मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. PM Modi in press freedom attackers list
Written By BBC Hindi
Last Updated : बुधवार, 7 जुलाई 2021 (10:39 IST)

मोदी, प्रिंस सलमान, पुतिन और शेख़ हसीना प्रेस फ्रीडम के 'हमलावरों' की सूची में

मोदी, प्रिंस सलमान, पुतिन और शेख़ हसीना प्रेस फ्रीडम के 'हमलावरों' की सूची में - PM Modi in press freedom attackers list
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने पाँच साल बाद जारी की गई अपनी 'गैलरी ऑफ़ ग्रिम पोट्रेट' में पीएम मोदी समेत कई नए चेहरों को शामिल किया है।
 
दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने ऐसे 37 राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के नाम प्रकाशित किए हैं जो उसके मुताबिक 'प्रेस की आज़ादी पर लगातार हमले कर रहे हैं।'
 
इसे संस्था ने 'गैलरी ऑफ़ ग्रिम पोट्रेट' कहा है यानी निराशा बढ़ाने वाले चेहरों की गैलरी। इस गैलरी के 37 चेहरों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा भी शामिल है।
 
भारत में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के नेता और मंत्री इस तरह की रिपोर्टों को 'पक्षपातपूर्ण' और 'पूर्वाग्रह से प्रेरित' बताते रहे हैं, उनका कहना है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है जहाँ प्रेस को आलोचना करने की पूरी आज़ादी है।
 
हालाँकि पत्रकारों के संगठन और विपक्ष की ओर से ऐसे आरोप लगातार लगते रहे हैं कि मीडिया पर मोदी सरकार अपना शिकंजा कसती जा रही है।
 
इस रिपोर्ट पर भारत सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया जारी नहीं की गई है, प्रतिक्रिया मिलने पर उसे इस रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा।
 
रिपोर्ट
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स को आरएसएफ़ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि फ्रांसीसी में इसका नाम रिपोर्टर्स सां फ्रांतिए है।
 
आरएसएफ़ की रिपोर्ट में कहा गया है कि "प्रेस की आज़ादी के इन हमलावरों" में से कुछ तो दो दशकों से अपने ढर्रे पर चल रहे हैं, लेकिन कुछ नए चेहरे इस गैलरी में शामिल हुए हैं।
 
पहली बार शामिल होने वालों में भारत के पीएम मोदी के अलावा दो महिलाएँ और एक यूरोपीय चेहरा भी शामिल है। इसे 2021 की गैलरी ऑफ़ ग्रिम पोट्रेट कहा गया है, पिछली बार ऐसी गैलरी संस्था ने पाँच साल पहले साल 2016 में प्रकाशित की थी।
 
इस बार की गैलरी में तकरीबन पचास फ़ीसदी (17) चेहरे पहली बार शामिल किए गए हैं।
संस्था का कहना है कि इस गैलरी में उन शासन प्रमुखों को शामिल किया गया है जो सेंसरशिप वाले तौर-तरीके अपनाते हैं, मनमाने तरीकों से पत्रकारों को जेल में डालते हैं, उनके ख़िलाफ़ हमलों को बढ़ावा देते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सब अक्सर परोक्ष तरीके से होता है और इनका उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता को कुचलना होता है।
 
आरएसएफ़ ने एक प्रेस फ्रीडम मैप जारी किया है, इसमें रंगों के ज़रिए बताया गया है कि किस देश को किस श्रेणी में रखा गया है, जिन देशों को लाल रंग में दिखाया गया है वहाँ प्रेस स्वतंत्रता की हालत 'बुरी' है, जिन देशों को काले रंग में दिखाया गया है उनमें स्थिति 'बहुत ही बुरी' है।
 
इस नक्शे में भारत को लाल रंग में दिखाया गया है जबकि ईरान और सऊदी अरब जैसे देशों को काले रंग में, यानी इसके मुताबिक भारत की हालत बुरी है।
 
ग़ौर करने की बात ये भी है कि 'प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला करने वाले वाले' एक तिहाई नेता (13) एशिया प्रशांत क्षेत्र के हैं, इन सबकी उम्र औसतन 65-66 साल है।
 
आरएसएफ़ के महासचिव क्रिस्टोफ़ डेलॉरे का कहना है, "प्रेस की आज़ादी पर हमला करने वालों की लिस्ट में 37 नेता शामिल हैं लेकिन कोई यह नहीं कह सकता कि केवल इतने ही नेता हैं जो ऐसा कर रहे हैं।"
 
