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Written By BBC Hindi
Last Modified: गुरुवार, 14 मई 2020 (14:11 IST)

अफ़ग़ानिस्तान हमला: मां बच्चे को जन्म दे रही थी, वॉर्ड में किलकारी थी और देखते ही देखते लाशें गिरने लगीं

अफ़ग़ानिस्तान हमला: मां बच्चे को जन्म दे रही थी, वॉर्ड में किलकारी थी और देखते ही देखते लाशें गिरने लगीं - Afghanistan attack
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल के एक प्रसव वॉर्ड पर हुए चरमपंथी हमले में मरने वालों की संख्या बढ़कर 24 हो गई है।
 
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, मरने वालों में प्रसव के लिए आई मांएं हैं। नवजात बच्चे हैं और वो नर्सें शामिल हैं जो डिलिवरी कराने के लिए और देखभाल के लिए वहां मौजूद थीं। इस चरमपंथी हमले में कम से कम 16 लोग जख़्मी हुए हैं।
 
यह हमला मंगलवार को हुआ था लेकिन अभी तक किसी भी चरमपंथी संगठन ने हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली है। प्रसव वॉर्ड पर हुए इस हमले की चारों ओर से आलोचना हो रही है।
 
मंगलवार को ही एक और हमला हुआ था ,जिसमें 32 लोगों की जान चली गई। देश के पूर्वी इलाक़े नंगरहार में एक अंतिम संस्कार समारोह के दौरान एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फ़ोट किया जिसमें वहां मौजूद 32 लोगों की मौत हो गई।
 
अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने ताबिलबान और दूसरे चरमपंथी संगठनों के ख़िलाफ़ आक्रामक अभियानों को फिर से शुरू करने का आदेश दिया है।
 
उन्होंने चरमपंथियों पर हमले रोकने के लिए बार-बार दी जाने वाली चेतावनियों को नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाया है।
 
आईएस ने ली अंतिम संस्कार के दौरान हुए हमले की ज़िम्मेदारी
इस्लामिक चरमपंथी संगठन (आईएस) ने नंगरहार में हुए आत्मघाती हमले की ज़िम्मेदारी ली है। नंगरहार में एक पुलिस कमांडर का अंतिम संस्कार किया जा रहा था, जब यह आत्मघाती हमला हुआ।
 
लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि क़ाबुल में दश्त-ए-बारची अस्पताल में हुए हमले के पीछे किसका हाथ था। तालिबान ने इस हमले में हाथ होने से इनकार किया है।
 
अस्पताल में हुए हमले के बाद 19 बच्चों को शहर के एक दूसरे अस्पताल में ले जाया गया है लेकिन बहुत सी मांओं को आशंका है कि उनके बच्चों की मौत हो चुकी है।
 
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, अफ़ग़ानिस्तान में मंगलवार को हुए अलग-अलग हमलों में कम से कम सौ लोगों की मौत हुई है। ये हमले शांति प्रयासों की लचरता ज़ाहिर करते हैं, साथ ही दशकों से हो रही हिंसा के ख़त्म होने की उम्मीद को भी धूमिल कर देते हैं।
 
अस्पताल में क्या हुआ?
स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्होंने शुरू में दो बम धमाकों की आवाज़ सुनी और उसके बाद बाद गोलियां चलने की। यह हमला मंगलवार को क़रीब दस बजे शुरू हुआ। एक डॉक्टर जो किसी तरह भागने में कामयाब हो सके उन्होंने बीबीसी को बताया कि जिस समय हमला हुआ उस समय अस्पताल में क़रीब 140 लोग मौजूद थे।
 
इंटरनेशनल मेडिकल चैरिटी संस्था 'मेडेसिन्स सान्स फ्रंटियर्स (MSF)' अस्पताल के मेटरनिटी वॉर्ड को संचालित करती है और वहां काम करने वालों में कुछ विदेशी भी थे।
 
एक अन्य डॉक्टर ने न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी को बताया "जैसे ही हमला शुरू हुआ हम सबी दहशत में आ गए।"
 
रमज़ान अली नाम के दुकानदार हमला शुरू होने के वक़्त पास में ही थे। उन्होंने न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "हमलावर अस्पताल में बिना कुछ देखे, लगातार गोलियां चलाए जा रहे थे।"
 
