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Last Updated : शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017 (16:40 IST)

मूत्र का सूत्र: रोकें नहीं, करें

मूत्र का सूत्र: रोकें नहीं, करें | Urine
पेशाब करना उन कामों में शामिल है जिनके बिना हमारा काम नहीं चलता। इस काम में भले ही जरा सा समय लगता हो, लेकिन हमारी सेहत के लिए ये बहुत ही जरूरी है।
ब्लैडर की क्षमता : आम तौर पर कोई व्यक्ति दिन में सात बार पेशाब करता है। इस काम में भले ही चंद सेकंड्स का समय लगे, लेकिन हमारा ब्लैडर 500 से 600 एमएल पेशाब रख सकता है। यानी पांच से तीन से चार गिलास के बराबर।
 
अनावश्यक तत्वों से छुटकारा : पेशाब न सिर्फ हमारे शरीर में जाने वाली पानी को बाहर निकालता है, बल्कि इसके जरिए अनावश्यक तत्व भी शरीर से बाहर चले जाते हैं। हमारी किडनी फिल्टर करके इन तत्वों को ब्लैडर में भेजती है जहां से पेशाब के रास्ते ये बाहर निकल जाते हैं।
 
महिला और पुरुष का अंतर : जो नली पेशाब को ब्लैडर से शरीर से बाहर निकालती है, उसे यूरेथ्रा कहते हैं। महिलाओं में यूरेथ्रा की लंबाई 4.8 से 5.1 सेंटीमीटर तक होती है जबकि पुरुषों में ये लगभग 20 सेंटीमीटर होती है।
 
बढ़ती उम्र के तकाजा : जैसे जैसे उम्र बढ़ती है तो हमारे अंग और मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगती हैं। इसलिए बुजुर्ग लोगों को पेशाब करने में ज्यादा समय लगता है क्योंकि उनकी मांसपेशिया और ब्लैडर कमजोर होने लगते हैं।
 
बार बार : कमजोर अंगों की वजह से हो सकता है कि बुजुर्गों के ब्लैडर में पेशाब बाकी रह जाता हो। इसलिए उन्हें बार बार इसके लिए जाना पड़ता है।
 
पेशाब में क्या है? : पेशाब में लगभग तीन हजार तत्व होते हैं। 2013 में हुए एक अध्ययन के मुताबिक पेशाब में 95 प्रतिशत पानी और तीन प्रतिशत यूरिया होता है। बाकी शरीर में प्रोटीन की प्रोसेसिंग से निकले अवयव होते हैं।
 
बैक्टीरिया से मुक्त नहीं : 2014 में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि पेशाब भी बैक्टीरिया से मुक्त नहीं होता।
 
पेशाब का रंग : पीला पेशाब शरीर में पानी की कमी को दिखाता है। हालांकि बीमारी से भी पेशाब का रंग पीला हो सकता है। अगर पेशाब का रंग लाल है तो इसका मतलब किडनी ठीक ना होना या फिर कैंसर हो सकता है।
 
दर्द हो रहा है? : पेशाब करते समय अगर दर्द हो तो समझ लीजिए आपको डॉक्टर के पास जाना है। इस दर्द का कारण किडनी, ब्लैडर या यूरेथ्रा में इन्फेक्शन हो सकता है।
 
रोक कर रखना : पेशाब को रोके रखने से सैद्धांतिक रूप से इन्फेक्शन हो सकता है। लेकिन कुछ डॉक्टर ऐसा नहीं मानते हैं। लेकिन अगर कोई मजबूरी न हो तो कर लेने में ही भलाई है।
 
रिपोर्ट: अशोक कुमार
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