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Written By BBC Hindi
Last Updated : सोमवार, 19 दिसंबर 2022 (10:10 IST)

वर्ल्ड कप : मेसी के नाम फ़ाइनल की रात, एमबापे और ग़ज़ब का रोमांच रहेगा याद

वर्ल्ड कप : मेसी के नाम फ़ाइनल की रात, एमबापे और ग़ज़ब का रोमांच रहेगा याद - football world cup final match
- वात्सल्य राय
लियोनेल मेसी फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप के क़रीब पहुंचे। थोड़ा झुके और बहुत अहिस्ता से ट्रॉफ़ी को चूम लिया। और जब वर्ल्ड कप हाथ में आया तो बोले, मैं इसे बहुत शिद्दत से चाहता था। मुझे लग रहा था कि गॉड मुझे ये देंगे। ये मेरा लम्हा है। क़तर के लुसैल स्टेडियम में रविवार को जो कहानी लिखी गई, वो किसी 'परी कथा' जैसी मालूम होती है।

लेकिन सिर्फ़ मेसी के लिए नहीं। दिल में कोई मुराद लिए इस कहानी के प्लॉट में दाख़िल हुए हर किरदार के हिस्से कामयाबी, शोहरत और ख़ुशियां आईं। किसी के हिस्से थोड़ी ज़्यादा तो किसी के हिस्से थोड़ी कम। लेकिन झोली शायद ही किसी की खाली रही। इनमें टीमों के समर्थक और फ़ाइनल खेल रही अर्जेंटीना और फ़्रांस की टीमों से तटस्थ फ़ुटबॉल का मज़ा लेने वाले फ़ैन्स भी शामिल हैं।

'थम गई थीं सांसें'
मेसी तो ख़ैर मैदान पर थे, जो बाहर बैठकर या टीवी सेट पर मैच देख रहे थे, इस मैच को लेकर उनकी राय भी कोई अलग नहीं थी। इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी एलन शियरर ने कहा, हमारी सांसें थम गई हैं। ये एक अविश्वसनीय फ़ाइनल था। मैंने पहले कभी ऐसा मैच नहीं देखा। मुझे नहीं लगता कि मैं आगे भी कभी ऐसा देख पाऊंगा। ये हैरान करने वाला मैच था।

मज़ा देखिए, ये उस फ़ाइनल की बात हो रही है जहां मुक़ाबला शुरू होने के बाद 70 मिनट के लगभग तक मैच इतना एकतरफ़ा था कि सोशल मीडिया पर कई यूज़र इसके 'स्क्रिप्टेड' यानी नतीजा पहले से तय होने का आरोप तक लगाने लगे।

तब तक सब कुछ लियोनेल मेसी और अर्जेंटीना टीम के हक़ में जा रहा था। मानो नियति ने तय कर लिया हो कि वो आधुनिक दौर के 'सबसे बड़े' फ़ुटबॉल खिलाड़ी को क़तर से खाली हाथ नहीं भेजेगी। तब तक फ़्रांस की टीम अर्जेंटीना के सामने दोयम दिख रही थी। वो आई तो थी लगातार दो वर्ल्ड कप जीतकर ब्राज़ील के 60 साल पुराने रिकॉर्ड की बराबरी करने, लेकिन बिना जान लड़ाए ही 'सल्तनत' गंवाने जा रही थी।

जीत यूं मिलती तो भी मेसी, अर्जेंटीना और उनके समर्थकों का सातवें आसमान पर पहुंचना तय था, लेकिन वो नतीजा क़तर वर्ल्ड के फ़ाइनल की कहानी को 'अमरता' नहीं दिला पाता। जीत पर फ़ैन्स झूम तो लेते, लेकिन उन्हें तेज़ी से धड़कता अपना दिल सीने उछलकर बाहर आता मालूम नहीं होता। वो अपने साथ मैच देखने वालों से ये कहते हुए शर्त नहीं लगा पाते, 'बोलो कौन जीतेगा?' या (किलियन) एमबापे, मेसी पर भारी न पड़ जाए!