मेडेसिन्स सान्स फ्रंटियर्स के हवाले से न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी ने लिखा है "जिस समय हमला हो रहा था एक मां ने बच्चे को जन्म दे रही थी।"
 
न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, एक दूसरी औरत ज़ैनब ने हमले के कुछ वक़्त पहले ही अपने बच्चे को जन्म दिया था। उन्होंने अपने बच्चे का नाम 'ओमिद' रखा था, जिसका दरी ज़ुबान में मतलब होता है- उम्मीद। वो सालों बाद मां बनीं थीं इसलिए उन्होंने अपने बच्चे का नाम 'ओमिद' रखा था।
 
जिस समय हमला हुआ ज़ैनब वॉशरूम गई हुई थीं। तभी चीखने-चिल्लाने की आवाज़ें आने लगीं। चार घंटे पहले जिस बच्चे को जन्म दिया था, उसकी हिफ़ाज़त और फ़िक्र का सोचकर वो दौड़ते हुए आईं लेकिन चार घंटे पहले जन्मीं उनकी उम्मीद मर चुकी थी।
 
ज़ैनब की सास ज़हरा मुहम्मदी ने रोते हुए बताया "मैं अपनी बहू को काबुल लेकर आई थी कि ताकि उसका बच्चा बचा रहेगा। आज हम उसकी लाश को बामियां लेकर जा रहे हैं।"
 
एक अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि अफ़ग़ान स्पेशल फ़ोर्स ने 100 औरतों और बच्चों को सुरक्षित निकाला है। इसमें से तीन विदेशी भी हैं। हमले में शामिल तीनों हमलावरों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया। इन तीनों हमलावरों ने पुलिस अधिकारियों जैसी यूनिफ़ॉर्म पहन रखी थी।
 
सोशल मीडिया पर इस हमले की कई तस्वीरें वायरल हुई हैं। इसमें सैनिक नवजात बच्चों को अपने हाथों में लेकर बाहर आते दिख रहे हैं। वो बच्चे जो ख़ून से सने कंबलों में लिपटे हुए थे।
 
क्या अस्पतालों पर पहले भी हमले हुए हैं?
इससे पहले कुछ ऐसा ही हमला हो चुका है। राजधानी के इस शिया मुस्लिम बहुल इलाक़े में पहले भी ऐसा हमला हुआ था, जिसके पीछे चरमपंथी संगठन आईएस के हाथ होने की बात कही गई थी।
 
इसके बाद दक्षिण एशिया और दूर पूर्वी क्षेत्र के आईएस नेता को काबुल में गिरफ़्तार किया गया था। अफ़ग़ान खुफ़िया विभाग ने बताया था कि साथ में दो अन्य हाई-प्रोफ़ाइल सदस्यों को भी गिरफ़्तार किया गया था।
 
साल 2017 में, आईएस के एक चरमपंथी ने मेडिकल स्टाफ़ बनकर क़ाबुल के मुख्य सैन्य अस्पताल पर हमला किया था। इसके बाद सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठ खड़े हुए थे। बाद में अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की थी कि इस हमले में क़रीब 50 लोगों की मौत हुई थी।
 
लेकिन सिर्फ़ आईएस नहीं, तालिबान भी अस्पतालों पर हमला करता रहा है।
 
बीते सितंबर में दक्षिणी ज़ाबुल प्रांत में एक अस्पताल के बाहर चरमपंथियों ने बारूद से भरे एक ट्रक को उड़ा दिया था। इस हमले में 20 लोगों की मौत हो गई थी।
 
राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने कहा था, "सार्वजनिक जगहों की सुरक्षा के लिए और तालिबान समेत दूसरे चरमपंथी समूहों के हमले और धमकियों को विफल करने के लिए मैं अफ़ग़ान सुरक्षा बलों को सुरक्षात्मक तेवर से आक्रामक रुख़ अपनाने का आदेश देता हूं।"
 
