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Last Updated :रायपुर , शुक्रवार, 6 दिसंबर 2024 (15:51 IST)

जिस दफ्तर में थे चपरासी, परीक्षा पास कर उसी में बन गए अधिकारी

जिस दफ्तर में थे चपरासी, परीक्षा पास कर उसी में बन गए अधिकारी - Peon became an officer by passing the exam in Chhattisgarh
CGPSC: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) में बीटेक कर राज्य लोक सेवा आयोग (CGPSC) कार्यालय में चपरासी के पद पर कार्यरत शैलेन्द्र कुमार बांधे ने अंतत: कड़ी मेहनत से राज्य लोक सेवा परीक्षा पास कर अधिकारी बनने का सपना पूरा कर लिया।
 
बांधे राज्य के उन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं, जो इस परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं। बांधे ने अपने 5वें प्रयास में सीजीपीएससी-2023 परीक्षा पास की है जिसके परिणाम पिछले सप्ताह घोषित किए गए थे। उन्हें सामान्य श्रेणी में 73वीं रैंक और आरक्षित श्रेणी में दूसरी रैंक मिली है।ALSO READ: छत्तीसगढ़ के CM साय बोले- प्रदेश में हर गरीब के पक्के मकान का सपना होगा साकार
 
बांधे ने कहा कि वे अपने माता-पिता की मदद के बिना ऐसा नहीं कर पाते जिन्होंने हर फैसले में उनका साथ दिया। बांधे ने शुक्रवार को पीटीआई-वीडियो से कहा कि इस वर्ष मई में मुझे सीजीपीएससी कार्यालय में चपरासी के पद पर नियुक्त किया गया। फिर मैंने इस साल फरवरी में आयोजित सीजीपीएससी-2023 प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली। इसके बाद मैंने मुख्य परीक्षा की तैयारी जारी रखी, क्योंकि मैं अधिकारी बनना चाहता था।
 
अनुसूचित जाति समुदाय से ताल्लुक रखने वाले बांधे राज्य के बिलासपुर जिले के बिटकुली गांव के एक किसान परिवार से हैं। अब वे रायपुर में बस गए हैं। बांधे ने बताया कि उन्होंने रायपुर में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई की।ALSO READ: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद का होगा खात्मा, अमित शाह ने बताई डेडलाइन
 
एक प्रतिष्ठित संस्थान से इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद उन्हें प्रमुख निजी फर्मों में नौकरी मिल सकती थी लेकिन उन्होंने प्लेसमेंट इंटरव्यू में शामिल नहीं होने का फैसला किया, क्योंकि वे सरकारी नौकरी पाना चाहते थे। बांधे ने कहा कि उन्हें एनआईटी रायपुर में अपने एक सुपर सीनियर हिमाचल साहू से प्रेरणा मिली जिन्होंने सीजीपीएससी-2015 परीक्षा में प्रथम रैंक हासिल की थी।
 
उन्होंने कहा कि मैं पहले प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा में असफल रहा और अगले प्रयास में मैं मुख्य परीक्षा पास नहीं कर सका। तीसरे और चौथे प्रयास में, मैं साक्षात्कार के लिए योग्य हो गया लेकिन इसमें सफल नहीं हो सका। अंत में 5वें प्रयास में मुझे सफलता मिली।
 
बांधे ने कहा कि सीजीपीएससी की परीक्षा की तैयारी में लगातार एक के बाद एक वर्ष बीतने के दौरान मुझे चपरासी की नौकरी चुननी पड़ी, क्योंकि परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए इसकी जरूरत थी। लेकिन इसके साथ ही मैंने राज्य सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी भी जारी रखी।
 
जब उनसे पूछा गया कि क्या चपरासी के तौर पर काम करने में उन्हें असहजता महसूस होती है? तो उन्होंने कहा कि कोई भी नौकरी बड़ी या छोटी नहीं होती, क्योंकि हर पद की अपनी गरिमा होती है। चाहे वह चपरासी हो या डिप्टी कलेक्टर। हर नौकरी में ईमानदारी और पूरी जिम्मेदारी के साथ काम करना होता है।
 
बांधे ने कहा कि कुछ लोग मुझे ताना मारते थे और चपरासी के तौर पर काम करने के लिए मेरा मजाक उड़ाते थे लेकिन मैंने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। मेरे माता-पिता, परिवार और कार्यालय ने हमेशा मेरा साथ दिया और मुझे प्रोत्साहित किया।
 
बांधे के पिता संतराम बांधे एक किसान हैं। उन्होंने कहा कि वे अपने बेटे की कड़ी मेहनत और समर्पण को सलाम करते हैं। वह अधिकारी बनने के लिए पिछले 5 सालों से तैयारी कर रहा था। कुछ असफलता मिली लेकिन हार नहीं मानी। बांधे के पिता ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि मेरा बेटा उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा बनेगा, जो सरकारी नौकरी पाने और देश की सेवा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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