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Last Updated : शुक्रवार, 19 सितम्बर 2025 (18:53 IST)

Jolly LLB 3 Review: अक्षय कुमार- अरशद वारसी का दमदार कोर्टरूम ड्रामा और किसानों की जंग

Jolly LLB 3 movie review in Hindi
सुभाष कपूर अपनी जॉली एलएलबी सीरीज के जरिये हमेशा कोर्टरूम ड्रामा में सामाजिक मुद्दों को बुनते रहे हैं। पहली फिल्म (2013) में हिट एंड रन का मुद्दा था, तो दूसरी फिल्म में फेक एनकाउंटर की बात उठाई गई थी। तीसरी कड़ी यानी जॉली एलएलबी 3 में सुभाष ने एक ऐसा विषय चुना है, जिस पर पहले भी कई फिल्में बन चुकी हैं, लेकिन उन्होंने इसमें किसानों का पहलू जोड़कर कहानी को नया मोड़ देने की कोशिश की है।
 
फिल्म का केंद्र विकास के नाम पर किसानों से जमीन हथियाने का मुद्दा है। बड़े उद्योगपति गांवों की जमीन पर कब्जा करने के लिए सरकार, पुलिस और प्रशासन तक को अपने इशारों पर नचाते हैं। यही खेल इस फिल्म में दिखाया गया है। हरीभाई खेतान (गजराज राव) बीकानेर को बोस्टन बनाने का सपना दिखाते हुए वहां कार रेसिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना चाहता है। इसके लिए किसानों से जमीन छीनी जाती है और विरोध करने वाले एक किसान को आत्महत्या की ओर धकेल दिया जाता है।
 
उस किसान की विधवा जानकी (सीमा बिस्वास) न्याय की गुहार लेकर अदालत पहुंचती है। दोनों फुकरे किस्म के वकील जॉली 1 और जॉली 2 उसका केस लड़ते हैं। यहां से शुरू होता है कोर्टरूम ड्रामा, जो फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है।
 
कहानी की पृष्ठभूमि में दो अहम बातें रखी गई हैं। एक ओर वे बिजनेसमैन हैं, जो बैंकों से लोन लेकर जनता के पैसों से विकास का ढोल पीटते हैं और जमीन हड़पते हैं। दूसरी ओर हैं गरीब किसान, जो न्याय और सहारे के बिना अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। फिल्म में बिजनेसमैन वाला पहलू काफी प्रमुखता से दिखाया गया है, जबकि किसान का दर्द उतनी तीव्रता से सामने नहीं आ पाया। हाल ही में किसानों के लंबे आंदोलन को देखते हुए इस पहलू को और गहराई दी जा सकती थी।
 
फिल्म का पहला हिस्सा दोनों जॉली के बीच की नोकझोंक और हास्यप्रद झगड़ों को समर्पित है, जो दर्शकों को खूब हंसाता है। वहीं दूसरा हिस्सा पूरी तरह कोर्टरूम ड्रामा है, खासकर लंबा क्लाइमैक्स, जहां बहसों और तर्कों के बीच दर्शकों को सोचने पर मजबूर करने वाले दृश्य सामने आते हैं। राम कपूर और जॉली के बीच की दलीलें दमदार ढंग से पेश की गई हैं।
 
सुभाष कपूर बतौर लेखक ज्यादा मजबूत साबित होते हैं। कहानी, स्क्रीनप्ले और संवाद उन्होंने ही लिखे हैं। संवाद दमदार हैं, लेकिन स्क्रीनप्ले में थोड़ी धार की कमी नजर आती है और कुछ सीन कहानी की लय तोड़ते हैं। निर्देशन के स्तर पर उन्होंने हल्का-फुल्का टोन रखा है और कलाकारों से बेहतरीन काम लिया है, लेकिन तकनीकी पक्ष उतना प्रभावी नहीं रहा।
 
फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है इसका अभिनय। अक्षय कुमार पूरी तरह फॉर्म में नजर आते हैं। जॉली के किरदार की मासूमियत और चतुराई दोनों को उन्होंने बारीकी से पकड़ा है। उनकी बॉडी लैंग्वेज और डायलॉग डिलीवरी देखने लायक है। अरशद वारसी को भी पर्याप्त स्क्रीन टाइम मिला है और वे अक्षय के स्टारडम में दबे नहीं, बल्कि बराबरी से प्रभावित करते हैं।
 
सौरभ शुक्ला एक बार फिर जज के रूप में फिल्म की जान हैं। उनके संवाद सीधे दिल तक पहुंचते हैं। हालांकि उनका और शिल्पा शुक्ला के रोमांस वाला ट्रैक अनावश्यक लगता है। गजराज राव ने विलेन को एक अलग मैनेरिज्म के साथ पेश किया और अपने एक्सप्रेशन के जरिये वे नफरत पैदा करने में कामयाब रहे।

 
सीमा बिस्वास अनुभवी अदाकारा हैं और जानकी के रूप में उन्होंने बेहद असरदार परफॉर्मेंस दिया है। राम कपूर नामी वकील के रूप में गहरा असर छोड़ते हैं। हुमा कुरैशी और अमृता राव के ‍लिए करने को ज्यादा नहीं था, लेकिन पति पर हुकूम चलाने वाली पत्नियों के रूप में वे अपना दबदबा साबित करती हैं।
 
जॉली एलएलबी 3 में दो कम पढ़े-लिखे और भोले-भाले जॉली अपनी ईमानदारी और मजेदार हरकतों से दर्शकों का मनोरंजन करते हैं। भले ही किसान वाला मुद्दा पूरी ताकत से नहीं उभर पाया हो, लेकिन फिल्म का कोर्टरूम ड्रामा, शानदार संवाद और बेजोड़ अभिनय फिल्म को देखने लायक बना देते हैं।
 
  • निर्देशक: सुभाष कपूर
  • फिल्म: JOLLY LLB 3 (2025) 
  • गीत: प्रधान, अंकित तिवारी, मेघा बाली, करण कपाड़िया
  • संगीत: अमन पंत, विक्रम मोंट्रोज़
  • कलाकार: अक्षय कुमार, अरशद वारसी, सौरभ शुक्ला, हुमा कुरैशी, अमृता राव, सीमा बिस्वास, गजरराज राव
  • सेंसर सर्टिफिकेट : यूए (16 वर्ष से अधिक के लिए)
  • रेटिंग : 3/5