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Last Updated : शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017 (11:17 IST)

लड़कियों को तरसते चीन के कुंआरे मर्द

लड़कियों को तरसते चीन के कुंआरे मर्द - China single men
चीन में 30 की उम्र पार कर चुके अविवाहित मर्दों के लिए एक ख़ास नाम है, 'शेंगनान' यानी 'बचे हुए मर्द' जिन्हें अब तक शादी के लिए लड़की नहीं मिली है। दुनिया की सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाले देश चीन में ऐसे मर्दों की संख्या बहुत ज़्यादा है और इसके पीछे वजह है चीन का बिगड़ा लैंगिक अनुपात।
एक अनुमान के मुताबिक 2020 तक चीन में तीन करोड़ से ज़्यादा मर्द कुंआरे होंगे। चीन की वन चाइल्ड नीति को 2015 में पलट दिया गया लेकिन इसका असर आने वाले कई दशकों तक दिखता रहेगा। कई दशकों तक एक दंपति के लिए एक बच्चे की नीति के कारण लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या काफ़ी कम रह गई है। अब इस समस्या का बढ़ने की संभावना है। इसी वजह से शादी के लिए लड़कियां ढूंढ़ना चीन में मर्दों के लिए मुश्किल हो रहा है।
 
अमेरिकी राजनीतिक अर्थशास्त्री निकोलस एबरस्टाड ने अपनी क़िताब द डेमोग्राफ़िक फ्यूचर में लिखा है कि 2030 तक 30 की उम्र पार कर चुके एक चौथाई से ज़्यादा चीनी मर्द कुंवारे होंगे। तो चीन में शादी के लिए लड़की को मनाने के लिए लड़के कई नए तरीक़े अपना रहे हैं।
 
2015 में 40 की उम्र पार कर चुके एक चीनी व्यवसायी ने शादी के लिए लड़के-लड़कियों को मिलाने वाली शंघाई की एक एजेंसी पर केस दर्ज कर दिया। उनका कहना था कि 10 लाख डॉलर लेकर भी एजेंसी उनके लिए दुल्हन नहीं ढूंढ़ सकी, वहीं चीन के दक्षिणी शहर ग्वांगजो में एक कंप्यूटर प्रोग्रामर ने अपनी गर्लफ़्रेंड को 99 आईफ़ोन देकर शादी का प्रस्ताव दिया। सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर काफ़ी चर्चा हुई लेकिन उनकी गर्लफ़्रेंड ने शादी करने से इनकार कर दिया।
 
'मां-बाप की जगह अपने दिल की सुनते हैं'
चीनी नववर्ष के जश्न को कुंआरे लड़के-लड़िकयों के मिलने के लिए अच्छा मौका माना जाता है। जनवरी-फ़रवरी के बीच नववर्ष के मौके पर लोग अपने घर पर परिवार वालों के साथ होते हैं और इस दौरान अमूमन परिवार वाले शादी के लिए कुंआरे लड़के-लड़कियों की मुलाकात करवाते हैं।
 
लेकिन अब परंपरागत तरीक़े पीछे छूटते जा रहे हैं और ऑनलाइन डेटिंग चीन में काफ़ी लोकप्रिय हो रही है। मैसेजिंग एप 'वी चैट' भी चीन में काफ़ी मशहूर है। जून ली कहते हैं, "पिछले कुछ सालों में चीन में भी पश्चिमी देशों की तरह डेटिंग को लेकर खुलापन बढ़ा है।" वो कहते हैं, "युवाओं के पास ज़्यादा विकल्प हैं और वो अपने माता-पिता की जगह अपने दिल की सुनते हैं।"
 
परंपराओं की जगह ले रहे नए तरीके
चीन के पूर्व मध्य तट के पास स्थित शूजाउ के जून ली उम्र के 20 साल पार कर चुकी हैं। वो कहती हैं कि उन्होंने चीन में कुंआरे लड़कों के समूहों की तरफ़ से डेटिंग के लिए सामूहिक कार्यक्रम बढ़ते देखे हैं। शादी के लिए लड़की को रिझाने के लिए कुंआरे मर्द मनोवैज्ञानिक और स्टाइलिस्ट का भी सहारा ले रहे हैं।
 
वहीं मां-बाप की तरफ़ से शादी के लिए दबाव के बचने के लिए चीन में 'फ़र्जी' गर्लफ़्रेंड रखने का चलन भी है। चीन में मर्द फ़र्ज़ी गर्लफ़्रेंड के लिए 'हायर मी प्लीज़' जैसे ऐप का सहारा लेते हैं। रिपोर्टों के अनुसार गर्लफ़्रेंड के लिए एक दिन के दस हज़ार युवान यानी 1,450 डॉलर तक खर्च करने पड़ सकते हैं।
 
गांवों में कुंआरों के लिए समस्या और बढ़ जाती है, जहां पर परंपरागत तौर पर लड़के की आर्थिक स्थिति शादी के लिए अच्छी होनी ज़रूरी है ताकि वो अपनी पत्नी को सुरक्षित भविष्य दे सके। करीब 35 साल की होंग यांग इसे चीनी 'सास का अर्थशास्त्र' बताती हैं। वो कहती हैं कि भावी सास दूल्हे से पहले मकान ख़रीदने को कहती हैं, इसलिए पिछले कुछ सालों में मकानों की कीमतों में उछाल देखा गया है।
 
पति-पत्नी में 10 से 20 साल का अंतर
शादी से पहले अपनी आर्थिक स्थिति मज़बूत बनाने में पुरुषों को कई साल लग जाते हैं और इसमें ऐसे में वो देर से शादी कर पाने की स्थिति में आते हैं। लेकिन ऐसे पुरुष युवा और कम उम्र की महिलाओं को शादी के लिए पसंद करते हैं।
 
इस वजह से चीन में शादीशुदा जोड़ों में 10 से 20 साल का अंतर भी आम बात है। विशेषज्ञों का कहना है, "32 की उम्र के बाद मर्दों के लिए लड़की ढूंढ़ना मुश्किल हो जाता है। चीनी मर्द तो युवा और सुंदर लड़कियों से शादी करना चाहते हैं लेकिन लड़कियों को आर्थिक रूप से मज़बूत लड़कों से शादी करने की चाहत होती है और ऐसे में वो बढ़ी उम्र के मर्दों की तरफ़ देखती हैं।''
 
30 से 40 की उम्र के बीच की हीथर मा शंघाई में रहती हैं। वो कहती हैं कि चीन में बेहतर करियर और उच्च शिक्षा वाली कुंआरी महिलाओं को अनचाही लड़कियां कहा जाता है। बच्चों के कुंआरे रह जाने पर मां-बाप को काफ़ी सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ता है।
 
शादी का इंतज़ार कर रहे कुंआरों की बढ़ती संख्या को देखते हुए चीन में शादी के खुले बाज़ार का भी चलन चला है। शंघाई में सबसे बड़ा मैचमेंकिंग कॉर्नर है, जहां माता-पिता अपने कुंआरे बच्चों के ब्योरे वाले विज्ञापन अपने हाथों से लिखकर चस्पा कर आते हैं।
 
कहा तो यहां तक जाता है कि कई माता-पिता सालों तक इस जगह आते रहे हैं लेकिन उनके बच्चे अभी भी कुंआरे हैं। चीन की वन चाइल्ड नीति के कारण कई दशकों तक परिवारों में एक बच्चा ही होता रहा। लड़कों की चाहत में लिंग के आधार पर गर्भपात, लड़कियों को छोड़ देना, यहां तक कि कन्या भ्रूण हत्या जैसी बढ़ती घटनाएं भी सामने आईं।
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