वे कहते हैं, "इनमें से हर नेता का अपना अलग स्टाइल है, कुछ अपने अतार्किक आदेशों से आतंक फैलाते हैं, कुछ दमनकारी कानूनों को रणनीति के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।"
 
लिस्ट में शामिल नए चेहरे
इस सूची में शामिल नए नामों में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान काफ़ी अहम हैं जिनके पास देश के सभी अधिकार केंद्रित हैं और वे प्रेस की स्वतंत्रता को "बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करते।"
 
आरएसफ़ की रिपोर्ट में कहा गया है कि सऊदी हुकूमत "जासूसी, धमकी, जेल और हत्या तक हर तरह के हथकंडे अपनाती है।" इस रिपोर्ट में सऊदी पत्रकार जमाल खशोगज्जी की हत्या को एक मिसाल के तौर पर पेश किया गया है।
 
इस सूची में ब्राज़ील के राष्ट्रपति ज़ैर बोलसेनारो भी शामिल हैं जिन्होंने महामारी के दौरान "पत्रकारों के ख़िलाफ़ ज़हरीले भाषण दिए।" लिस्ट में एकमात्र यूरोपीय नेता हैं हंगरी के विक्टोर ओर्बान जो खुद को उदारवादी लोकतंत्र का चैम्पियन बताते हैं लेकिन साल 2010 में सत्ता में आने के बाद से लगातार "वे मीडिया की स्वतंत्रता और विविधता को खत्म करने में लगे हैं।"
 
इस सूची की दोनों महिलाएँ एशियाई देशों से हैं, पहली हैं कैरी लैम जो हांगकांग पर चीन के आदेशों के तहत राज कर रही हैं, लगातार "मीडिया का दमन कर रही हैं।" दूसरा नाम बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना का है जो साल 2009 से प्रधानमंत्री हैं, उनके शासन में पिछले तीन सालों में 70 से अधिक पत्रकारों और ब्लॉगरों पर आपराधिक मुकदमे चलाए गए हैं।
 
'पुराने हमलावरों' की सूची
आरएसएफ़ ने यह सूची 20 साल पहले बनानी शुरू की थी और कुछ ऐसे नेता हैं जो इस सूची में तब से लेकर आज तक बने हुए हैं। सीरिया के बशर अल असद, ईरान के सर्वोच्च नेता ख़ामनेई, रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और बेलारूस के लुकाशेंको।
 
अफ़्रीकी देशों के तीन नेता भी इस सूची में शामिल हैं, इनमें से कई देश वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में सबसे नीचे हैं।
 
आरएसएफ़ ने इस लिस्ट में शामिल नेताओं की एक पूरी फ़ाइल तैयार की है जिसमें उनके प्रेस पर हमले के तरीकों को दर्ज किया गया है, इनमें बताया गया है कि वे किस तरह पत्रकारों को निशाना बनाते हैं, किस तरह उन्हें सेंसर करते हैं। इन फ़ाइलों में उनका पक्ष भी रखा गया है जिसमें वे इन कदमों को सही ठहराते हैं।
 
प्रेस फ्रीडम इंडेक्स
आरएसएफ़ सालाना प्रेस फ्रीडम इंडेक्स जारी करता है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मीडिया की आज़ादी को मापने का एक पैमाना समझा जाता है। इस इंडेक्स में भारत 180 देशों में 142वें नंबर पर है।
 
भारत इस इंडेक्स में पिछले चार सालों से लगातार नीचे खिसकता जा रहा है, वह साल 2017 में 136वें, साल 2018 में 138वें, साल 2019 में 140वें और पिछले साल 142वें नंबर पर पहुँच गया।
 
पेरिस स्थित रिपोर्टर्स सां फ्रांतिए (आरएसएफ़) यानी रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स एक नॉन-प्रॉफ़िट संगठन है जो दुनियाभर के पत्रकारों और पत्रकारिता पर होने वाले हमलों को डॉक्यूमेंट करने और उनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का काम करता है।
 
इस सूचकांक में नॉर्वे, फ़िनलैंड, डेनमार्क और न्यूज़ीलैंड जैसे देश अक्सर काफ़ी ऊपर होते हैं जबकि अफ्रीका के कई देश जहाँ लोकतंत्र नहीं है, वे सबसे नीचे होते हैं जैसे गिनी और इरीट्रिया।
 
ये भी पढ़ें
घट रहा है फाइजर वैक्सीन का असर: इसराइल