तब फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों 'प्रोटोकॉल' की सीमाओं के परे किसी किशोर उम्र फ़ैन जैसे मुट्ठियां और दांत भींचे और आंखें निकाले नहीं दिखते। आंखों में उन्माद और बेकाबू जज़्बात का सैलाब उमड़ता नहीं दिखता।

सबसे दिलचस्प फ़ाइनल
लेकिन इस कहानी में ये सब होना था। 80वें मिनट में पहला, दो मिनट के भीतर और एक्स्ट्रा टाइम में तीसरा गोल दाग़कर फ़ाइनल में हैट्रिक जमाने वाले एमबापे के करिश्माई खेल से फ़्रांस का रुतबा और मैच का रोमांच चरम पर पहुंचना था।

और, इसने एक सीधी-सादी लगभग 'बोरिंग' सी लगने लगी कहानी में एक के बाद एक ऐसे मसाले भरने शुरू कर दिए जिनकी कल्पना कमर्शियल फ़िल्मों में ऑन डिमांड कहानी लिखने वाले भी न कर सकें। इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी रियो फ़र्डिनेंड ने कहा, जो कुछ हुआ मैं उसकी कल्पना नहीं कर सकता था। हालांकि ऐसा नहीं है कि खिलाड़ियों और फ़ैन्स ने मैच को लेकर कल्पनाएं न की हों।

फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप 2022 का फ़ाइनल मुक़ाबला शुरू होने के पहले ही स्टेडियम में मौजूद और दुनिया के कोने-कोने में टीवी सेट पर आंखें लगाए फ़ैन्स तय कर चुके थे कि वो किस टीम का समर्थन करने वाले हैं।

ऐसी दीवानगी...
अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स की सड़कों पर इतने लोग थे कि गिनना मुश्किल था। ये गिनती तो और भी मुश्किल थी कि उनमें से कितनों के जिस्म पर 10 नंबर' की वो चर्चित जर्सी है, जिसे पहनकर कप्तान लियोनेल मेसी वर्ल्ड कप में अपना आख़िरी मैच खेलने को उतरने वाले हैं।

फ़ैन्स की दीवानगी और जोश फ़्रांस की राजधानी पेरिस में भी कम नहीं था। समर्थकों के बीच पेरिस में भी 10 नंबर की जर्सी का क्रेज़ था, लेकिन वहां जर्सी का रंग वही था जो फ़्रांस के मेगास्टार किलियन एमबापे पहनते हैं। फ़ाइनल मुक़ाबले को मेसी और एमबापे की टक्कर के तौर पर ही देखा जा रहा था।

स्टेडियम में अर्जेंटीना के फ़ैन्स संख्या में ज़्यादा थे। इनमें से कुछ फ़ैन्स निकोलस जैसे भी थे जिन्होंने बीबीसी को बताया कि 24 सौ डॉलर यानी क़रीब दो लाख रुपए चुकाने के बाद उन्हें एक टिकट हासिल हुआ है। लेकिन उन्हें अफ़सोस नहीं था। निकोलस का कहना था, मेसी को वर्ल्ड कप उठाता देखने के लिए मैं इससे भी ज़्यादा क़ीमत दे सकता था।

वहीं एमबापे का जोश बढ़ाने के लिए फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों जैसे हाई प्रोफ़ाइल फ़ैन लुसैल स्टेडियम में मौजूद थे। वो चार दिन में दूसरी बार क़तर में थे। सेमीफ़ाइनल में मोरक्को पर जीत के बाद उन्हें फ़्रांस के लिए 'लकी मस्कट' माना जा रहा था। कल्पनाएं अपनी जगह थीं, लेकिन फ़ाइनल की कहानी ने अपनी राह चुनी।

मैच में स्कोर
23वें मिनट में मेसी ने अर्जेंटीना के लिए पहला गोल किया।
36वें मिनट में एंगेल डि मारिया ने अर्जेंटीना के लिए दूसरा गोल किया। पहले हॉफ़ में कोई और गोल नहीं हुआ।
मैच फ़्रांस के हाथ से निकल रहा था, लेकिन 80वें मिनट में एमबापे ने फ़्रांस के लिए पहला गोल किया।
81वें मिनट में एमबापे ने दूसरा गोल दाग़ फ़्रांस को अर्जेंटीना की बराबरी पर ला दिया।

एक्स्ट्रा टाइम का रोमांच
निर्धारित समय तक दोनों टीमों के 2-2 से बराबर रहने पर मैच एक्सट्रा टाइम में गया।
108वें मिनट में मेसी ने गोल किया और अर्जेंटीना को बढ़त दिला दी
118वें मिनट में एमबापे ने हैट्रिक जमाते हुए फ़्रांस को बराबरी पर ला दिया।

