श्री प्रज्ञावर्धन स्तोत्र : ज्ञान और बुद्धि बढ़ाए, सफलता दिलाए
हर रोज इस स्तोत्र के 11 पाठ तथा मंत्र के 108 जप करने से बुद्धि में सुधार, ज्ञान में वृद्धि तथा हर परीक्षा में उत्तम परिणाम की प्राप्ति होती है।
ॐ अस्य श्री प्रज्ञावर्धन स्तोत्रमंत्रस्य सनत्कुमार ऋषि:, स्वामी कार्तिकेयो देवता, अनुष्टुप् छंद:, मम सकल विद्या सिध्यर्थं जपे विनियोग:।।
।।श्रीस्कंद उवाच।।
योगीश्र्वरो महासेनः
कार्तिकेयोग्निनंदनः।
स्कंदः कुमारः सेनानीः
स्वामी शंकरसंभवः।।01।।
गांगेयस्ताम्रचूडश्र्च
ब्रह्मचारी शिखिध्वजः।
तारकारिरुमापुत्रः
क्रौंचारातिः षडाननः।।02।।
शब्द ब्रह्मस्वरूपश्र्च
सिद्धः सारस्वतो गुरुः।
सनत्कुमारो भगवान्
भोगमोक्षप्रदः प्रभुः।।03।।
शरजन्मा गणाधीशो
पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत्।
सर्वागमप्रणेता च
वांछितार्थप्रदर्शनः।।04।।
अष्टाविंशति नामानी
मदीयानि च यः पठेत।
प्रत्यूषे श्रद्धया कीयुकतो
मूको वाचस्पतिर्भवेत्।।05।।
महामंत्रमयानीती
मम नामानि कीर्तयेत्।
महाप्रज्ञामवाप्नोति
नात्र कार्या विचारणा।।06।।
।।मंत्र:।।
नमस्ते शारदे देवि
सरस्वति मतिप्रदे।
वस त्वं मम जिह्वाग्रे
सर्वविद्याप्रदा भव।।