• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. Mani Shankar Aiyar visit kashmir
Written By
Last Modified: शुक्रवार, 26 मई 2017 (14:50 IST)

तो कश्मीरियों पर जंग छेड़ने के सिवाय कोई रास्ता न बचेगाः मणिशंकर अय्यर

तो कश्मीरियों पर जंग छेड़ने के सिवाय कोई रास्ता न बचेगाः मणिशंकर अय्यर - Mani Shankar Aiyar visit kashmir
माजिद जहांगीर (श्रीनगर से)
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर दो दिनों से भारत प्रशासित कश्मीर में एक प्रतिनिधिमंडल को लेकर कई राजनीतिक दलों से मिल रहे हैं। गुरुवार को ये प्रतिनिधिमंडल अलगाववादी नेताओं के अलावा राज्यपाल एनएन वोहरा और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती से भी मिला।
 
भारत प्रशासित कश्मीर में पिछले कई महीनों से हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। कश्मीर घाटी में पत्थरबाज़ी की घटनाओं के बीच सोशल मीडिया पर भी बैन लगाया गया है। केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ़ कर दिया है कि हिंसा करने वालों के साथ कोई बातचीत नहीं होगी। इस बीच, राज्य में पीडीपी और बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार पर भी अलगाववादी और विपक्षी दल सवाल उठाते रहे हैं।
 
मणिशंकर अय्यर से हमने भारत प्रशासित कश्मीर के हालात और अलगाववादियों से बातचीत पर कुछ सवाल किए। यहां पढ़ें उनसे बातचीत के अंश:
 
क्या कश्मीर में बातचीत के लिए माहौल अभी अनुकूल है?
अभी बातचीत नहीं की तो हालात और बिगड़ जाएंगे। आज के दिन लग रहा है कि ज़ाकिर मूसा के पीछे लोग जुड़ रहे हैं। आप मुझे ये बताएं कि गिलानी से बात नहीं करेंगे तो क्या ज़ाकिर मूसा के साथ बात होगी? ज़ाकिर मूसा ने तो कहा है कि ये सियासी नहीं इस्लामी और ग़ैर इस्लामी का मसला है। अगर आज ठोस क़दम नहीं उठाए गए तो क्या पता कुछ ही महीनों के अंदर हालत इस तरह बिगड़ेंगे कि और कोई रास्ता नहीं बचेगा, सिवाय कश्मीरियों पर जंग छेड़ने के।
 
केंद्र सरकार से इस बातचीत के लिए क्या आपको कोई समर्थन है, आप कैसे एक अच्छे नतीजे की उम्मीद कर रहे हैं?
मैं भारत का नागरिक हूं। मैं कश्मीरियों को भारत का नागरिक समझता हूं। मैं उनको अपना भाई-बहन समझता हूं। कश्मीरियों को हम क़ब्ज़े में नहीं ले सकते, जब तक हम कश्मीरियों को अपने साथ न जोड़ें। इन तीन दिनों में हमने इतने फ़िरकों से बातचीत की है कि सभी ने हमारा इस्तक़बाल किया है। कोई ये समझे कि यहां फ़ौज लाकर सब दब जाएंगे, ऐसा नहीं है।
 
क्या आप को लगता है कि केंद्र सरकार आपके सुझावों पर गौर करेगी?
कुछ होगा तो ख़ुशी होगी, नहीं होगा तो मैं क्या करूंगा। खुदा ने मुझे वह क्षमता नहीं दी है।
भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हाल में ही कहा कि वो कश्मीर समस्या का हमेशा के लिए एक हल तलाश करेंगे, वह हल क्या हो सकता है?
तीन साल से तो नहीं निकाल पाए। कहा था महीने भर में हल निकाल सकता हूँ। मैं इन पर यक़ीन नहीं रखता हूँ। राजनाथ सिंह कुछ नहीं कर सकते हैं क्योंकि उनकी पार्टी दबी है मोदी जी की तानाशाही में। मुझे यक़ीन नहीं है कि हमारे प्रधानमंत्री या गृहमंत्री से कश्मीर का मसला हल होगा। दो साल हमें इंतज़ार करना पड़ेगा। मोदी की सरकार पलटने पर शायद हम आगे बढ़ जाएं।
 
