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Written By WD

जानिए क्या है मकर संक्रांति का पुण्यकाल

मकर संक्रांति पर सिर्फ चार घंटे 43 मिनट होगा दान

मकर संक्रांति का पुण्यकाल

दान-स्नान, पूजन के लिए हैं सिर्फ कुछ घंटे


सूर्य के उत्तरायण होने का पर्व मकर-संक्रांति का पुण्यकाल इस वर्ष दोपहर से शुरू होगा। इसके चलते दोपहर से सूर्य अस्त तक दान, स्नान, पूजन करना श्रेष्ठ फलदायी रहेगा।

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इस वर्ष श्रद्धालुओं को दान-स्नान और पूजन के लिए सिर्फ चार घंटे 43 मिनट मिलेंगे। ज्योर्तिविदों के अनुसार इस बार संक्रांति गज पर सवार हो ऐंद्र योग में आई है जो समृद्धिदायक होगी साथ ही आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के योग भी बन रहे हैं।


14 जनवरी 2014 मंगलवार को सूर्य मकर राशि में दोपहर 1.12 बजे प्रवेश करेगा। इसके चलते दोपहर 1.12 से सूर्यास्त 5.55 तक पर्व का पुण्यकाल रहेगा। इसके साथ ही इस दिन मंगलकारी ऐंद्र योग दिवस पर्यंत रहेगा।

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साथ ही आर्द्र नक्षत्र सुबह 7.21 से अगले दिन 10.17 तक होगा। चंद्रमा मिथुन राशि में होगा। पर्व पर उगते सूरज को अर्घ्य देने का विशेष महत्व ह


यह पर्व दान, स्नान, सूर्य भगवान के पूजन का है। जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है उस दिन मकर संक्रांति पर्व मानना शास्त्र सम्मत है। वर्ष 2013 में मकर राशि में सूर्य का प्रवेश 14 जनवरी को सुबह 6.57 पर होने से पूरे दिन पुण्यकाल था। लेकिन इस बार (2014 में) मकर राशि में सूर्य का प्रवेश दोपहर में होने से श्रेष्ठ पुण्यकाल दोपहर से सूर्यास्त तक है।

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शुरू होंगे मांगलिक आयोजन

सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही धनुर्मास भी समाप्त होगा। एक माह से मांगलिक कार्यों पर लगी रोक भी हटेगी और विवाह, उपनयन संस्कार, मुंडन, गृहप्रवेश आदि कार्य की शुरुआत होगी। धनुर्मास के समापन के बाद विवाह का प्रथम शुद्ध मुहूर्त 18 जनवरी को होगा।


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ऐसा रहेगा पर्व का स्वरू

वाहन : गज
उपवाहन : गर्दभ
वस्त्र : लाल
शस्त्र : धनुष-बाण
दिशा : पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर गमन
आभूषण : गोमेद धारण किए
अवस्था : प्रौढ़
तिलक : गोराचन


इन पर्वों का भी छाएगा उल्लास

तमिल व आंध्रवासी - पोंगल।
मलयाली समाज -मक्कर-विलक्कू़।
पंजाबी समाज - लोहड़ी।
सिंधी समाज-लाललोई।
असमवासी -माघबिहु।
मुस्लिम समाज -ईद मिलादुन्नबी।