पार्टी में पूरी रात मैं संजय दत्त को ही देखता रहा : विकी कौशल
'संजू' में मेरे किरदार का नाम कमलेश है, जो विदेश में रहता है। ये दोनों तब दोस्त बने थे, जब नर्गिसजी अपने इलाज के चलते अमेरिका में रहने गई थीं और तब इन दोनों की दोस्ती हुई थी। संजू तब कुछ 19-20 साल के रहे होंगे।
'राज़ी' जैसी दमदार फिल्म में एक मजबूत किरदार निभाने वाले विकी कौशल इसी बात से खुश हैं कि उन्हें अपने करियर के शुरुआती दौर में ही राजकुमार हीरानी के साथ काम करने को मिल गया। वे कहते हैं कि 'इस देश का हर एक्टर राजकुमार हीरानी के साथ काम करना चाहता है। मैं तो खुशकिस्मत हूं कि मुझे इतना बड़ा रोल मिल गया, वर्ना अगर वे मुझे भीड़ में खड़ा करते या एक छोटा-मोटा रोल दे देते तो मैं तो कर लेता।'
'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष से बात करते हुए विकी ने आगे बताया कि पूरी फिल्म में मैं और आरके (रणबीर कपूर) साथ-साथ ही रहे हैं और करीब 30 साल के वक्त को साथ जी रहे हैं। दोनों की उम्र और इसके बदलाव दोनों साथ में देख रहे हैं। इसमें मुझे अलग-अलग तरीके की गुजराती बोलना थी। कमलेश पहले भारत में ही था, तब उसकी गुजराती कितनी ठेठ थी या जब वो न्यूयॉर्क में रहने लगा, तब उसकी गुजराती कितनी बदल गई, ये सब मुझे सिलसिलेवार दिखाना था। तो ये भाषा मेरे लिए नई थी, लेकिन मुझे मजा आया।
कोई तैयारी की भाषा बोलने के लिए?
गुजराती थिएटर की एक कलाकार हैं डिम्पल शाह। उनके साथ मैंने इसकी तैयारी की। जिंदगी के अलग-अलग फेज में वो कैसे बोल रहा है, अंग्रेजी का कितना प्रभाव होगा, इसकी भाषा पर ये सब बारीकी के लिए मैंने अपनी स्क्रिप्ट की। हर लाइन पर उनके साथ मिलकर काम किया, यहां तक कि मैं तो सूरत भी गया था।
सूरत में क्या सीखा?
सूरत में मैं करीब 3-4 दिन रहा। वहां स्टेशन के बाहर एक गली है, जो बाहर से देखने पर आम-सी लगती है लेकिन अंदर जाओ तो लगता है कि ये कहां आ गए आप? वो डायमंड मार्केट है। वहीं लोग अपनी-अपनी टेबल लगाकर बैठते हैं और इन लोगों को बात करने की भी फुर्सत नहीं होती। एक बार फोन पर बात करेंगे, तो दूसरे मिनट ग्राहकों के साथ होंगे। मुझे तो लगा कि मेरा असल वर्कशॉप तो यहां है। मैं कई बार उन लोगों के वीडियो बना लेता था। कभी कोई बॉडी लैंग्वेज अच्छी लगती थी, तो कभी किसी का बोला कोई लफ्ज़। मैं होटल में लौटकर सारी रिकॉर्डिंग देखता था और शूट पर कोशिश करता था कि कुछ नए लफ्ज़ मैं अपनी तरफ से जोड़ सकूं।
आप संजू से कब मिले?
पूरी फिल्म खत्म हो जाने के बाद। मेरे साथ कुछ यूं हुआ कि जिस दिन उन्होंने सेट विजिट की, उस दिन मेरी शूट नहीं थी तो मैं तब नहीं मिल पाया। फिर जब हमारी शूट चल रही थी, तब उनकी 'भूमि' शूट हो रही थी। फिर बाद में उन्होंने अपने घर में दिवाली पार्टी में बुलाया, तब मैं उनसे मिला। वे मेरे पिता को जानते थे, तो वे बड़ी गर्मजोशी से मिले और गले लगाते हुए पंजाबी में बोले कि 'तू तो मेरे पुत जैसा है, कभी कोई जरूरत हो तो बताना।' और मैं तो बस मुंह खोले देखता ही रह गया। वो उनका मुझे गले लगाना और बातें करना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। वे संवेदनशीलता और मजबूती के सही मिश्रण की मिसाल हैं। उन्हें मैं देखता ही रह गया। ऐसा लगता था कि वे अभी बातें करते-करते रो न दें। मैं उस रात पूरी पार्टी में उन्हें ही देखता रह गया था!