संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में अव्वल आने वाली इरा सिंघल का कहना है कि उन्हें भी महिला होने की वजह से भेदभाव का शिकार होना पड़ा था।
बीबीसी से बातचीत के दौरान 60 प्रतिशत से ज्यादा विकलांगता की शिकार इरा सिंघल ने अपने स्कूल और कॉलेज के अनुभव भी साझा किए।
उन्होंने बताया कि स्कूल या कॉलेज में वे जब भी लीक से हट कर कुछ करना चाहती थीं या कुछ बेहतर कर दिखाना चाहती थीं, तो उन्हें यह सुनकर निरुत्साहित होना पड़ता कि वे लड़की हैं।
'मुझसे कहा जाता था कि यह सब काम लड़के करते हैं।'
'स्त्री हो, घर बसाने की सोचो' : इरा के मुताबिक, शिक्षक, सहपाठी और घर के लोग भी उन्हें बार बार यह अहसास दिलाते रहते थे कि वे महिला हैं और उन्हें इस बात का ख्याल रखना चाहिए। उनसे कहा जाता था कि वे विवाह करने और घर परिवार संभालने के बारे में सोचें।
इरा ने बीबीसी से कहा कि वे महिलाओं, शारीरिक रूप से अक्षम लोगों और समाज के वंचित तबके के लोगों के लिए कुछ करना चाहती हैं। उन्हें सही मौके की तलाश है जब वे दूसरों के लिए कुछ कर सकें।
वे यह भी कहती हैं कि कभी उनकी बातों को सुना नहीं गया। वे अब भी पूरी तरह आश्वस्त नहीं है कि लोग उनकी बातों को पूरी गंभीरता से सुनेंगे।