बॉलीवुड एक्टर सिद्धांत चतुर्वेदी बड़े पर्दे पर महान फिल्मकार वी. शांताराम का किरदार निभाते नजर आने वाले हैं। सिद्धांत चतुर्वेदी ने वी. शांताराम के किरदार में ढलने के बाद दर्शकों को हैरान कर दिया है। भारतीय सिनेमा के दिग्गज फिल्मकार वी. शांताराम पर बन रही इस बायोपिक फिल्म में वे न सिर्फ मुख्य भूमिका निभा रहे हैं, बल्कि भारतीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली अध्यायों में से एक को नए सिरे से जीवंत करने जा रहे हैं।
हाल ही में जारी हुआ फिल्म से सिद्धांत का आधिकारिक फर्स्ट लुक पोस्टर इंटरनेट पर छा चुका है और साथ ही साथ इसने बता भी दिया है कि विंटेज सौंदर्य, दमदार विज़ुअल्स और चरित्र की गहराई को दर्शाता यह पोस्टर फिल्म के भव्य पैमाने और सिद्धांत के समर्पण की मात्र पहली झलक है।
इसके अलावा 2 दिसंबर को सिद्धांत ने अपने सोशल मीडिया पर इस फिल्म से अपने किरदार के कई लुक्स साझा किए, जिसने दर्शकों की उत्सुकता को और बढ़ा दिया है। विशेष रूप से 'वी. शांताराम' के साथ उनकी उनकी अद्भुत समानता ने प्रशंसकों और सिनेमाप्रेमियों को इस कदर प्रभावित कर दिया है कि वे सिद्धांत की मेहनत और समर्पण की सराहना करते नहीं थक रहे हैं।
दर्शकों से मिल रहे इस प्यार का आभार जताते हुए हाल ही में सिद्धांत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से एक भावनात्मक नोट लिखकर इस किरदार की गंभीरता और जिम्मेदारी को उजागर किया है। उन्होंने लिखा है, पोस्टर पर मिल रहे प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद। यह सच में बहुत मायने रखता है। इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था उस कहानी को फिर से कहने का, जो बग़ावत, कला और भारतीय सिनेमा की उस महिमा की याद दिलाती है, जिसने देश को आकार दिया। मेरे लिए यह शब्दों से परे है।
इस भूमिका को अपने सपने के सच होने जैसा बताते हुए सिद्धांत ने आगे लिखा है, एक लड़का जो खामोश फ्रेम्स में सपने देखता था… से लेकर अब वह एक दिग्गज अण्णासाहेब, वी. शांताराम की परछाई में खड़ा है। हर कलाकार को वह एक कहानी मिलती है, जो उसकी सच्चाई, उसका दिल और उसकी भूख को परखती है। यह वही कहानी है। उन्होंने मराठी की प्रतिष्ठित लाइन के साथ अपने नोट को समाप्त करते हुए लिखा है, “हो आता करूया… पिक्चर स्टार्ट!”
पहले पोस्टर में सिद्धांत को पारंपरिक पोशाक, नेहरू टोपी, और एक पुराने फिल्म कैमरे के पास आत्मविश्वास से खड़े एक प्रभावशाली पीरियड लुक में दिखाया गया है। पृष्ठभूमि में फैले पंखों वाला एक भव्य ईगल इस फ्रेम को एक कालातीत, प्रतीकात्मक शक्ति प्रदान करता है, जिसका कैप्शन है, “जिस बागी ने भारतीय सिनेमा को नई परिभाषा दी, वह अब वहीं लौट आया है, बड़े पर्दे पर।”
सिद्धांत, दिग्गज फिल्मकार वी. शंताराम के आंतरिक जगत में उतरने के अनुभव पर अपनी बात कहते हैं, “वे सिर्फ भारतीय या वैश्विक सिनेमा के अग्रदूत नहीं थे, बल्कि ऐसे दूरदर्शी कलाकार थे, जो हर चुनौती को पार कर आगे बढ़ते रहे। उनके जीवन को समझना और उसे जीना मेरे करियर का सबसे बदल देने वाला अनुभव रहा है। उनकी कहानी ने मुझे दृढ़ संकल्प की शक्ति की याद दिलाई।”
वर्ष 1901 में शांताराम राजाराम वंकुड्रे के रूप में जन्में 'वी. शंताराम' भारतीय सिनेमा के स्तंभों में से एक रहे हैं। उन्होंने “दो आँखें बारह हाथ”, “झनक झनक पायल बाजे”, “दुनिया ना माने”, “नवरंग” जैसी कालजयी फिल्मों के जरिए एक नया सिनेमाई व्याकरण गढ़ा। सात दशकों के करियर में उन्होंने प्रभात फिल्म कंपनी और राजकमल कलामंदिर जैसे प्रतिष्ठित स्टूडियो स्थापित किए, और 1985 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित हुए।
गौरतलब है कि आने वाली बायोपिक उनके फ़िल्मी सफर को, साइलेंट युग से लेकर रंगीन सिनेमा के स्वर्णकाल तक, सजीव रूप में दर्शाने का वादा करती है और इस विरासत को बड़े पर्दे पर पुनर्जीवित करने की जिम्मेदारी अब सिद्धांत चतुर्वेदी के सशक्त और गहन अभिनेता के कंधों पर है, जिन पर दर्शकों को पूरा यकीन है।