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Last Modified: गुरुवार, 2 जनवरी 2020 (16:40 IST)

नोट्स बनाकर पढ़ना क्या ज़्यादा फायदेमंद होता है?

नोट्स बनाकर पढ़ना क्या ज़्यादा फायदेमंद होता है? - Is it more beneficial to make notes and read?
आपको याद होगा बचपन में स्कूल से जो होमवर्क मिलता था, अक्सर उसमें स्कूल में किए गए काम को ही फिर से लिखकर लाने को कहा जाता था। ज़ेहन सवाल करता था कि जो काम हम कर चुके हैं उसे फिर से करने का क्या मतलब? लेकिन हमारे अध्यापक और घर के बुज़ुर्ग कहते थे दोबारा लिखने से सबक़ हमेशा के लिए याद रहेगा। शब्द बार-बार लिखने से ज़ेहन में बस जाएंगे।

नई तकनीक के आगे, पढ़ने-लिखने का वो तरीक़ा पुराना हो गया है। आज स्कूल में कॉपी, क़लम की जगह बच्चे लैपटॉप और पैड लेकर जाते हैं। ज़ाहिर तौर हम इसे बदलते दौर का अच्छा और नया अंदाज़ मान सकते हैं लेकिन क्या वास्तव में नई तकनीक की मदद से पढ़ने का ये अंदाज़ छात्रों के लिए मुफ़ीद है?

2014 में अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी में एक तजुर्बा किया गया। इसमें लेक्चर के नोट तैयार करने के लिए आधे छात्रों को काग़ज़ क़लम दिए गए और बाक़ी आधे छात्रों को लैपटॉप। ज़ाहिर है नौजवान पीढ़ी की-बोर्ड पर अंगुलियां चलाते आगे बढ़ रही है, तो लैपटॉप पर नोट तैयार करने वाले छात्रों ने हर्फ़-ब-हर्फ़ लेक्चर के नोट्स बनाए। जबकि काग़ज़ क़लम का इस्तेमाल करने वाले छात्रों ने लेक्चर समझकर अपने ज़ेहन में उसके प्वाइंट बनाए, फिर उन्हें काग़ज़ पर उतारा।

बाद में छात्रों की समझ जांचने के लिए उनसे लेक्चर से संबंधित कुछ सवाल पूछे गए। जहां तक बात थी तथ्यों की, तो दोनों ही छात्रों ने लगभग सही जवाब दिए लेकिन जब लेक्चर का सार, उसके मायने पूछे गए तो काग़ज़ क़लम का इस्तेमाल करने वाले छात्रों ने ज़्यादा बेहतर जवाब दिए।

दरअसल की-बोर्ड पर टाइपिंग करते समय छात्र सिर्फ़ लेक्चर सुनकर उसे लिख रहे थे। लेक्चर की विषयवस्तु पर उनका ध्यान नहीं था, जबकि काग़ज़ क़लम इस्तेमाल करने वालों के पास लेक्चर समझकर उसके नोट्स बनाने के अलावा कोई और चारा नहीं था, क्योंकि क़लम से पूरा लेक्चर लिखना संभव नहीं था। काग़ज़-क़लम इस्तेमाल करने का एक फ़ायदा और है।

नोट्स बनाते समय ज़रूरी बातें अंडरलाइन की जा सकती हैं और ज़रूरत पड़ने पर केवल उन्हीं बिंदुओं पर नज़र दौड़ा लेने भर से पूरा लेक्चर समझा जा सकता है। साथ ही याद रखने के लिए अतिरिक्त जानकारियां हाशिए पर लिखी जा सकती हैं, जबकि टाइपिंग के दौरान ऐसा करना ज़रा मुश्किल होता है। इसीलिए जब टाइप किए गए लेक्चर में अगर कोई ख़ास बात तलाशनी हो तो पूरा लेक्चर पढ़ना पड़ेगा।

छात्रों के साथ इसी तरह का एक और प्रयोग किया गया। इस बार छात्रों को आगाह किया गया था कि वो हर्फ़-ब-हर्फ़ नोट्स तैयार नहीं करेंगे। लेकिन पता चला कि लैपटॉप इस्तेमाल करने वाले छात्रों ने हर्फ़-ब-हर्फ़ ही नोट्स तैयार किए और जब लेक्चर से संबंधित वैचारिक सवाल पूछे गए तो वो जवाब नहीं दे पाए।

रिसर्च में ये भी पता चला कि लैपटॉप पर तैयार किए गए हर्फ़-ब-हर्फ़ लेक्चर दोहराने में भी आसान नहीं होते। नोट्स तैयार करने के एक हफ़्ते बाद जब छात्रों से लेक्चर से संबंधित सवाल पूछे गए तो काग़ज़ क़लम का इस्तेमाल करने वाले छात्रों का प्रदर्शन ज़्यादा बेहतर था।

दरअसल काग़ज़ क़लम का इस्तेमाल करने वाले छात्रों का ज़ेहन पूरी बात सुनकर उसकी ख़ास बातें संजो लेता है। इसीलिए ऐसे छात्रों को लंबे समय तक लेक्चर याद रहता है, जबकि लैपटॉप इस्तेमाल करने वाले छात्रों का दिमाग़ लेक्चर को हू-ब-हू उतार लेने में व्यस्त रहता है।

लेक्चर की रिकॉर्डिंग
जानकारियां याद रखने का एक और अच्छा तरीक़ा है कि लेक्चर रिकॉर्ड कर लिया जाए। ताकि, बाद में भी उसे कई बार सुनकर अच्छी तरह याद रखा जा सके। लेकिन, ये तरीक़ा कारगर है या नहीं, ये पता लगाने के लिए अमरीका की नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी में एक प्रयोग किया गया। फ़ार्मेसी के छात्रों का एक लेक्चर दो हिस्सों में बांट दिया गया।

लेक्चर के एक हिस्से की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई और आधे हिस्से की रिकॉर्डिग नहीं की गई। लेक्चर के एक हफ्ते बाद सभा छात्रों को लेक्चर दोहराने को कहा गया। लेकिन नतीजों में बहुत ज़्यादा बदलाव नहीं था। लेक्चर रिकॉर्ड करना या नहीं करना, किसी की निजी पसंद हो सकता है। टाइप किए गए नोट्स का एक फायदा है कि, इन्हें सहेज कर रखने में आसानी होती है।

2019 में नॉर्वे के हेलसिंकी में मेडिकल के छात्रों को आई-पैड दिए गए। ये उन्हें सबक़ याद रखने में काफ़ी मददगार साबित हुए। टैबलेट इस्तेमाल करने से उन्हें नॉन-लीनियर नोट्स तैयार करने में मदद मिली। हालांकि लैपटॉप, आई-पैड, टैबलेट जैसे गैजेट्स छात्रों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं। लेकिन, इनके इस्तेमाल करने या नहीं करने से छात्रों के प्रदर्शन पर कितना असर पड़ता है इस पर रिसर्च नहीं हुई है।

बहरहाल अगर आप टाइप तेज़ कर लेते हैं और नोट्स की नक़ल रखना चाहते हैं, तो लैपटॉप बेहतर विकल्प है। लेकिन, अगर कोई भी लेक्चर का भाव गहराई से समझना चाहता है, तो हाथ से लिखकर नोट्स तैयार करना ही बेहतर है।
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