क्या आपकी कभी अपने पति या पत्नी के साथ पैसों को लेकर बहस हुई है? या फिर परिवार के किसी सदस्य या दोस्त के साथ हुई हो?
आम तौर पर हम पैसों के बारे में बात नहीं करते, क्योंकि इससे सामने वाले को अजीब लग सकता है या बुरा लग सकता है। लेकिन हर बार पैसे के मामले को नज़रअंदाज़ भी नहीं किया जा सकता है। और जब पैसों को लेकर बहस होती है तो उसका अंत बहुत बुरा होता है। रिश्तों के बीच तनाव का पैसा एक बड़ा कारण हो सकता है।
ब्रिटेन में हुए एक हालिया सर्वे के मुताबिक पैसों के कारण हुए झगड़ों की वजह से सबसे ज़्यादा रिश्ते टूटे। (ये सर्वे चैरेटीस रिलेट, रिलेशनशिप्स स्कॉटलैंड एंड मैरिज केयर की ओर से कराया गया था), इससे पहले नेशनल ऑफिस ऑफ स्टेटिस्टिक्स की ओर से किए गए सर्वे में भी ये बात सामने आई है।
और ये सिर्फ पति-पत्नी के रिश्ते पर ही असर नहीं डालता, बल्कि परिवार और दोस्तों के बीच अनबन का भी ये आम कारण है। इन सारी समस्याओं का हल है कि पैसों को लेकर किसी भी तरह की बात साफ तौर पर हो यानी पैसों पर दोनों पक्षों के बीच ईमानदार और खुले तौर पर बातचीत होनी चाहिए।
लेकिन इस मामले में झगड़े के मुख्य कारण क्या होते हैं?
आप पैसे बचाने वाले इंसान हैं या पैसे उड़ाने वाले?
पैसों पर अक्सर बहस इसलिए होती है, क्योंकि पैसों को लेकर अलग-अलग लोगों का रवैया अलग होता है। आप खर्चीले हैं या पैसे बचाने वाले, ये आपकी शुरुआती ज़िंदगी के अनुभवों या घर के माहौल पर भी निर्भर करता है, यानी ये आदतें बचपन से बनती हैं।
लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप इस मामले में एकदम अपने मां-बाप की तरह होंगे। कई बार ये भी हो सकता है कि आपने बचपन में पैसे की तंगी देखी, लेकिन आगे चलकर आप बहुत खर्चीले हो गए- क्योंकि अब आपके पास पैसा है और अब आप ज़िंदगी अच्छे से जीना चाहते हैं। और आप बेहद खर्च करने लगते हैं।
कुछ लोगों के लिए पैसा ज़िंदगी को सुरक्षित बनाने का तरीका है, तो कुछ लोगों के लिए ये आज़ादी है। जबकि किसी के लिए ये प्यार दिखाने का तरीका हो सकता है और कुछ के लिए ये ताकत और स्टेट्स का एहसास हो सकता है। इसलिए पैसों के साथ हमारा रिश्ता काफी पेचीदा और गहरा होता है। और जब हम उन लोगों से मिलते हैं, जिनकी पैसों को लेकर सोच हमसे अलग है तो दोनों के बीच गलतफहमी और तनाव होने की संभावना होता है।
हो सकता है कि आप पैसों को बहुत सावधानी से खर्च करते हों, लेकिन आपका साथी नए कपड़ों और पार्टी करने में खूब उड़ाता हो। तो उनको लग सकता है कि आपको ये कंजूसी करना बंद करना चाहिए और कभी-कभार कुछ चीज़ों पर खर्च कर लेना चाहिए।
किसके पास ज़्यादा पैसा और किसके पास कम
अगर आपने एक नया रिश्ता शुरू किया है और 'मेरे पैसे' और 'तुम्हारे पैसे' को 'हमारे पैसे' में बदल दिया है, तो आगे चलकर कुछ चीज़ें हो सकती हैं। इसके बाद जब आप उस पैसे को खर्च करने के बारे में सोचेंगे तो मतभेद हो सकते हैं।
ऐसा कहना कि ये पैसा दोनों का आधा-आधा है, ये भी सही नहीं होगा। लेकिन फिर वो कौन-सा तरीका है, जिससे दोनों लोगों के बीच सब कुछ ठीक रहे?
और अगर कल को हालात बदलते हैं तो आप क्या करेंगे, जैसे बच्चा हो जाता है या आप अलग होने का फैसला कर लेते हैं। तो फिर क्या करना चाहिए? या आपका बहुत-सा पुश्तैनी पैसा भी उन पैसों में शामिल है तो क्या आप उसे भी आपस में बांटेंगे?