बीबीसी संवाददाता लीसे डाउसेट का मानना है कि अफ़ग़ानिस्तान ने अब तक बुरे से बुरा दौर देखा है लेकिन नवजात बच्चों और उनकी मांओं पर हुआ ये हमला दहशत पैदा करने वाला है। वो कहती हैं कि इस हमले ने एक बेहद नाज़ुक सी उस उम्मीद को कि अफ़ग़ानिस्तान भी कभी शांति की ओर आगे बढ़ेगा, उसे बुरी तरह हिला दिया है।
 
सोशल मीडिया की ऐसी तस्वीरें हैं जिनमें विशेष सुरक्षा बल के भारी-भरकम जवान अपनी बांहों में नवजात बच्चों को लेकर जाते नज़र आ रहे हैं। ये तस्वीरें लंबे समय तक लोगों के ज़ेहन में बनी रहेंगी। ख़ासतौर पर एक ऐसे वक़्त में जब अफ़गानिस्तान दुनिया के कई मुल्कों की तरह कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहा है।
 
लीसे कहती हैं, भले ही तालिबान में हमले से इनकार कर दिया है लेकिन राष्ट्रपति ग़नी की निंदा को कई लोग उनकी नाराज़गी और हताशा से जोड़कर देख रहे हैं। कुछ लोगों को इस बात की भी चिंता है कि इस्लामिक स्टेट जैसे समूह तालिबान और सरकार के बीच गतिरोध को और वृहद स्तर पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं, जो पहले से ही शांति की दिशा में बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रहे थे।
 
और जिन लोगों ने कभी तालिबान की प्रतिबद्धता पर भरोसा नहीं किया है, उनके लिए यह हमला तालिबान के साथ लड़ते रहने के उनके संकल्प को और मज़बूत करेगा।
 
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों की प्रतिक्रिया
मंगलवार को हुए इस हमले की देश में ही नहीं दुनिया भर में निंदा हो रही है। मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस हमले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, "आज अफ़ग़ानिस्तान में जो युद्ध अपराध हुआ उसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। नागरिक जिस तरह की भयावह स्थिति का सामना कर रहे हैं उसके लिए दुनिया को हर हालत में जागना होगा।"
 
अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियों ने कहा, "निर्दोष पर किसी भी तरह का हमला माफ़ी के लायक नहीं।।लेकिन प्रसव वॉर्ड में महिलाओं और नवजात बच्चों पर हुआ हमला दरिंदगी है।"
 
इसके अलावा अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख डेबरा ल्योंस ने ट्वीट किया है, "नवजात बच्चों और उनकी मांओं पर कौन हमला करता है? ऐसा कौन करता है?"
 
हमले में जीवित बचे लोगों के अनुसार, नंगरहार में अंतिम संस्कार के लिए हज़ारों की संख्या में लोग जमा हुए थे, तभी विस्फ़ोट हो गया। बमबारी की पहली रिपोर्ट के बाद से हताहत हुए लोगों की संख्या बढ़ रही है। अधिकारियों का कहना है कि हमले में 133 लोग घायल हुए हैं।
 
इसके अलावा उत्तरी बाल्ख़ प्रांत में अमरीकी सेना के एयर स्ट्राइक से दस लोगों के मारे जाने की ख़बर है। स्थानीय लोगों और तालिबान का दावा है कि मारे गए सभी लोग आम नागरिक हैं लेकिन अफ़ग़ानिस्तान के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि मारे गए सभी चरमपंथी थे।
 
अफ़ग़ान शांति वार्ता का क्या?
अमरीका और तालिबान के बीच फ़रवरी महीने में 'एक विस्तृत शांति समझौते' पर हस्ताक्षर हुए। इसके बाद अफ़ग़ानिस्तान की सरकार और तालिबान के बीच एक क़ैदी की अदला-बदली पर बात नहीं बनी और तब से बेरोकटोक हिंसा जारी है।
 
इस समझौते से उम्मीद जताई जा रही थी कि इससे 18 साल से अफ़ग़ानिस्तान में चल रहा ख़ूनी संघर्ष ख़त्म हो जाएगा।
 
हिंसा में दसियों हज़ार लोगों की जान जा चुकी है। मारे गए ज़्यादातर लोग आम नागरिक थे। हज़ारों की संख्या में लोगो घायल हुए हैं और सैकड़ों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा है।
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