- समीरात्मज मिश्र
फ़तेहपुर से क़रीब 60 किमी दूर ललौली क़स्बे के औती गांव में एक छोटा सा कच्चा मकान है, जिसमें ट्रक ड्राइवर आशीष पाल अपने तीन भाइयों और मां बाप के साथ रहते हैं। उनके दो अन्य भाई भी ट्रक चलाते हैं। आशीष पाल क़रीब दो हफ़्ते पहले ट्रक के क्लीनर मोहन के साथ बांदा से मोरंग लादने निकले थे। रविवार यानी 28 जुलाई को ट्रक पर लदा मोरंग रायबरेली में गिराकर वापस फ़तेहपुर आ रहे थे, तभी ये कथित दुर्घटना हो गई।
आशीष पाल की मां राजरानी बताती हैं, दस-बारह दिन पहले निकले थे। हमेशा जाते थे बालू लादने। रविवार को पता चला कि एक्सीडेंट हो गया है। तीन दिन से हम लोग परेशान हो रहे हैं, लेकिन पता ही नहीं चल रहा है कि कहां है। बुधवार शाम तक इन लोगों को नहीं पता था कि उनका बेटा आशीष कहां है। बुधवार को ही रात में क़रीब नौ बजे गुरुबख़्शगंज थाने से लौटते समय आशीष के पिता सूरजपाल से रास्ते में ही मुलाक़ात हुई।
वो बताने लगे, तीन दिन तक परेशान रहने के बाद आज पुलिस वाले बताए कि आशीष को जेल भेज दिया है। हम लोग न तो मिल पाए और न ही पूछ पाए कि ये सब कैसे हुआ। तीन दिन तक दौड़ाने के बाद बताए हैं कि गिरफ़्तार हो गए हैं। रविवार को हुई दुर्घटना के बाद पुलिस ने बताया था कि ट्रक के ड्राइवर आशीष पाल, क्लीनर मोहन और ट्रक के मालिक देवेंद्र पाल को गिरफ़्तार कर लिया गया है। तीनों के परिजन इधर-उधर पता लगाते रहे लेकिन उन्हें सही जानकारी कहीं नहीं मिली। बुधवार देर रात इन लोगों को इस बारे में जानकारी मिली। ट्रक मालिक देवेंद्र पाल को अभी गुरुबख़्शगंज थाने में ही रखा गया है।
मिटा हुआ नंबर : रायबरेली के गुरुबख़्शगंज थाने में मौजूद ट्रक मालिक से तीन दिन बाद परिजनों की मुलाक़ात हो सकी। गुरबख्शगंज थाने के प्रभारी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि सीबीआई उनसे पूछताछ कर रही है क्योंकि अब ये मामला सीबीआई जांच के तहत आ गया है। राकेश कुमार सिंह का कहना था, ड्राइवर और क्लीनर को मंगलवार को गिरफ़्तार किया गया, बुधवार को उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया। दोनों पर आईपीसी की धारा 302 और 304 समेत कई धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया गया है।
दुर्घटना के बाद पहले तो पुलिस के आला अधिकारियों ने भी इसे हादसा ही बताया था लेकिन बाद में ऐसी आशंका जताई गई कि यह दुर्घटना नहीं बल्कि साज़िश है क्योंकि इसमें कार सवार जिन दो महिलाओं की मौत हुई है, वो उन्नाव रेप मामले में गवाह थीं और कार पर ही रेप पीड़ित लड़की और उसके वकील भी सवार थे। इस आशंका को इसलिए भी बल मिला क्योंकि ट्रक पर फ़तेहपुर का नंबर था, ट्रक मालिक और ड्राइवर फ़तेहपुर के थे और कुलदीप सेंगर का पैतृक घर भी फ़तेहपुर में है, लेकिन आशंका को पुष्ट करने वाला जो सबसे बड़ा कारण था वो ये कि ट्रक का नंबर मिटाया गया था।
ट्रक मालिक देवेंद्र पाल के भाई नंदकिशोर पाल ने इसकी ये वजह बताई, इस इलाक़े में आपको नब्बे प्रतिशत ट्रकों के नंबर प्लेट पर कालिख पुती मिलेगी। होता ये है कि फ़ाइनेंस कंपनियों के लोग किश्त न जमा हो पाने के कारण गाड़ी छीन लेते हैं। उनसे बचने के लिए लोग नंबर छिपा देते हैं। ट्रैफ़िक और आरटीओ के लोगों से इतनी परेशानी नहीं होती है। नंदकिशोर पाल की पत्नी फ़तेहपुर के असोथर ब्लॉक की ब्लॉक प्रमुख रह चुकी हैं।
देवेंद्रपाल के समाजवादी पार्टी से भी संबंध बताए जा रहे हैं लेकिन नंदकिशोर का कहना है कि समाजवादी पार्टी में देवेंद्र नहीं बल्कि वो ख़ुद थे। वह बताते हैं, 2011 तक मैं समाजवादी पार्टी की प्रदेश इकाई में था। मनमुटाव के चलते पार्टी भी छोड़ दिया और राजनीति भी छोड़ दिया। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले शिवपाल भाई के साथ उनकी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया में चला गया और इस समय उस पार्टी का ज़िला महासचिव भी हूं।
