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Written By Author कीर्ति राजेश चौरसिया
Last Modified: मंगलवार, 31 मार्च 2020 (12:42 IST)

बुरे वक्त में किन्नर भी लोगों की मदद के लिए आगे आए

बुरे वक्त में किन्नर भी लोगों की मदद के लिए आगे आए - Corona Virus : Help by kinnar community in Chhatarpur
देशभर में लॉकडाउन का असर शहर से लेकर गांव तक सभी जगह देखने को मिल रहा है, जिसके चलते आम और खास सभी परेशान हैं। दूसरी ओर लोग एक-दूसरे की मदद करने में भी लगे हुए हैं। सबसे अहम बात तो यह है कि शादी और बच्चों के जन्म के अवसरों पर नेग वसूलने वाले किन्नर आगे बढ़कर इस मुश्किल वक्त में लोगों की मदद कर रहे हैं। 
 
यह मामला मध्यप्रदेश बुंदेलखंड अंचल के छतरपुर जिले का है, जहां किन्नर समुदाय के लोग जरूरतमंद लोगों को खाने-पीने का सामान उपलब्ध करवा रहे हैं। दरअसल, छतरपुर की नीतू जान और उर्फ नीतू किन्नर और उनके साथी समाजसेवा की इस मुहिम में लगे हुए हैं।
 
दरअसल, लॉकडाउन के इस दौर में गरीब, असहाय, जरूरतमंद, मज़बूर, मजदूर लोगों को खाने के लाले पड़े हुए हैं। लॉकडाउन के चलते उन्हें काम भी नहीं मिला रहा है, जिससे वह और उनके बच्चे भूखे मरने की नौबत आ गई है। ऐसे में नीतू किन्नर एवं उनके साथी लोगों की हर जरूरत को पूरा कर रहे हैं। लोगों को राशन-पानी से लेकर कपड़े और नकद रुपए तक बांट रहे हैं। 
नीतू की मानें तो यह सब लॉकडाउन के पहले दिन से ही लगातार जारी है। लोगों का मानना है कि उनके यहां रोजाना सैकड़ों जरूरतमंदों की भीड़ लगती है और वह लोगों की मदद करती हैं।  नीतू कहती हैं कि यह सब लोगों का ही तो है। अब तक जनता ने हमें पाला है, अब हमारी बारी है कि हम इनकी सेवा करें। 
 
नीतू ने कहा कि सब इनका ही तो दिया हुआ है जो हम इन्हें सूद समेत लौटा रहे हैं। इसमें हमारा कुछ भी नहीं है सब ऊपरवाला कर रहा है। जानकारी के अनुसार नीतू किन्नर आज से नहीं विगत कई वर्षों से ऐसा करती आ रहीं हैं। जो भी इनके पास पहुंचता है, वे उसकी मदद करती हैं। दुनिया और लोगों की नजरों में भले ही ये बधाई और नेग के तौर पर लोगों से मांगते नजर आते हैं, लेकिन ये एक हाथ लेते हैं और दोनों हाथों से लोगों में बांटते भी हैं। 
कौन हैं नीतू किन्नर : छतरपुर में जन्मी नीतू को अपने दौर में सबसे खूबसूरत किन्नर माना जाता था, जो उम्र के इस पड़ाव में भी कायम है। उन्होंने अपने शुरुआती दौर में मुंबई में रहते हुए बहुत नाम कमाया और अब कई वर्षों से अपनी जन्मभूमि पहुंचकर लोगों की सेवा में लगी हुईं हैं।
 
 
 
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