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Last Modified: बुधवार, 22 अप्रैल 2020 (23:04 IST)

स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों को मिलेगी कड़ी सजा, अध्यादेश को कैबिनेट की मंजूरी

स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों को मिलेगी कड़ी सजा, अध्यादेश को कैबिनेट की मंजूरी - central cabinet approves ordinance to punish those who attack health workers
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में शामिल स्वास्थ्यकर्मियों पर बढ़ते हमलों की पृष्ठभूमि में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक अध्यादेश को मंजूरी दी। इसमें उनके खिलाफ हिंसा को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध बनाया गया है। अध्यादेश में हिंसा करने वालों को 7 साल तक की सजा देने और उन पर 5 लाख रुपए तक का जुर्माना करने का प्रावधान किया गया है। 
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। 
 
सरकार ने कहा कि इस कानून के तहत पुलिस को ऐसे मामलों की जांच 30 दिनों में पूरी करनी होगी और अदालतों को एक वर्ष के भीतर फैसला सुनाना होगा।
 
 केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में कहा कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। 
 
कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा के बढ़ते मामलों के बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 22-23 अप्रैल को सांकेतिक विरोध का आह्वान किया था। हालांकि गृहमंत्री अमित शाह के साथ चर्चा के बाद उन्होंने विरोध वापस ले लिया। 
 
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से डॉक्टरों और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के प्रतिनिधियों से बातचीत की। गृह मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि मोदी सरकार उनकी भलाई और सुरक्षा सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि नये प्रावधानों के तहत ऐसा अपराध करने पर किसी व्यक्ति को तीन महीने से पांच वर्ष तक की सजा दी जा सकती है और 50 हजार से 2 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। गंभीर रूप से घायल होने की स्थिति में दंड 6 महीने से 7 वर्ष तक हो सकता है और जुर्माना 1  से 5 लाख रुपए तक हो सकता है। 
 
जावड़ेकर ने कहा कि प्रस्तावित अध्यादेश में स्वास्थ्य कर्मियों के घायल होने, सम्पत्ति को नुकसान होने पर मुआवजे का प्रावधान किया गया है। 
 
प्रस्तावित अध्यादेश के माध्यम से महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन किया जायेगा। इससे स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मियों की सुरक्षा तथा उनके रहने एवं कार्यक्षेत्र में हिंसा से बचाव में मदद मिलेगी। 
 
उन्होंने बताया कि संशोधित कानून के तहत ऐसे अपराध को संज्ञेय और गैर जमानती बनाया गया है। 
 
संज्ञेय और गैर जमानती अपराध का मतलब यह है कि पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है और उसे अदालत से ही जमानत मिल सकती है। 
 
बहरहाल, गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर डाक्टरों एवं अग्रिम मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने को कहा है जिन्हें हमलों का सामना करना पड़ रहा है, 
 
वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाने का सुझाव दिया है।
 
 इससे पहले जावड़ेकर ने कहा कि ‘डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल कर्मी, आशाकर्मियों को परेशान करने और उनके खिलाफ हिंसा को हमारी सरकार बर्दाश्त नहीं करती, खासकर ऐसे समय में जब वे ऐसी महामारी के खिलाफ लड़ाई में सर्वश्रेष्ठ कार्य कर रहे हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि जो भी लोग हिंसा के लिये जिम्मेदार होंगे, उनसे नुकसाई की भरपाई की जाएगी और यह तोड़फोड़ की गई सम्पत्ति के बाजार मूल्य का दोगुना होगा। 
 
उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि स्वास्थ्यकर्मी बिना किसी तनाव के काम कर सकें। 
 
गौरतलब है कि हाल के दिनों में देश के कई क्षेत्रों से स्वास्थर्मियों पर हमले एवं उन्हें परेशान किए जाने की घटनाएं सामने आई हैं। 
 
यह पूछे जाने पर क्या कोविड-19 के बाद भी नए बदलाव लागू रहेंगे, जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा कि अध्यादेश को महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन के लिए मंजूरी दी गई है। 
 
उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि लेकिन यह अच्छी शुरुआत है, वहीं एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन सहित कई चिकित्सा संगठनों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है।
 
एम्स रेसिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ. श्रीनिवास राजकुमार ने कहा कि स्थिति का संज्ञान लेने के लिए हम सरकार की सराहना करते हैं जिससे अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले योद्धा बिना किसी भय के देश की सेवा कर सकेंगे। (भाषा)
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