मंगलवार, 26 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. Imran Khan Nuclear Weapon Donald Trump
Written By BBC Hindi
Last Updated : मंगलवार, 23 जुलाई 2019 (11:37 IST)

इमरान ख़ान परमाणु हथियार छोड़ने को तैयार, रखी ये शर्त

इमरान ख़ान परमाणु हथियार छोड़ने को तैयार, रखी ये शर्त - Imran Khan Nuclear Weapon Donald Trump
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा है कि वे परमाणु हथियार छोड़ने के लिए तैयार हैं लेकिन भारत को भी ऐसा ही करना होगा। अमेरिकी दौरे पर गए इमरान ख़ान ने फ़ॉक्स न्यूज़ के पत्रकार ब्रेट बेयर को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है।
 
ब्रेट बेयर ने इमरान ख़ान से पूछा कि अगर भारत कहता है कि वह परमाणु हथियार छोड़ने के लिए तैयार है तो क्या पाकिस्तान भी ऐसा ही करेगा? इस सवाल के जवाब में इमरान ख़ान ने कहा कि 'हां, क्योंकि परणाणु युद्ध कोई विकल्प नहीं है। पाकिस्तान और भारत के बीच परमाणु युद्ध का आइडिया ख़ुद से ख़ुद को बर्बाद करना होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि दोनों देशों के बीच ढाई हज़ार मील की सीमा लगती है।
 
पीएम ख़ान ने कहा कि दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध पूरे उपमहाद्वीप के लिए ख़तरनाक होगा। ख़ान ने कहा कि फ़रवरी में दोनों देशों के बीच जो कुछ भी हुआ उसके बाद से सरहद पर तनाव है।
 
इमरान ख़ान ने कहा कि पाकिस्तान में एक भारतीय लड़ाकू विमान को मार गिराया गया था। इन्हीं चीज़ों को देखते हुए मैंने राष्ट्रपति ट्रंप से कहा कि वो भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ बनकर अपनी भूमिका निभा सकते हैं। अमेरिका दुनिया का सबसे ताक़तवर देश है इसलिए वो एकमात्र देश है जो भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर पर मध्यस्थ की भूमिका अदा कर सकता है।
 
कश्मीर ही मुद्दा
इमरान ख़ान ने कहा कि दोनों देशों के बीच पिछले 70 सालों में कश्मीर ही एक ऐसा मुद्दा है जिसके चलते एक सभ्य पड़ोसी की तरह नहीं रह पा रहे हैं। बेयर ने ट्रंप के मध्यस्थता वाले बयान पर भारत की प्रतिक्रिया का भी ज़िक्र किया, जिसमें भारत ने ट्रंप के उस बयान को सिरे से ख़ारिज कर दिया है कि कश्मीर मामले में किसी तीसरे पक्ष की ज़रूरत नहीं है।
 
इस पर इमरान ख़ान ने कहा कि भारत पहले बातचीत की टेबल पर तो आए। ख़ान ने कहा कि अमेरिका इसमें सकारात्मक भूमिका अदा कर सकता है। ख़ान ने कहा कि 'भारत पहले बातचीत की टेबल पर आए। हम इस मामले में अमेरिका को लेकर आशावादी हैं। अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रंप निश्चित तौर पर इस मामले में सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं। इमरान ख़ान प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार अमेरिका गए हैं। सोमवार को दोनों राष्ट्राध्यक्षों की व्हाइट हाउस में मुलाक़ात हुई।
 
मुख्य एजेंडा अफ़ग़ानिस्तान
कहा जा रहा है कि इमरान के इस दौरे में अमेरिका का मुख्य एजेंडा अफ़ग़ानिस्तान है जहां वे पिछले 18 सालों से एक संघर्ष में शामिल है जिसे अब तक अंजाम तक नहीं पहुंचा पाया है। दूसरी तरफ़ इमरान ख़ान चाहते हैं कि अमेरिका ने सैन्य और आर्थिक मदद जो रोक दी थी उसे बहाल करे। दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों का समृद्ध इतिहास रहा है लेकिन ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से चीज़ें पूरी तरह से बदल गई हैं।
 
अमेरिका की शिकायत है कि पाकिस्तान आर्थिक और सैन्य मदद लेता रहा लेकिन उसने आतंकवाद के ख़िलाफ़ कुछ नहीं किया। सोमवार को जब दोनों नेता व्हाइट हाउस में मिले तो चेहर पर हंसी थी।
 
इमरान ख़ान ने कहा कि वे प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही अमेरिका से संबंध को आगे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। दूसरी तरफ़ ट्रंप ने इमरान के सामने ही कहा कि पाकिस्तान ने अतीत में अमेरिका का सम्मान नहीं किया है। अभी पाकिस्तान को बहुत कुछ करना है। हम इमरान ख़ान को लेकर आशावादी हैं और उम्मीद है कि रिश्तों में मधुरता आएगी।
 
ट्रंप ने अफ़ग़ानिस्तान को लेकर कहा कि अगर युद्ध जीतना चाहता तो पृथ्वी से ही मिटा देता। हम ऐसा नहीं करना चाहते हैं। ट्रंप चाहते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान की सकारात्मक भूमिका निभाए। अफ़ग़ानिस्तान पर इमरान ख़ान ने कहा कि यह अमेरिका के लिए सबसे लंबा युद्ध रहा है और उन्हें लगता है कि इसका समाधान राजनीतिक ही हो सकता है।
 
नंवबर में ट्रंप ने ट्वीट कर कहा था कि 'पाकिस्तान ने ओसामा बिन-लादेन को छुपा कर रखा था। आख़िरकार हमने पाकिस्तान में घुसकर मारा। इमरान ख़ान कहते रहे हैं कि पाकिस्तान ने आतंकवाद की सबसे बड़ी क़ीमत चुकाई है।
 
ट्रंप ने कहा कि वे अफ़ग़ानिस्तान युद्ध एक हफ़्ते में जीत सकते हैं लेकिन नहीं चाहते हैं कि 1 करोड़ लोगों की जान जाए। ट्रंप ने इमरान ख़ान के सामने ही कहा कि समस्या यह है कि पाकिस्तान ने हमारे लिए कुछ नहीं किया और यही उलट-पुलट करने वाला साबित हुआ। मुझे लगता है कि पाकिस्तान के साथ अभी सबसे अच्छा संबंध है और ऐसा कभी नहीं रहा।
 
ट्रंप ने कहा कि पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक मदद बहाल की जा सकती है लेकिन यह उस पर निर्भर करता है कि पाकिस्तान कितना ठोस कर रहा है। लेकिन ट्रंप ने कहा कि अमेरिका-पाकिस्तान संबंध बिना आर्थिक मदद मुहैया कराए ही अच्छा है।
ये भी पढ़ें
ट्रंप ने इमरान से बांटा दर्द, आपसे ज्यादा बुरा व्यवहार तो मेरे साथ हुआ