अगर आपका पैसा आपके साथी के पैसे से कम है तो इससे भी रिश्ते में दिक्कत आ सकती है। इससे आप बुरा महसूस कर सकते हैं। आपको लग सकता है कि आप किसी और पर निर्भर हैं।
अविश्वास
जेम्स को जब पता चला कि उनकी पत्नी उन्हें बताए बगैर एक क्रेडिट कार्ड से हज़ारों पाउंड खर्च कर चुकी हैं तो उन्हें बहुत धक्का लगा। उन्हें लग रहा था कि उन्हें साथ विश्वासघात हुआ है। जब आप कोई रिश्ता शुरू करते हैं तो उसमें विश्वास का स्तर बहुत ज़्यादा होता है। आप अपने साथी पर विश्वास करते हैं और आपको लगता है कि वो आपका ख्याल करेंगे।
लेकिन अगर पैसों को लेकर आप दोनों की सोच में अंतर है तो दोनों के बीच का विश्वास बुरी तरह टूट सकता है। इसलिए आपको अपनी खर्च करने की आदतों के बारे में ईमानदार रहना होगा और जो खर्च आप करते हैं उसके बारे में खुलकर बात करनी होगी।
ना पैसे उधार लें, ना दें
अगर आपसे कोई पैसे मांगता है तो आप क्या करते हैं?
पैसे मांगने वाला कोई बहुत अच्छा दोस्त हो सकता है, या कोई रिश्तेदार हो सकता है, जिसे घर का कुछ काम कराने या नई कार खरीदने के लिए पैसा चाहिए हो। आप उन्हें खुशी-खुशी पैसे उधार दे देते हैं। लेकिन क्या हो अगर वो उसे तोहफे की तरह ले लें और कभी पैसे लौटाए ही ना?
इसलिए अगर आप पैसे उधार देते भी हैं तो पहले साफ-साफ बात कर लें। ताकि आगे जाकर कोई गलतफहमी ना हो। इन सभी स्थितियों में ज़रूरी है कि पूरी बात ईमानदारी और खुले तौर पर हो।
आर्थिक विशेषज्ञ जीन थ्यूरेर छह टिप्स बताते हैं, जिन्हें अपनाकर आप पैसों की वजह से होने वाली बहस को टाल सकते हैं। सही वक्त पर पैसों के बारे में बात करें- एक दूसरे को सुनाए ना और सवाल-जवाब करके लड़ाई ना छेड़ें। सही वक्त पर बात करें। अपने साथी को नीचा ना दिखाएं- खुद के लिए खड़े हों, लेकिन अपने साथी पर आरोप लगाने से बचें।
अपने बजट को लेकर बात करते रहें- बजट को लेकर आप दोनों के बीच सहमति होनी चाहिए। इसके लिए हफ्ते में, महीने में या तीन महीने में बात करते रहें। आप देखते रहे कि क्या सबकुछ बजट के हिसाब से हो रहा है या आपको इसपर फिरसे काम करने की ज़रूरत है।
खुलकर बात करें- अगर आप चाहते हैं कि आपका साथी आपको समझे तो आपको ईमानदार रहना होगा।
एक दूसरे को सुने- जो आपका साथी बोल रहा है उसे ध्यान से सुने और समझने की कोशिश करें।
सम्मान करें- विश्वास, सहयोग और सम्मान का माहौल बनाएं ताकि आप दोनों बिना किसी डर के एक दूसरे से बात कर सकें।
अपने पैसे को बढ़ाने के लिए क्या करें:
किसी स्पेशल ऑफर या सेल के लालच में ना आएं: वही खरीदें जिसकी आपको ज़रूरत है। याद रखें कि अगर कोई कोट आपको आधे दाम में हज़ार रुपए में मिल रहा है। तो आपने 500 रुपए बचाए नहीं, बल्कि 500 रुपए खर्च कर दिए।
प्रलोभन देने वाली चीज़ों से दूर रहें: उन मेलिंग लिस्ट को अन-सबस्क्राइब कर दें जो रिटेलर के स्पेशल प्रमोशन और सेल के बारे में पिंग करती हैं। अपने खाने और पीने का बजट ध्यान रखें: वहीं खरीदें जो आपको खाना हो।
कोशिश करें कि कैश दें: जब आप असली नोट और सिक्के देते हैं तो आपको ज़्यादा बुरा लगता है, बजाए कार्ड देने के।
सेकेंड हैंड खरीदें: ये आपके लिए सस्ता भी होगा और पर्यावरण के लिए अच्छा भी।
जिस चीज़ की ज़रूरत नहीं है, उसे बेच दें।
ब्रैंडेड चीज़े लेने के बजाए अन-ब्रैंडेड चुनें।
इस लेख में मौजूद जानकारी बीबीसी रेडियो 4 के प्रोग्राम मनी क्लिनिक से ली गई है।