात्पर्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति एवं संस्थान को या सिस्टम को अपना काम करना होता है और उसे यह करना भी चाहिए।
मेरा मानना है कि कोविड-19 लंबे समय तक हमारे साथ रहने वाला है। सभी को अब इसके साथ जीने का तरीका सीखना चाहिए। मानव जाति ने कई महामारियों एवं युद्धों को झेला है। हम इस लड़ाई से भी निजात पा जाएंगे। हमें हमेशा अनुशासित और दयालु होने की जरूरत है।