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Last Modified: सोमवार, 3 अप्रैल 2017 (14:40 IST)

'मैंने 29 साल की उम्र में नसबंदी क्यों कराई?'

'मैंने 29 साल की उम्र में नसबंदी क्यों कराई?' - Sterilization, Paul Pritchard,
पॉल प्रिटचार्ड 29 साल के हैं और उनके सुर्खियों में होने की वजह है ब्रिटेन में युवाओं के बीच एक ऐसा चलन जो विवादों में है। दरअसल, ब्रिटेन में कई ऐसे युवा नसबंदी को अपना रहे हैं जिन्होंने तय कर लिया है कि वो बच्चा नहीं चाहते।
 
ब्रिटेन में सोशल नेटवर्क पर इन दिनों चाइल्डफ्री मूवमेंट काफी चर्चा में है और प्रिटचार्ड इन्हीं युवाओं में से एक है जिनका बीबीसी ने एक डॉक्यूमेंट्री के लिए इंटरव्यू किया है। जब मैं 18 साल का था, तभी मैंने तय कर लिया था कि मुझे बच्चे नहीं चाहिए।
 
इसके बाद से मैं हर साल अपने डॉक्टर से नसबंदी के बारे में पूछता था, लेकिन ब्रिटेन का राष्ट्रीय स्वास्थ्य विभाग लगातार 11 साल तक मुझे इसकी इजाज़त देने से इनकार करता रहा। उनका तर्क था कि नसबंदी के लिए मेरी उम्र अभी काफी कम है और ये मेरी आने वाली जिंदगी पर असर डाल सकता है।
आखिरकार 29 साल की उम्र में उन्होंने नसबंदी के लिए मुझे इजाज़त दे दी। जब डॉक्टर ने मुझे बताया कि मैं नसबंदी करा सकता हूं तो मैं बहुत खुश हुआ। कुछ लोग नसबंदी को अंतिम विकल्प के रूप में देखते हैं, लेकिन मैं उन लोगों में से नहीं हूं।
 
ब्रिटेन में नसबंदी कराने वाले मेरी उम्र या मुझसे भी छोटी उम्र के युवाओं की तादाद बढ़ रही है। मैं बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के लिए इंटरव्यू देने के लिए राज़ी हुआ और यहाँ तक कि मेरे ऑपरेशन को फ़िल्माने की इजाज़त भी उन्हें दी। जब नसबंदी के ऑपरेशन का दिन आया तो मैं काफ़ी नर्वस था।
 
नर्वस इसलिए नहीं कि इस ऑपरेशन के बाद मैं भविष्य में कभी बाप नहीं बन सकता था, बल्कि ये सोचकर कि छुरी से मेरे अंडकोष को काट दिया जाएगा। हालांकि हकीकत में ऐसा नहीं था और ये ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पुरुषों की शुक्राणुवाहक नलिका अवरुद्ध कर दी जाती है जिससे शुक्राणु वीर्य के साथ पुरुष लिंग तक न पहुंच सकें।
इसके बाद मुझसे अक्सर ये सवाल पूछा जाता कि मैंने ऐसा क्यों किया?
 
हर मामले में इसका जवाब अलग-अलग होगा, मेरे मामले में इसके कई कारण थे। उनमें से एक कारण था अनुवांशिक। मैं टाइप-1 डाइबिटीज़ से जूझ रहा था अवसादग्रस्त था। मेरी पत्नी भी गंभीर रूप से बीमार थी।
डाइबिटीज़ और अवसाद के कारण मैं बुरे दौर से गुजर रहा था और मेरे माता-पिता भी इस बीमारी के कारण परेशान थे।
 
मैं नहीं चाहता था कि मेरी संतानें भी इसी पीड़ा से गुजरें। एक और कारण था कि "मैं एक तरह से बेहद स्वार्थी हूँ और अपना पैसा और अपना समय अपनी तरह से खर्च करना चाहता हूं।" मैं अपना समय बच्चे को पालने और उसे बड़ा करने में बर्बाद नहीं करना चाहता था। सौभाग्य से मेरी पत्नी भी कुछ ऐसा ही चाहती थी।
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