आपका कश्मीर घाटी में शांति लाने का क्या फ़ॉर्मूला है?
बातचीत के ज़रिए फ़ॉर्मूला खुद-ब-खुद निकल आएगा। अगर हम आज से ये कहने लगेंगे कि यही होना चाहिए तो क्या बातचीत होगी या वो कहें, जैसे सैयद अली शाह गिलानी ने आज हमसे कहा कि पहले आप आज़ादी की बात मानिए, तब हम आप से बात करेंगे। हमने नहीं माना तो? इसलिए मेरा मानना है कि लोगों से बात करें, उसके लिए एजेंडा तैयार करें। पाकिस्तान से भी बातचीत हो क्योंकि भारत-पाकिस्तान का मसला कश्मीर मसले से जुड़ा हुआ है। मैं ये नहीं कहता हूँ कि जो हिंदुस्तान और पाकिस्तान की आपसी बात हो, उसमें कश्मीर भी जुड़े, बल्कि मैं कहता हूँ कि दिल्ली-इस्लामाबाद और दिल्ली-श्रीनगर में बात हो। मैं ये भी सोचने को तैयार हूँ जैसे एक अलगाववादी ने मुझे कहा कि क्यों न श्रीनगर-मुज़्ज़फ़राबाद भी। मैं तो कहता हूँ कि चलिए उसको भी जोड़ लीजिए। वो ये भी कह रहे थे कि श्रीनगर-इस्लामाबाद भी, जो आज के दिन नामुमकिन है।
 
क्या आपको लगता है कि केंद्र सरकार अलगाववादियों को किसी तरह की रियायत दे सकती है?
हरगिज़ नहीं! क्योंकि केंद्र सरकार जानती है कि उनको एक वोट यहाँ कश्मीर में मिले तो दस वोट जो आरएसएस हासिल कर रही है वो उनसे छीन लिया जाएगा। ये लोग अपना हिन्दू राष्ट्र बनाने में लगे हुए हैं।
 
कश्मीर के लोगों में आपने यहां कितना गुस्सा पाया?
बहुत ज़्यादा, कश्मीर में बहुत तनाव है।
 
हाल ही में सेना के एक अधिकारी को एक व्यक्ति को 'इंसानी ढाल' बनाने पर सम्मानित किया गया, क्या आपकी सरकार होती तो आप भी ऐसा ही करते?
कभी नहीं। ये सोच रहे हैं कि कश्मीरियों को धमकियों से दबा सकते हैं, ये बिलकुल ग़लत सोच है। इस सोच को बदलना बहुत ज़रूरी है।
 
क्या महबूबा मुफ़्ती की सरकार कश्मीर में हालात को पटरी पर लाने में पूरी तरह नाकाम हो गई है ?
आपको लग रहा है कि यहां महबूबा मुफ़्ती के नेतृत्व में कोई सरकार चल रही है? मुझे तो लग रहा है कि यहाँ के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। बीजेपी इस सरकार को चला रही है। बीजेपी पिछले दरवाज़े से पहुंच गई और अब सिंहासन पर बैठ गई। वो मोदी जी की तारीफ़ करती रहती हैं और उनके हज़ारों वोट घट जाते हैं।
 
पहले जब आप आए थे तो कश्मीर कैसा था और आज क्या अंतर दिखा आपको?
दुकानें खुली हैं और कर्फ्यू नहीं है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि सब ठीक है। जैसे अमित शाह ने कहा कि कश्मीर समस्या सिर्फ़ कश्मीर के तीन ज़िलों में है। ऐसा तो ब्रिटिश के वायसराय ने भी कहा था कि भारत में तो कुछ ही लोग आंदोलन चला रहे हैं।
 
आपकी सरकार जब थी तब भी कश्मीरी बच्चे मारे गए लेकिन आपकी सरकार ने तो एक भी मौत की जाँच के आदेश नहीं दिए, क्यों ?
मैं मानता हूँ कि कांग्रेस ने भी बड़ी ग़लतियां कीं। जहां सेना को विशेष अधिकार देने वाला अफ़्स्पा कानून हो, वहां कुछ नहीं कर सकते हैं।
 
क्या पत्थरबाज़ों को आम माफ़ी मिलनी चाहिए?
मैं चाहता हूँ कि पत्थर फेंकने वालों को बंदूक़ से जवाब नहीं दिया जाना चाहिए। कल हो सकता है कि वो पत्थर छोड़ कर हाथों में बंदूक़ उठाने लगें।