साज़िश या हादसा? : दरअसल, इस घटना के एक दिन बाद यानी सोमवार तक राज्य पुलिस के आला अधिकारी यही मानते रहे कि यह महज़ एक दुर्घटना थी लेकिन पीड़ित लड़की के परिवार वालों के आरोप और मामले को बढ़ता देख इसके पीछे साज़िश होने संबंधी एफ़आईआर लिखी गई, जिसमें दस लोग नामज़द हैं। एफ़आईआर पीड़ित लड़की के चाचा की ओर से लिखाई गई थी। अगले ही दिन इस हादसे की जांच सीबीआई से कराने की सिफ़ारिश की गई।
दुर्घटना में चूंकि दो गवाहों की मौत हो गई, पीड़ित लड़की और उसके वकील बुरी तरह से घायल हो गए इसलिए संदेह की सुई इधर ही घूमने लगी। इससे पहले भी रेप पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत के मामले में एक और गवाह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है। कुलदीप सिंह सेंगर इन सभी मामलों में मुख्य अभियुक्त हैं और फ़िलहाल जेल में हैं। वह आरोपों को ग़लत बताते हैं।
लेकिन ट्रक ड्राइवर के गांव ओती और ट्रक मालिक के घर के आसपास के लोग इसे साज़िश मानने को क़तई तैयार नहीं हैं। ट्रक ड्राइवर के भाई पंकज पाल ख़ुद भी ट्रक चलाते हैं। वो कहते हैं, दस-बारह दिन से भाई बाहर थे। फ़ोन पर कभी-कभी बात होती थी। जब मोरंग लद गया तो रायबरेली में गिराने के बाद वापस आ रहे थे। हम लोग तो कोई विधायक को या फिर उन लोगों को जानते तक नहीं कि कौन हैं।
ट्रक मालिक देवेंद्र पाल के भाई नंदकिशोर पाल बीबीसी से कहते हैं, इसे साज़िश बताकर बेवजह तूल दिया जा रहा है। हम लोग तो विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को जानते तक नहीं हैं, बस नाम सुना है। आप ही बता रहे हैं कि वो भी फ़तेहपुर के ही हैं। हमको तो पता भी नहीं है। इसीलिए तो हम कह रहे हैं कि सीबीआई से जांच हो, तो दूध का दूध, पानी का पानी सामने आ जाएगा।
क्या कहते हैं लोग : नंदकिशोर पाल चार भाई हैं और उन लोगों के पास पच्चीस से ज़्यादा ट्रक हैं जो आसपास के इलाकों से ज़्यादातर मोरंग लदाई का काम करते हैं। जिस ट्रक से ये हादसा हुआ है उसे पिछले ही साल ख़रीदा गया था और उसकी भी दो किस्तें जमा नहीं हुई हैं। पाल परिवार के पास ईंट के भट्ठे भी हैं। ललौली क़स्बे के पास ही गांव है लेकिन पिछले कुछ समय से फ़तेहपुर में ही मकान बनाकर रह रहे हैं।
देवेंद्रपाल सिंह ने तो अभी पिछले महीने ही गृह प्रवेश किया है। ट्रक ड्राइवर आशीष पाल के गांव के ही रहने वाले सुनील भी ट्रक चलाते हैं। घटना की जानकारी मिलने के बाद सबसे पहले पहुंचने वालों में से वो भी थे क्योंकि इस सूचना के बाद उन्होंने जब आशीष को फ़ोन किया तो आशीष का फ़ोन पुलिस वालों ने उठाया था। सुनील बताते हैं, सर, जिस तरह से एक्सीडेंट हुआ है, उससे साफ़ पता लगता है कि ग़लती कार चलाने वाले की थी।
जहां दुर्घटना हुई, वो मोड़ वाली जगह थी। ट्रक और कार दोनों तेज़ रफ़्तार में थीं। बारिश भी तेज़ हो रही थी। कार की टक्कर ट्रक के पिछले हिस्से से हुई है। यदि ट्रक वाले ने मारा होता तो या तो सामने टक्कर होती या फिर कार के पिछले हिस्से में। सुनील का कहना है कि ट्रक का एक हिस्सा सड़क के नीचे उतर गया था। बाद में ट्रक को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया गया।
हालांकि कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का ये भी कहना है कि ट्रक ग़लत साइड से आ रहा था लेकिन अब ये सारी बातें सीबीआई की जांच के बाद ही सामने आएंगी। बुधवार को सीबीआई की टीम ने भी दुर्घटनास्थल का जायज़ा लिया और तमाम सबूत इकट्ठा किए। बताया जा रहा है कि सीबीआई की टीम ट्रक मालिक, ट्रक ड्राइवर और विधायक के संबंधों की भी जांच कर रही है क्योंकि इसी के बाद हादसा या दुर्घटना के निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है।