'हमने अभी तक जब भी हीरो को दिखाया है, पर्दे पर हमेशा लार्जर दैन लाइफ दिखाया है। वो सबसे अच्छा दिखता है। वो बड़ी तेजी से बाइक चलाता है। वो सिक्स पैक ऐब रखता है। वो बड़ी-सी बिल्डिंग से छलांग लगा लेता है। सब महिलाओं की रक्षा कर लेता है। चाहे उससे रक्षा मांगी जाए या न मांगी जाए। मैंने ऐसी कई फिल्में की हैं जिसमें मैंने भी ऐसे ही किरदार निभाए हैं। राहुल या राज बना हूं। लेकिन 'कबीर खान' की कहानी ज्यादा मजेदार है। उसने भारत का मैच हरा दिया था, वो लूजर है। मोहल्ले वाले तक उसे बुरा बोलते हैं। एक दिन वो अपनी मां की नजर में अपनी इमेज सुधारने के लिए महिला हॉकी टीम को जिताकर ले आता है। ऐसे किरदार मजेदार होते हैं और वो लार्जर दैन लाइफ भी नहीं होते।'
'जीरो' में एक बौने का किरदार निभाने वाले शाहरुख का कद फिल्म इंडस्ट्री में कितना बड़ा है, ये सभी जानते हैं लेकिन उन्हें खुद को एक ऐसे किरदार की तलाश थी, जो आम हो लेकिन अपनी छोटी-छोटी बातें उन्हें खास बनाती हों। अपनी बात को जारी रखते हुए शाहरुख बोले कि 'मेरे हिसाब से तो लोकल में जाने वाला वो शख्स भी हीरो है, जो सोचता है कि बेटी की पढ़ाई के लिए पैसा बचाता हूं और लोकल से सफर कर लेता हूं। वो एक महीना मुंबई की लोकल का सफर करता है। अपनी बेटी के पढ़ाई के लिए पैसा जमा करता है। मैं ऐसे किसी किरदार को निभाना चाहता था, जो सर्वगुण संपन्न तो बिलकुल न हो।' फिल्म 'जीरो' के प्रमोशनल इंटरव्यूज पर 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष ने शाहरुख से बातचीत की।
आपने अपनी जिंदगी में देखा है ऐसे किसी हीरो को?
मेरे हिसाब से मेरे घरवाले ही मेरे लिए हीरो की तरह हैं। देखिए, कितनी आसानी से वो मुझे दुनिया से बांट लेते हैं और कुछ नहीं कहते। मेरे जन्मदिन पर भी वो मुझे दूसरों को दे देते हैं। फिर धीरे से पूछते हैं कि अगर ठीक लगे तो आपका जन्मदिन हम मना लें। कुछ लोग मिलना चाहते हैं। कितनी बार आम परिवार की तरह मैं उनके साथ समय नहीं बिता पाता हूं लेकिन वे लोग मुझे कुछ नहीं कहते हैं। मेरे हिसाब से देना हीरोइज्म है और लेना जीरोइज्म।
सलमान के साथ शूट कैसा रहा?
मजेदार था। उस समय सलमान की एक फिल्म भी रिलीज हुई, जो शायद बहुत अच्छा नहीं कर पाई थी तो वो दोस्तों में रहना चाहता था। हम उसे प्रेशराइज भी नहीं करते थे। वो भी आराम से आता था और मैं भी आराम से शूट पर आता था। वैसे भी हम दोनों समय पर न आने के लिए बहुत मशहूर हैं। उनके बहाने मैं भी आराम कर लेता था, तो आराम की वजह से जो आपका चेहरा बेहतर हो जाता है, तो मेरा चेहरा भी बेहतर हो गया था। हम रात 12 बजे तक शूट करते थे और फिर 3-4 बजे तक गप्पे लड़ाते रहते थे। गाना जिसमें हमने साथ काम किया है, उसमें मुझे छलांग लगाकर सलमान पर कूदना था तो हमने सोचा था कि उन्हें वायर लगा देंगे, क्योंकि मैं बहुत दूर से कूदने वाला था तो कहीं वो गिर न जाएं। लेकिन उन्होंने मुझे आराम से पकड़ लिया। सच में सलमान बहुत स्ट्रॉन्ग हैं।
अबराम ने देखा आपके इस रूप को?
हां, हाल ही में आनंद (एल. राय) फिल्म के कुछ सीन लेकर आए थे और हम सब देख रहे थे, तो तब वो भी आ गया था और बोला, अच्छा तो ये वो फिल्म है जिसमें आप मेरे जैसे बनने की कोशिश कर रहे हैं?
आपकी बेटी सुहाना भी फिल्म में आ रही हैं, अभी आपकी और उनकी फिल्म 'जीरो' की मेकिंग देखी?
हां, वो इन दिनों लंदन से फिल्म क्राफ्ट सीख रही है। वो पढ़ाई कर रही है। मुझे लगता है कि पहले वो इस विधा को समझ ले फिर इसमें आए। कुछ महीनों पहले उसने इंटर्नशिप भी की थी लंदन में एक निर्देशक के साथ। इस बार जब उसने बोला कि फिर इंटर्नशिप है इस सेमिस्टर में भी, तो मैंने कहा कि बाहर क्यों जा रही हो? मेरे ही पास आ जाओ। जो वीडियो देखा आपने, ये उसी समय का है। जहां वो आनंद को असिस्ट कर रही थी। वैसे आनंद ने भी बड़ा दिमाग वाला काम कर दिया। सुहाना को मेरा ही असिस्टेंट डायरेक्टर बना दिया। उसका काम था मुझे समय पर लेकर आना और उसने ये काम बखूबी किया भी। साथ ही मैं भी चाहता था कि वो अनुष्का और कैटरीना को अपनी आंखों से एक्ट करते देखें। जिन्हें वो अपने बचपन से तो जानती हैं, लेकिन कभी काम करते नहीं देखा है। अनुष्का तो वैसे भी उसकी अच्छी दोस्त बन गई हैं। कैटरीना भी सेट पर आ जाती थीं।
तो वो जल्द ही बतौर हीरोइन दिख रही हैं?
नहीं, पहले उसे इस फिल्म क्राफ्ट के बारे में पढ़ाई करना होगी। मेरे घर का कोई भी सदस्य फिल्म विधा के किसी भी हिस्से में जाए, उसे अच्छे से निभाए और मेहनत करे। जनता ने मुझे जितना प्यार दिया है, अगर वो उसका आधा भी जनता को लौटा न सके तो बेहतर है कि वो फिल्में न ही करे, ऐसा मुझे लगता है।
यानी आप सुहाना को लॉन्च कर रहे हैं?
अरे, मैं अपने आपको तो लॉन्च कर लूं पहले!