बुधवार, 25 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. मुलाकात
  4. aamir khan exclusive interview for webdunia

जैन धर्म में कई ऐसी बातें हैं जो मुझे प्रभावित करती रही हैं : आमिर खान

जैन धर्म में कई ऐसी बातें हैं जो मुझे प्रभावित करती रही हैं : आमिर खान - aamir khan exclusive interview for webdunia
26 जनवरी के दिन लोगों के सामने आमिर खान के प्रोडक्शन हाउस में बनी फिल्म रूबरू रोशनी टीवी पर प्रसारित की गई। क्षमा.. इस भाव को ध्यान में रख कर बनाई गई ये फिल्म को आमिर डॉक्यूमेंट्री की बजाय फिल्म कहना ही पसंद करते हैं। 
 
आमिर कहते हैं कि, 'मुझे लगता है कि हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में क्षमा इस शब्द या भाव को इस्तेमाल करना ही भूल गए हैं। हम ये भी भूल गए हैं कि क्षमा कर देने से हमारे कितने सारे घाव भर जाते हैं। ये मैं अकेले नहीं बल्कि हमारे कई बुजुर्ग और बड़े लोग कह कर चले गए हैं। कई धर्मों में भी ये ही बात कही गई है। हमने क्षमा नाम की शक्ति को नजरअंदाज कर दिया है। 
 
हम ये बात नहीं समझ रहे हैं कि क्षमा कर देने से हम अपने ही घावों को भर रहे होते हैं। वैसे भी किसी को दोष दे कर या वैमनस्य रख कर क्या हो जाएगा। मसलन एक गिलास मुझसे गिर गया तो अब वो वापस तो नहीं आएगा। तो उस बात पर परेशान हो कर क्या करना। वैसे भी मैं अपना अतीत यानी भूत तो बदल नहीं सकूंगा। अब मेरे ऊपर है कि मैं रोता रहूं या कोसता रहूं जिंदगी भर या उससे बाहर निकल आऊं और अपने भविष्य पर ध्यान दूं।
 
आमिर आगे बताते हैं कि अगर इतिहास की भी बात करें और दो देशों के बीच की लड़ाई की बात भी करें तो ये लड़ाइयां कोई एक या दो साल की नहीं बल्कि सालों सालों की हैं। सोचने लगता हूँ कि कितने साल आप यूंही बर्बाद कर देंगे। तो जब निर्देशक स्वाति चक्रवर्ती भटकल मेरे पास क्षमा की इस कहानी को ले कर आईं तो मैंने हाँ कह दिया।
 
क्षमा वीरस्य भूषणं या मिच्छामी दुक्कड़म भी हमारे ही संस्कृति में है। 
हाँ, मुझे तो कई बार ये लगा भी है कि इस विषय में मेरे ऊपर जैन धर्म का बहुत बड़ा प्रभाव हो रहा था और अभी भी है। जैन धर्म में कई ऐसी बातें हैं जो मुझे प्रभावित करती रही हैं मसलन क्षमावाणी, अहिंसा और सिर्फ उतना ही लो जितने की जरूरत हो। एक और बात है जो मुझे बहुत अच्छी लगती है वो है अनेकांतवाद यानी अगर दो लोग हैं और दोनों की बातें एक दूसरे से जुदा है या विपरीत हो तब भी उसका सम्मान करो क्योंकि उसे भी अपनी सोच रखने का अधिकार है। लेकिन एक खिड़की हमेशा खुली रखिए कि आपस में बात हो सके। हो सकता है वो सही हो और आप ही गलत हो।
 
आपको कोई क्रिएटिव इन्पुट्स रहे? 
नहीं, मैंने शूट के समय कुछ नहीं देखा लेकिन जब एडिट पर देखा तो एक या मुश्किल से दो बातें थीं जो मुझे लगा कि उन्हें जोड़ देने से बात बेहतर समझा सकेंगे। तो वो बोल दीं।
 
आपको कभी लगा कि आप निर्देशित कर देते? 
नहीं, ये मेरे निर्देशक की कहानी है जिसे कहने के लिए वो बेचैन है तो मेरा कर्तव्य था कि मैं उसके विश्वास पर विश्वास करूं। लेकिन हाँ इस फिल्म को मैं डॉक्यूमेंटेरी फिल्म नहीं कहना चाहता और ना ही इसे नई नवेली फीचर फिल्म बनाऊँगा। हाल ही में मुझे किसी ने सुझाव दिया कि इसे मैं इसे ऑस्कर में भेजूँ तो मैं इस बात को गंभीरता के साथ सोचना चाहता हूं। मुझे ये सुझाव अच्छा लगा।

कभी आपको किसी को माफ करने की ज़रूरत पड़ी? 
मेरे और जूही में एक बार बहुत बड़ा झगड़ा हो गया था। कुछ हुआ था जो मुझे बहुत बुरा लगा। बहुत ही छोटी सी बात था लेकिन मैं बुरा मान गया और इतना नाराज़ रहने लगा कि मैं उससे हाय या बाय भी नहीं करता था। पास में भी नहीं बैठता था। अगर किसी शॉट में जरूरत हो तो बस उतनी बात करके उठ जाता। फिल्म इश्क के दौरान यानी 1997 की बात है और फिर सीधे 2003 में जब मेरा और रीना का डिवोर्स हो रहा था तो जूही का फोन आया। ये वो समय था जब मैं किसी से बातचीत नहीं करता था। जूही को ये भी पता था कि मैं शायद फोन भी ना उठाऊँ। फिर भी उसने मुझे फोन लगाया और बोला कि मैं मिलना चाहती हूँ। घर पर जब मैं उससे मिला तो वो बोली कि तुम और रीना अलग नहीं हो सकते हो। फिर मैंने उसे अपने कारण बताए मेरे लिए वो बहुत बड़ी बात थी। मैं भले ही उससे इतना नाराज रहा लेकिन उसने दोस्ती निभाई और वो ऐसे समय पर मेरे साथ आई जब मुझे जरूरत थी।