एमबापे का करिश्मा 80वें मिनट से शबाब पर आया। तब तक मेसी के नाम की धूम थी, लेकिन अगले 40 मिनट में से ज़्यादातर समय तक कहानी के केंद्र में एमबापे रहे। 10 नंबर की जर्सी पहनकर धमाल मचाता ये खिलाड़ी उसी नंबर की जर्सी पहनने वाले विरोधी खिलाड़ी की पार्टी बिगाड़ने की ज़िद ठाने नज़र आने लगा।

पेनल्टी शूटआउट के हीरो
लेकिन कहानी अभी बाकी थी। मैच का नतीजा पेनल्टी शूटआउट से होना तय हुआ और फ़ाइनल के पहले मेसी के लिए वर्ल्ड कप जीतने का ऐलान कर चुके अर्जेंटीना के गोलकीपर एमिलियानो मार्टिनेज़ ने मोर्चा संभाल लिया।


वो फ़्रांस और वर्ल्ड कप के बीच दीवार बन गए। फ़्रांस ने चार मौके आज़माए और उनमें से दो ही भुनाए। दो प्रयासों को एमिलियानो ने बेकार कर दिया। जीत तय करने के बाद एमिलियानो ने कहा, मैंने जो ख़्वाब देखा था वो पूरा हो गया। उन्होंने आगे कहा, मेरे पास शब्द नहीं हैं। पेनल्टी शूटआउट के दौरान मैं शांत था। हम जैसा चाहते थे, सबकुछ वैसा ही हुआ।

'दिल तोड़ने वाली हार'
एमिलियानो की कोशिश ने एमबापे की मेहनत पर पानी फेर दिया। सऊदी अरब के ख़िलाफ़ हार से अभियान की शुरुआत करने वाली अर्जेंटीना टीम वर्ल्ड कप चैंपियन बन गई। हार से मायूस एमबापे ने टी शर्ट चेहरे पर खींचकर मुंह छुपा लिया। मानो अपनी भावनाएं छुपा लेना चाहते हों। उन्हें तसल्ली देने के लिए ख़ुद मैक्रों को मैदान पर आना पड़ा।

मैक्रों ने कहा, हम सब बहुत दुखी हैं। ख़ासकर ये देखते हुए कि हार किस तरह मिली। हम जीत के क़रीब थे। मैंने ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ियों से कहा कि हमें उन पर बहुत गर्व है। मैक्रों के मुताबिक़, जितने भी वर्ल्ड कप फ़ाइनल देखे हैं, मेरी नज़र में ये उनमें सर्वश्रेष्ठ है। फ़्रांस के कोच दिदिए देशां ने कहा, ये हार दिल तोड़ने वाली है। लेकिन हार के बाद भी एमबापे खाली हाथ नहीं लौटे।

वर्ल्ड कप के पुरस्कार
एमबापे (8 गोल) को गोल्डन बूट अवॉर्ड मिला।
लियोनेल मेसी को गोल्डन बॉल (सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी) अवॉर्ड मिला। वो 2014 में भी ये अवॉर्ड हासिल कर चुके हैं।
अर्जेंटीना के एमिलियानो मार्टिनेज़ को गोल्डन ग्लोव अवॉर्ड मिला। अर्जेंटीना के एंजो फ़र्नांडेज़ को यंग प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट का अवॉर्ड मिला।

पूरी हुई कहानी
तमाम अनचाहे मोड़ से गुज़रती वर्ल्ड कप फ़ाइनल की कहानी आख़िरी मोड़ पर आ गई। फ़्रांस के खिलाड़ियों की आंखें छलक रही थीं। अर्जेंटीना के खिलाड़ियों की आंखें भी नम थीं। कहीं गम के आंसू थे तो कहीं ख़ुशी के।

साथियों के साथ गोल घेरे में जश्न मनाने के बाद मेसी की नज़रें वर्ल्ड कप पर टिक गईं। टी शर्ट के ऊपर अरब जगत के स्टाइल की पोशाक पहने मेसी ने फ़ीफा के प्रेसिडेंट जियानी इन्फ़ेंटीनो और क़तर के शेख़ तमीम से हाथ मिलाया और फिर वो नायाब ट्रॉफ़ी थामी जो अब तक सिर्फ़ उनके ख़्वाबों में आती थी।

क़तर में हुए पहले वर्ल्ड कप की कहानी पूरी हुई। मेसी और अर्जेंटीना के लिए ये परीकथा जैसी थी और जब क़तर इसे याद करेगा तो उसे भी शायद ऐसा ही लगे।
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