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Last Updated : शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020 (10:44 IST)

मैकमोहन : शोले का सांभा, रवीना का मामा

मैकमोहन : शोले का सांभा, रवीना का मामा - Mac Mohan, Mohan Makijany, Sambha, Sholay, Samay Tamrakar, Raveena Tandon
ज्यादातर लोग उन्हें 'शोले' के सांभा के रूप में ही जानते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि इस कलाकार का नाम मैकमोहन था। और यह बात जो गिने-चुने लोग जानते होंगे कि उनका वास्तविक नाम मोहन माकीजानी था। इस नाम को उन्होंने 'मैक मोहन' कर लिया और बाद में सांभा के रूप में ही प्रसिद्ध हो गए।
 
वैसे फिल्म इंडस्ट्री वालों को उनका मैक नाम बहुत पसंद आया और ज्यादातर फिल्मों में उनके किरदार का नाम मैक ही रखा गया।  
 
कराची में 24 अप्रैल 1938 को जन्मे मैकमोहन ने फिल्म इंडस्ट्री में यही सोच कर कदम रखा था कि लीड रोल करने को मिलेंगे, लेकिन अत्यंत दुबले-पतले होने के कारण उन्हें साइड रोल मिलने शुरू हुए। 
 
शुरुआत में वे फिल्म निर्देशक चेतन आनंद के सहायक बने। 1964 में रिलीज हुई हकीकत से उन्होंने अभिनय यात्रा शुरू की और चंद सेकंड्स के रोल उन्हें फिल्मों में मिलने लगे। अपने घर से फिल्म स्टूडियो जाने के लिए वे बस और लोकल ट्रेन का ही प्रयोग करते थे। 
 
फिल्म शोले में रमेश सिप्पी ने उन्हें सांभा का रोल ऑफर किया जो कि विलेन गब्बर सिंह का खास आदमी रहता है। सांभा के फिल्म में नहीं के बराबर संवाद थे। एक ऊंचे से पत्थर पर वह बंदूक लिए बैठा रहता है और गब्बर बीच-बीच में उसे कुछ कहता रहता है। 
 
मैक मोहन ने रमेश सिप्पी से कहा कि यह कैसा रोल है? करने को कुछ है ही नहीं। सिप्पी साहब ने कहा कर लो, फिल्म चल गई तो तुम्हारा नाम चमक जाएगा।
 
ऐसा ही हुआ। बॉक्स ऑफिस पर शोले ने ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की और जय, वीरू, बसंती, गब्बर सिंह के साथ सांभा का नाम भी गली-गली गूंजा। 
 
मैकमोहन जाना-पहचाना चेहरा बन गया, लेकिन यह बात उनके लिए मुसीबत बन गई। अब बस और लोकल में सफर करना आसान नहीं रहा। इससे बचने के लिए मैक मोहन ने उधार लेकर कार खरीदी और बड़ी मुश्किल से इसका पैसा चुकाया। 
 
शोल के बाद मैक मोहन की गाड़ी चल पड़ी। फिल्में तो खूब मिली, लेकिन रोल छोटे-मोटे ही मिले। अक्सर फिल्म के मुख्य विलेन के दाएं-बाएं वे नजर आएं। सांभा की छवि से निकलना उनके लिए आसान नहीं रहा। 
 
इसकी शिकायत किए बिना मैक मोहन जो रोल मिलता गया उसे निभाते गए। अमिताभ बच्चन के साथ उन्होंने खूब फिल्में की। 1964 से सिलसिला शुरू हुआ तो 2009 तक वो फिल्म करते रहे। 
 
2009 में भी वे अतिथि तुम कब जाओगे की शूटिंग शुरू करने वाले थे। एक दिन पहले तबियत बिगड़ी और उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया। पता चला कि लंग कैंसर है। लगभग छ: महीने तक उन्होंने संघर्ष किया और 10 मई 2010 को 72 वर्ष की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली। उनकी प्रेयर मीट में अमिताभ बच्चन भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे। 
 
फिल्म अभिनेत्री रवीना टंडन के मैक मोहन मामा थे। सुनील दत्त के लखनऊ में क्लासमेट भी रह चुके थे। मैक की पत्नी का नाम मिनी है जो कि आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं। 
 
मैक के पिता को आरोग्य निधि हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था जहां मैक की मुलाकात मिनी से हुई। दोस्ती प्यार में बदली और फिर दोनों ने शादी कर ली। मैक की दो बेटियां, मंजरी और विनती तथा एक बेटा विक्रांत है। 
 
मैक का अंग्रेजी पर बड़ा शानदार कमांड था। वे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते थे और लिखते भी थे। रीडर डाइजेस्ट पढ़ने का उन्हें विशेष रूप से शौक था।
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